19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग होगी

2024 लोकसभा चुनाव के फर्स्ट फेज में गुरुवार यानी 19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग होगी। 2019 में इन सीटों पर सबसे ज्यादा भाजपा ने 40, DMK ने 24, कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं। अन्य को 23 सीटें मिली थीं।
चुनाव आयोग के मुताबिक, इलेक्शन के पहले फेज में कुल 1,625 कैंडिडेट्स मैदान में हैं, जिनमें 1,491 पुरुष और 134 महिला उम्मीदवार हैं। इनमें महिलाएं केवल 8% हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) ने 1,618 उम्मीदवारों के हलफनामे में दी गई जानकारी पर एक रिपोर्ट तैयार की। इनमें से 16% यानी 252 उम्मीदवार पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
वहीं, 450 यानी 28% उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनके पास एक करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। 10 ने अपनी संपत्ति शून्य बताई है, जबकि तीन के पास 300 से 500 रुपए की संपत्ति है।
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, 10% यानी 161 कैंडिडेट ऐसे हैं जिन पर हत्या, किडनैपिंग जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। 7 उम्मीदवारों पर हत्या और 19 पर हत्या की कोशिश के मामले हैं।
18 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। इनमें से एक पर रेप का मामला भी दर्ज है। वहीं, 35 कैंडिडेट्स पर हेट स्पीच से जुड़े मामले दर्ज हैं।
ADR ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इलेक्शन के पहले फेज में 1618 उम्मीदवारों में से 450 यानी 28 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनके पास एक करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। कैंडिडेट्स के पास औसत संपत्ति 4.51 करोड़ रुपए है।
10 उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति शून्य बताई है, जबकि तीन के पास 300 से 500 रुपए की संपत्ति है। तमिलनाडु की थुथुकूडी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के. पोनराज 320 रुपए के साथ सबसे गरीब उम्मीदवार हैं।
चुनाव के पहले चरण की 9 हॉट सीटें…
नागपुर (महाराष्ट्र)
RSS का हेडक्वॉर्टर होने के बावजूद नागपुर हमेशा कांग्रेस का गढ़ रहा। 1952 से 1996 तक और 1998 से 2009 तक ये सीट कांग्रेस के कब्जे में रही। 1996 के चुनाव में पहली बार BJP का खाता खुला था। तब बनवारीलाल पुरोहित सांसद चुने गए थे। 2014 में नितिन गडकरी ने कांग्रेस की जीत का सिलसिला तोड़ दिया। तभी से वे नागपुर सीट से सांसद हैं। गडकरी अब तीसरी बार मैदान में हैं। मुकाबला कांग्रेस के विकास ठाकरे से है। विकास ठाकरे नागपुर वेस्ट से विधायक हैं और मेयर रह चुके हैं।
छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
70 साल से ज्यादा समय से यह सीट कांग्रेस के पास है। बीते 45 साल से यहां नाथ परिवार का मेंबर जीत रहा है। हालांकि, 1997 में हुए उपचुनाव में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को 37 हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया था। इसके बाद अगले ही साल कमलनाथ ने भी पटवा को बड़े अंतर से हराया।
कमलनाथ यहां 1980 से 2019 के बीच 9 बार सांसद रहे। 2018 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कमान बेटे को सौंपी और 2019 में मोदी लहर के बावजूद नकुलनाथ एमपी की यह सीट जीतने में कामयाब रहे। खास बात है कि तब छिंदवाड़ा एकमात्र ही ऐसी सीट थी, जिसे कांग्रेस जीत पाई थी।​ इस बार भी कांग्रेस ने यहां से नकुलनाथ को उम्मीदवार बनाया है।
भाजपा ने नकुलनाथ के खिलाफ जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू को उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले साहू 2019 उपचुनाव और 2023 विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के हाथों हार चुके हैं।
मंडला (मध्य प्रदेश)
भाजपा ने यहां से 6 बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस के चार बार के विधायक ओमकार सिंह मरकाम से है। इस सीट पर बीजेपी की चिंता इस वजह से बढ़ी हुई है, क्योंकि 6 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव के दौरान फग्गन सिंह कुलस्ते को मंडला जिले की निवास सीट से हार का सामना करना पड़ा था। मंडला संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस तो 3 पर बीजेपी का कब्जा है।
नगीना (उत्तर प्रदेश)
यूपी के बिजनौर जिले की नगीना लोकसभा सीट इस बार हाई-प्रोफाइल हो गई है। यहां युवा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद अपनी पार्टी ‘आजाद समाज पार्टी’ से चुनाव लड़ रहे हैं। इसी वजह से सीट पर मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। BJP की ओर से यहां नहटौर विधायक ओम कुमार मैदान में हैं तो इंडिया गठबंधन की ओर से पूर्व जज मनोज कुमार हैं। जबकि बहुजन समाज पार्टी की ओर से सुरेंद्र पाल प्रत्याशी हैं।
दरअसल, 2019 के मोदी लहर में भी यह सीट बसपा ने जीत ली थी। इस सीट से बसपा के गिरीश चंद्र जाटव ने जीत हासिल की थी, लेकिन मायावती ने उन्हें इस बार बुलंदशहर से मैदान में उतारा है।
बीकानेर (राजस्थान)
राजस्थान के बीकानेर में इस बार भी बीजेपी ने मौजूदा कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को ही अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने उनके सामने राजस्थान सरकार में मंत्री रहे गोविंदराम मेघवाल को उतारा है। गोविंदराम मेघवाल हाल में खाजूवाला सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे। अर्जुनराम मेघवाल लगातार 3 बार से सांसद बन रहे हैं।
अरुणाचल पश्चिम
भाजपा ने इस सीट पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू को मैदान में उतारा है। उनको कांग्रेस अध्यक्ष नबाम तुकी चुनौती देंगे। तुकी अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जो पापुम पारे जिले के सागली की विधानसभा सीट से 6 बार चुने जा चुके हैं।
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में इस सीट पर BJP प्रत्याशी किरण रिजिजू को जीत मिली थी। वहीं, 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ताकम संजॉय जीते थे।
उधमपुर (जम्मू-कश्मीर)
जम्मू-कश्मीर की उधमपुर-डोडा लोकसभा सीट से तीसरी बार जीत के लिए मैदान में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह हैं। उन्होंने 2014 में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को 61 हजार वोटो से हराया था। इसके बाद 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम आदित्य सिंह को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।
अलवर (राजस्थान)
अलवर सीट पर बीजेपी ने भूपेंद्र यादव को और कांग्रेस ने ललित यादव को चुनावी दंगल में उतारा है। ललित यादव मुंडावर से विधायक हैं। उन्होंने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में 50 हजार से ज्यादा वोट से जीत दर्ज की थी। वहीं, भूपेंद्र यादव राजस्थान से ही दो बार राज्यसभा सांसद भेजे गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में अलवर सीट में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बाबा बालक नाथ ने जीत दर्ज की थी।
कूचबिहार (पश्चिम बंगाल)
भाजपा ने इस सीट से केंद्रीय मंत्री निशीथ प्रमाणिक को मैदान में उतारा है, जबकि टीएमसी ने जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया पर दांव खेला है। 2019 में कूचबिहार सीट से बीजेपी उम्मीदवार निशीथ प्रमाणिक सांसद चुने गए थे। 2019 में निशीथ प्रमाणिक को तृणमूल कांग्रेस ने निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद वे बीजेपी के टिकट पर कूचबिहार से चुनाव लड़े और जीत गए। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के अधिकारी परेश चंद्र को 54231 वोटों के अंतर से हराया था।