पश्चिम बंगाल के 19 जिलों के 697 बूथों पर आज फिर पंचायत चुनाव की वोटिंग हो रही है। इनमें मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बीरभूम, जलपाईगुड़ी और दक्षिण 24 परगना शामिल हैं। आज होने वाले चुनाव में सबसे ज्यादा बूथ 175 मुर्शिदाबाद में और उसके बाद 110 बूथ मालदा में हैं।
8 जुलाई को पंचायत चुनाव के 73,887 ग्राम पंचायत सीटों में से 64,874 पर मतदान हुआ था। कई इलाकों से बूथ लूटने, बैलेट पेपर फाड़ने, बैलेट पेपर में आग लगाने और बम फेंकने की घटनाएं हुईं। जिन बूथों पर बैलेट बॉक्स से छेड़छाड़ और हिंसा की घटनाएं देखी गई थीं, उन्हीं पर दोबारा मतदान हो रहे हैं।
चुनाव के दिन छह जिलों में 16 लोगों की हत्या की गई। इसके साथ ही एक महीने में जान गंवाने वालों की संख्या 35 हो गई। 8 जून को चुनावों का ऐलान होने के बाद से 7 जुलाई तक 19 लोगों की जान गई थी।
मुर्शिदाबाद में 175, मालदा में 110, नादिया में 89, कूचबिहार में 53, नॉर्थ 24 परगना में 46, उत्तरी दिनाजपुर में 42, साउथ 24 परगना में 36, पूर्वी मिदनापुर में 31, हुगली में 29, साउथ दिनाजपुर में 18, बीरभूम में 14, जलपाईगुड़ी में 14, पश्चिम मिदनापुर में 10, हावड़ा में 8, बांकुरा में 8, पश्चिम बर्दवान में 6, पुरुलिया में 4, पूर्वी बर्दवान में 3 और अलीपुरदार में 1 सीट पर री-वोटिंग हो रही है।
हिंसा की घटनाओं को लेकर BSF DIG एसएस गुलेरिया ने रविवार को कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग से कई बार सेंसिटिव बूथ की जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं दी गई। राज्य चुनाव आयोग ने सिर्फ 7 जून को सेंसिटिव बूथ की संख्या बताई। उनकी लोकेशन या कोई और अन्य जानकारी नहीं दी गई।
उन्होंने कहा कि राज्य में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) के 59 हजार ट्रूप और 25 राज्यों की आर्म्ड पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन इसका ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा सका। राज्य सरकार ने बताया था कि सिर्फ 4,834 सेंसिटिव बूथ हैं, जिन पर CAPF को तैनात किया गया था, लेकिन असल में यहां कई ज्यादा सेंसिटिव पुलिस बूथ थे। BSF की तैनाती तो स्थानीय प्रशासन की मांग पर ही की गई थी।चुनाव के दौरान हिंसा फैलाने के आरोपों को लेकर बंगाल चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने कहा कि यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी कि चुनाव के दौरान भीड़ को कंट्रोल करें। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय बल बंगाल में समय रहते कंपनियां तैनात नहीं कर सका
विपक्ष के नेता और नंदीग्राम से भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने पंचायत चुनाव में हुई हत्याओं के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, TMC के गुंडों और पुलिस की मिलीभगत से इतनी हत्याएं हुईं। इस मामले की CBI और NIA को जांच करनी चाहिए।
शुभेंदु अधिकारी ने कहा- ‘यह चुनाव नहीं हो रहा था, वोटों की लूट हो रही थी और मौतें हो रही थीं। हिंसा और आगजनी हो रही थी। चुनाव में केंद्रिय सुरक्षा बलों को तैनात करने की बात कही गई थी। हिंसा के दौरान वे कहां थे? शुभेंदु ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि CCTV की निगरानी का दावा किया गया था लेकिन कहीं भी CCTV कैमरे नहीं लगाए गए थे।’
: शनिवार सुबह मुर्शिदाबाद के बेलडांगा और कूचबिहार के तूफानगंज में दो पार्टी कार्यकर्ताओं, जबकि मालदा के मानिक चौक में TMC नेता के रिश्तेदार की हत्या कर दी गई। अभी तक कुल 9 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं।
CPI(M): पूर्वी बर्दवान में शुक्रवार रात 32 साल के CPI(M) कार्यकर्ता रजिबुल हक को गोली मार दी गई थी। शनिवार सुबह उसने कोलकाता के NRS मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ दिया। CPI(M) के तीन कार्यकर्ताओं के मरने की खबर है।
8 जुलाई को पश्चिम बंगाल की 73,887 ग्राम पंचायत सीटों में से 64,874 पर मतदान हुआ। बाकी 9,013 सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया था। निर्विरोध चुने जाने वाले उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 8,874 तृणमूल कांग्रेस से हैं। पंचायत चुनाव के नतीजे 11 जुलाई को आएंगे।
राज्य में सेंट्रल फोर्सेस की तैनाती के बाद भी अलग-अलग इलाकों से हिंसा की खबरें आईं थी। कई इलाकों से बूथ लूटने, बैलेट पेपर फाड़ने, बैलेट पेपर में आग लगाने की घटनाएं देखी गईं थी। कूच बिहार के माथभंगा-1 ब्लॉक के हजराहाट गांव में एक युवक बैलेट बॉक्स लेकर भाग गया था।
राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, हिंसा के बावजूद शनिवार को 81% लोगों ने वोट डाले। पूर्वी मिदनापुर में सबसे ज्यादा 84.7% मतदान हुआ। इसके बाद बीरभूम में 83.1% , बांकुरा में 83% और झारग्राम में 82.4% वोटिंग हुई। उत्तरी बंगाल हिल्स के कलीमपोंग में 67.2% और दार्जिलिंग में 65.8% मतदान हुआ
भास्कर के रिपोर्टर अक्षय बाजपेयी ने ISF के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दीकी से हिंसा को लेकर बातचीत की। उन्होंने कहा, टमेरी विधानसभा में जिस दिन से नॉमिनेशन शुरू हुआ उसी दिन से TMC के लोगों ने आम जनता पर दबाव डालना शुरू कर दिया था।’
उन्होंने कहा, हम जहां रहते हैं वहां 7 जुलाई की रात में भी TMC के गुंडों ने बमबाजी की थी। वे लोग जानते हैं कि आम आदमी अधिक वोट डालेगा तो सरकार के खिलाफ वोट डालेगा, इसलिए वह ऐसा माहौल बना रहे थे कि लोग वोट ना डाल पाएं।
TMC के लोकल लीडर्स कट मनी लेते हैं इसलिए आम लोगों ने अब तय कर लिया है कि उन्हें वोट नहीं डालेंगे। ऐसा हुआ तो रूलिंग पार्टी से जुड़े नेताओं की रोजी-रोटी बंद हो जाएगी। भांगड़ में चुनाव हारने के बाद TMC अब किसी भी हाल में पंचायत को अपने पक्ष में करना चाहती है, भले ही किसी की जान भी क्यों न लेनी पड़े।’