यूपी निकाय चुनाव को लेकर बड़ी खबर है। लखनऊ में रविवार शाम राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। 4 मई और 11 मई को मतदान होगा। 13 मई को रिजल्ट आएगा। पहले चरण में 11 से 17 अप्रैल तक नामांकन पत्र जमा होंगे। 20 अप्रैल को नाम वापसी होगी। वहीं, दूसरे चरण में 17 से 24 अप्रैल तक नामांकन पत्र जमा होंगे। 27 अप्रैल को नाम वापसी होगी। इससे पहले निकाय चुनाव आरक्षण की नई लिस्ट जारी हुई। 232 आपत्तियों के निस्तारण के बाद अधिसूचना जारी की गई। इसके बाद आचार संहिता लागू हो गई है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि नगर निगम का चुनाव EVM से होंगे। जबकि नगर पंचायत का चुनाव बैलेट पेपर से कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि यूपी में कुल 760 निकाय हैं। इसमें 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायत हैं।
मनोज कुमार ने बताया कि प्रदेश के 760 नगरीय निकाय में 14,684 पदों पर चुनाव होगा। 17 महापौर और 1420 पार्षद के चुनाव EVM से होंगे। बाकी पदों पर बैलट पेपर से मतदान होगा। नगर पालिका परिषद के 199 अध्यक्ष और 5327 सदस्यों का मतपत्रों से निर्वाचन होगा। नगर पंचायत के 544 अध्यक्ष तथा 7178 सदस्यों का निर्वाचन मतपत्रों से होगा। संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस लगाई जाएगी।
दरअसल, 27 दिसंबर को हाईकोर्ट के आदेश से यूपी सरकार को झटका लगा था। कोर्ट ने राज्य सरकार की उस ओबीसी सूची को खारिज कर दिया था जिसके दम पर निकाय चुनाव करवाने की तैयारी थी। हाईकोर्ट ने साफ कहा था कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं किया और उसके बिना ही चुनाव की घोषणा की गई। तब कोर्ट ने सरकार को ये भी कहा था कि वो बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा सकती है। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
28 दिसंबर 2022 को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में मेंशन किया। उन्होंने कहा कि डीलिमिटेशन की प्रक्रिया चल रही है। सरकार ने ओबीसी आयोग का गठन कर दिया है। स्थानीय निकाय चुनाव अब आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही कराया जाएगा।
इसके बाद रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया। सदस्यों में चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी को शामिल किया गया। ये आयोग राज्यपाल की सहमति से 6 महीने के लिए गठित किया गया था। आयोग को रिपोर्ट सबमिट करने के लिए छह महीने का समय दिया गया था।
31 दिसंबर को आयोग ने पहली कॉन्फ्रेंस की थी। आयोग के सदस्यों ने कहा था कि यह लंबा काम है और रिपोर्ट तैयार होने में 31 मार्च का समय लग सकता है। इस टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 75 जिलों का दौरा किया। हालांकि बीच में आयोग का यह बयान सामने आया था कि रिपोर्ट फरवरी के अंत तक तैयार हो जाएगी। आयोग ने अब सीएम योगी को रिपोर्ट दे दी है।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव पहले जनवरी में ही कराया जाना था। इसको लेकर नगर विकास विभाग ने अंतिम आरक्षण की सूची जारी कर दी थी। हालांकि इसके खिलाफ कई पक्ष हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने रैपिड टेस्ट के आधार पर आरक्षण को सही न मानते हुए ट्रिपल टेस्ट कराने का आदेश राज्य सरकार को दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव हों। जबकि सरकार ने कहा कि आरक्षण लागू करने के बाद चुनाव कराएंगे।
हालांकि इस बीच लखनऊ नगर निगम, कानपुर नगर निगम समेत तमाम नगर निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया। 2023 में होने वाले नगर निकाय चुनाव में 17 नगर निगम, 200 नगरपालिका परिषद और 517 नगर पंचायत में चुनाव कराया जाना है।
जबकि 2017 में 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका परिषद और 438 नगर पंचायत में चुनाव हुआ था। ऐसे में म्यूनिसिपल इलेक्शन को लेकर सरगर्मी फिर बढ़ती नजर आ रही है। सपा के रुख से ऐसी आशंका भी है कि कहीं आरक्षण सूची जारी होने के बाद ये मामला दोबारा अदालत न पहुंच जाए।