इजराइल और हमास के बीच शनिवार से जंग जारी है। इस बीच जंग पर अलग-अलग देशों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। जहां एक तरफ पश्चिमी देश इजराइल का समर्थन कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ ईरान और कतर जैसे अरब देश फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं। वहीं चीन, मिस्र जैसे कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने जंग में न्यूट्रल स्टैंड लिया है।
हमास और हिजबुल्लाह के सीनियर अधिकारियों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ईरान के सुरक्षा अधिकारियों ने इजराइल पर हमले की प्लानिंग में हमास की मदद की थी। इसके बाद उन्होंने 2 अक्टूबर को बेरूत में एक बैठक में हमले के लिए हरी झंडी दे दी थी। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के अधिकारी अगस्त से हमास के साथ मिलकर इजराइल पर 1973 के बाद जमीन, हवा और समुद्र के रास्ते अब तक के सबसे बड़े हमले की प्लानिंग कर रहे थे।
7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद ईरान में लोगों ने जश्न भी मनाया था। लोग आतिशबाजी करते नजर आए थे। हालांकि ईरान ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज किया है। उसने कहा है कि हमास के हमले में उसकी कोई भूमिका नहीं है। ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई के एडवाइजर ने कहा कि हम फिलिस्तीन के इजराइल पर किए अटैक का समर्थन करते हैं।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा- फिलिस्तीन अपने हितों की रक्षा जरूर करेगा। इजराइल इस क्षेत्र में मौजूद दूसरे देशों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहा है और इसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाएगा।
ईरान शिया बहुल देश है। उसके अरब देशों और अमेरिका, दोनों से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इजराइल को भी वो कट्टर दुश्मन मानता है। ईरान एटमी ताकत हासिल करना चाहता है। अमेरिका, इजराइल और अरब देश उसे रोकना चाहते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हमास के आतंकी इजराइली सैनिकों और नागरिकों को सड़कों और उनके घरों में मार रहे हैं, ये गलत है। इजराइल की मदद के लिए हम हर तरह से तैयार हैं। उसे अपनी और अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है। उन्होंने अपनी टीम से इजराइल, फिलिस्तीन, UAE, तुर्किये के कॉन्टैक्ट में रहने के लिए कहा है।
वहीं, अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि वो इस बात का ध्यान रखेंगे कि इजराइल को अपनी सुरक्षा में किसी तरह की कमी न रहे। ऑस्टिन ने बताया कि मदद के लिए अमेरिकी जहाज और लड़ाकू विमान इजराइल की तरफ बढ़ रहे हैं।
अमेरिका जेराल्ड आर फोर्ड के साथ, क्रूजर USS नॉर्मंडी, डिस्ट्रॉयर USS थॉमस हडनर, USS रैमेज, USS कार्नी और USS रूजवेल्ट भी भेज रहा है। ये वॉरशिप F-35, F-15, F-16, और F-10 लड़ाकू विमानों से लैस हैं।
दरअसल, अमेरिका मिडिल ईस्ट में इजराइल को एक बड़े सहयोगी के तौर पर देखता है। इसकी एक बड़ी वजह ईरान से निपटना भी है। अमेरिका की फॉरेन असिस्टेंस एजेंसी के मुताबिक अमेरिकी मदद से इजराइल उस इलाके में आसपास के खतरों से निपटने के लिए सैन्य बढ़त बनाए रखने में कामयाब रहता है।
तस्वीर सितंबर की है, जब UN जनरल असेंबली के सेशन के लिए नेतन्याहू न्यूयॉर्क गए थे। यहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी
इजराइल जंग के बीच UAE ने हमास के हमलों की निंदा की है। उसने कहा कि इजराइल के शहरों पर अचानक हुआ ये हमला चिंता का विषय है। इजराइली नागरिकों को बंधक बनाया जा रहा है, जो बहुत गलत है। किसी भी जंग में नागरिकों को टारगेट नहीं किया जाना चाहिए। उनकी रक्षा मानवीय स्तर पर सबसे जरूरी मुद्दा है।
दरअसल, कट्टर दुश्मन माने जाने वाले इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच साल 2020 में शांति समझौता हुआ था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई। इस समझौते के बाद दोनों देशों की नजदीकियां बढ़ीं। इस समझौते का मकसद ईरान पर शिकंजा कसना था।
सऊदी अरब कई फिलिस्तीनी गुटों और इजराइली कब्जे वाली ताकतों के बीच हो रही जंग पर बारीकी से नजर रख रहा है। उसने दोनों पक्षों से जंग रोकने की मांग की है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा- हमने बार-बार चेतावनी दी थी कि अगर फिलिस्तीनियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाएगा तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
सऊदी अरब ने कहा- हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वो क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक ऐसा समाधान निकालें जो दोनों पक्षों के हितों में हो।
कुछ समय पहले मीडिया रिपोर्ट्स में लगातार इस बात का दावा किया जा रहा था कि अमेरिका सऊदी अरब और इजराइल के बीच समझौता कराने की कोशिश कर रहा है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा था- हम इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने के बेहद करीब हैं।
हालांकि MBS ने कहा- हमारे लिए ये मुद्दा बेहद अहम है। इस मसले को सुलझाना बहुत जरूरी है, जिससे फिलिस्तीनियों का जीवन आसान हो सके। ईरान एटमी ताकत हासिल करना चाहता है। अमेरिका, इजराइल और अरब देश उसे रोकना चाहते हैं। ईरान पर दबाव और बढ़ाने के लिए ही अमेरिका अरब देशों और इजराइल में समझौता करवाना चाहता है।
मिस्र का कहना है कि उसने ‘जंग’ के सिलसिले में इजराइल को वॉर्निंग दी थी। मिस्र के इंटेलिजेंस अफसर ने कहा- हमने इजराइल को ‘कुछ बड़ा’ होने की चेतावनी दी थी, लेकिन इजराइल ने उस पर ध्यान नहीं दिया। मिस्र ने बताया कि इजराइल के अधिकारियों का पूरा ध्यान वेस्ट बैंक पर था और उन्होंने गाजा से आ रहे खतरे की तरफ ध्यान नहीं दिया।
मिस्र अक्सर इजराइल और हमास के बीच मध्यस्थता करवाता है। दरअसल, पहले मिस्र उन अरब देशों में शामिल था, जो इजराइल को अपना दुश्मन मानते थे। मिस्र ने इजराइल के खिलाफ कई जंग भी लड़ी हैं। हालांकि 1973 की अरब-इजराइल जंग के 7 साल बाद ही मिस्र ने इजराइल को देश के तौर पर मान्यता दे दी थी। तब से उसे इजराइल और फिलिस्तीन के बीच मध्यस्थता कराने वाले देश के तौर पर देखा जाता है।
चीन ने इजराइल और हमास के बीच हिंसा बढ़ने पर गहरी चिंता जताई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा- हम दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं। इस संघर्ष से बाहर निकलने के लिए फिलिस्तीन की स्वतंत्र देश के तौर पर स्थापना होनी जरूरी है।
इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दों पर हमेशा से न्यूट्रल स्टैंड रखने वाले चीन ने जंग रोकने के लिए सीजफायर की मांग की है। तुर्किये और रूस- दोनों ही देशों ने किसी की साइड न लेते हुए कहा है कि मसले का हल बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए।
इसके अलावा यूरोप के भी कई देशों ने जंग में इजराइल का पक्ष लिया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा है- मैं हमास के हमले से हैरान हूं। इजराइल को अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार है, तो वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि दुख की घड़ी में वो हमास के हमले में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के साथ हैं।
यूरोपियन यूनियन की चीफ उर्सला ने कहा है कि इजराइल को जवाबी कार्रवाई का पूरा हक है। हिंसा को रोकना जरूरी है। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने इजराइल के खिलाफ हमास के हमले की निंदा की है। उसने कहा- हम इस जंग में इजराइल के साथ हैं। उसे अपनी और अपने नागरिकों की रक्षा करने का हक है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा कि हम इस समय अपने मित्र इजराइल के साथ खड़े हैं। इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है।