पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा) में विधानसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है। देश की कुल 4121 विधानसभा सीटों में से 690 यानी करीब 17 फीसद प्रत्याशी इस प्रक्रिया में चुने जाएंगे। देश के करीब चौथाई मतदाता इसमें अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे। राजनीतिक अहमियत के अलावा इन विधानसभा चुनावों की देश की एकता, अखंडता और विकास में भी अहम भूमिका है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर सीमाई प्रदेश हैं।
गोवा के भू-राजनीतिक महत्व का अपना इतिहास है। उत्तर प्रदेश, पंजाब अन्न के कटोरे हैं जो देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ केंद्र की नीतियों से तारतम्य बनाते हुए राष्ट्र के विकास में गुणात्मक उछाल ला सकते हैं। इसलिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पांच प्रदेशों में होने जा रहे चुनावों में हर एक वोट बहुत सोझ-समझकर डाला जाना चाहिए। आप मतदाता हैं। लोकतंत्र के भाग्यविधाता हैं। अगर आज तमाम राजनीतिक दल मतदाता चालीसा पढ़कर आपको रिझाने का काम कर रहे हैं तो वह आपकी श्रेष्ठता को ही साबित करता है। आप रीङिाए न। अपना विवेक इस्तेमाल करें। तुलना करें कि आपका जीवन स्तर कितना, कब और कैसे बेहतर हुआ।
आज सभी पार्टियां लोकलुभावन घोषणाओं से आपका दिल जीतना चाह रही हैं। कभी सोचा है कि इस मुफ्तखोरी की बंदरबांट से आपका कितना भला हो पाया है? सरकार बनते ही इन सबका पाई-पाई आपसे ही वसूला जाता है। प्रदेश कर्ज में चला जाता है। विकास बाधित होता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की जिस तरक्की से पूरे प्रदेश का कल्याण संभव होता है, उसकी संभावना क्षीण होती है। यही सही मौका है। लोहा गरम है। सभी चुनें और सही चुनें।