गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले में आज राज्य की 89 सीटों पर मतदान शुरू हो गया है। राज्य के 19 जिलों में आने वाली इन सीटों पर 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले फेज में दो करोड़ से ज्यादा अपने मत का इस्तेमाल करेंगे। पहले फेज की कुल 89 सीटों में से भाजपा के पास सबसे ज्यादा 58, कांग्रेस के पास 26 और BTP के पास 2, NCP के पास एक सीट है।
गुजरात में पहले फेज के लिए वोटिंग सुबह 8 बजे शुरू हो गई। पहले फेज में वोटिंग वाली 89 में से दो सीटें खाली थीं। आज जिन सीटों पर खास नजर रहेगी, वे हैं- मोरबी, कच्छ, राजकोट, पोरबंदर और जूनागढ़।
नवसारी जिले के वासंदा में कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। इसमें वासंदा के बीजेपी कैंडिडेट पीयूष पटेल जख्मी हो गए। बता दें, वासंदा कांग्रेस का गढ़ है। कांग्रेस से अनंत पटेल मैदान में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अमित शाह ने गुरुवार को मतदाताओं से बड़ी तादाद में वोटिंग की अपील की।
गुजरात के मिनी अफ्रीका कहने जाने वाले जम्बूर गांव में पहली बार लोग वोट डालेंगे। यहां उनके लिए स्पेशल ट्राइबल बूथ बनाया गया है।
वोटिंग से एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को पोलिंग पार्टियां रवाना कर दी गईं। कई जगह बसों में तो कई जगह नाव से चुनाव सामग्री पहुंचाई गई।
नीचे दिए ग्राफिक के जरिए आप गुजरात चुनाव का पूरा शेड्यूल समझ सकते हैं….
पहले फेज की कुल 89 सीटों में से छह से सात सीटें ऐसी हैं, जहां केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानी AAP का असर है। इनमें से छह सीटें सूरत जिले की हैं। वहीं, एक सीट द्वारका जिले में है। द्वारका की खंभालिया सीट से AAP के CM कैंडिडेट ईशुदान गढ़वी चुनाव मैदान में हैं।
पुल हादसे के चलते चर्चा में आए मोरबी जिले की तीन सीटों मोरबी, टंकारा और वांकानेर पर आज वोटिंग हो रही है। इन सीटों पर चुनावी हार-जीत का आंकड़ा देखें, तो 1962 से लेकर अब तक छह बार भाजपा और पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। दो बार निर्दलीय कैंडिडेट जीते हैं।
पिछले चुनाव यानी 2017 की बात करें तो पाटीदार प्रभावित मोरबी सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले ब्रजेश मेरजा ने पार्टी बदल ली थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। हालांकि, इस बार भाजपा ने ब्रजेश मेरजा को टिकिट नहीं दिया है और कांति अमृतिया को चुनाव मैदान में उतारा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट राजकोट पश्विम पर भी पहले फेज में वोटिंग हो रही है। मोदी ने 2002 में राजकोट पश्विम से चुनाव लड़ा था। तब मोदी 14 हजार वोट से जीते थे। 2002 के बाद दो बार भाजपा से वजुभाई वाला और एक बार विजय रूपानी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। लोहाना, ब्राह्मण, पाटीदार और जैन समाज के असर वाली इस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. दर्शिता शाह को उतारा है।
गुजरात में 2012 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी लीडरशिप में लड़ा गया आखिरी चुनाव था। तब मोदी ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे।
2012 के मुकाबले 2017 में पहले चरण की सीटों पर औसत वोटिंग घट गई थी। इसका सीधा नुकसान भाजपा को हुआ था।
2012 में जब वोटिंग ज्यादा हुई, तो भाजपा के खाते में 61 सीटें आई थीं। 2017 में वोटिंग घटने से भाजपा की सीटें भी घटकर 48 रह गईं।
नीचे दिए ग्राफिक के जरिए आप गुजरात में पिछले दो विधानसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टियों को मिलीं सीटों को समझ सकते हैं…
182 सीटों के लिए हो रहे इस चुनाव में 1 दिसंबर को 89 सीटों पर और 5 दिसंबर को 93 सीटों पर वोटिंग होगी। नतीजे 8 दिसंबर को यानी हिमाचल विधानसभा चुनाव के साथ ही आएंगे। राज्य में इस बार 4.6 लाख लोग पहली बार वोट करेंगे। चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गुजरात में मोरबी पुल हादसे पर दुख जाहिर किया।
भाजपा ने गुजरात चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया। पार्टी ने कांग्रेस से दोगुनी नौकरियां देने का वादा किया है। भाजपा ने 5 साल में 20 लाख, जबकि कांग्रेस ने 10 लाख नौकरियां देने की बात कही है। इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी ने छात्राओं को मुफ्त में इलेक्ट्रिक स्कूटी देने का वादा भी किया गया है।
गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 1 दिसंबर को मतदान होगा। इसके लिए चुनाव प्रचार मंगलवार शाम 5 बजे थम गया। पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान होगा, इसके लिए 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस दौरान मोरबी, कच्छ, राजकोट, पोरबंदर और जूनागढ़ जैसी सीटों पर वोटिंग होगी। 19 जिलों में होने वाली वोटिंग में 2 करोड़ से ज्यादा वोटर्स अपने मत का प्रयोग करेंगे।
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कल यानी 1 दिसंबर को पहले चरण का मतदान होना है। इससे एक दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि गुजरात में भाजपा फिर सरकार बनाएगी। न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी पार्टी है, लेकिन वह देशभर में संकट से जूझ रही है। इसका असर गुजरात में भी नजर आ रहा है।