एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने बॉलीवुड में मिलने वाले अवॉर्ड्स पर तंज कसा है। उन्होंने कहा- मेरे लिए इन अवॉर्ड्स का अब कोई मतलब नहीं है। फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में मिलने वाली ट्रॉफी को मैं वॉशरूम के हैंडल के तौर पर यूज करता हूं। जब कोई मेरे घर के वॉशरूम में जाएगा तो उसे दरवाजे पर फिल्मफेयर की दो ट्रॉफियां हैंडल के रूप में लटकी मिलेंगीं।
नसीरुद्दीन शाह ने मुंबई में एक फार्महाउस बनवाया है। वहां के दरवाजों पर जो हैंडल लगे हुए हैं, वे सभी उन्हें मिलने वाली ट्रॉफियों से बनाए गए हैं। शाह से इसी संबंध में सवाल किए गए थे।
उन्होंने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए कहा- अब मेरे लिए इन अवॉर्ड्स का कोई मतलब नहीं है। पहले इन अवॉर्ड्स को जीतने के बाद खुशी मिलती थी। धीरे-धीरे करके ऐसे बहुत सारे अवॉर्ड्स हो गए।
कुछ वक्त बाद एहसास हुआ कि ये अवॉर्ड्स लॉबिंग का नतीजा हैं। उन लोगों को अवॉर्ड्स मिलने स्टार्ट हुए जो इसके लायक ही नहीं हैं। इसके बाद ही मेरा इन अवॉर्ड्स से नाता टूटने लगा।
शाह ने आगे कहा- मेरे पिता मुझे बेवकूफ समझते थे। उन्हें लगता था कि मैं जिंदगी में कुछ नहीं कर पाऊंगा। वे नहीं चाहते थे कि मैं एक्टिंग में करियर बनाऊं। जब मुझे सरकार की तरफ से पद्मश्री और पद्म भूषण मिला तो मुझे अपने पिता की याद आई।
मैं राष्ट्रपति भवन में इन पुरस्कारों को लेने के लिए जा रहा था, तो बार-बार पिता की वो बातें जेहन में आ रही थीं। मैं बार-बार आसमान की तरफ देख कर पिता से यही कहता कि क्या आपको ये लम्हा दिखाई दे रहा है। खैर वे जहां होंगे उन्हें खुशी ही हुई होगी। पद्म अवॉर्ड्स मिलना मेरे लिए खुशी की बात थी, लेकिन इन फिल्मी अवॉर्ड्स का मेरे लिए कोई मतलब नहीं है।
नसीरुद्दीन शाह का कहना है- मुझे इन अवॉर्ड्स का कॉन्सेप्ट समझ नहीं आता है। मेहनत तो सभी कलाकार करते हैं, लेकिन साल के सबसे बेस्ट एक्टर की ट्रॉफी सिर्फ एक एक्टर को पकड़ा दी जाती है। ये सही नहीं है।