फिल्म 12th फेल के साथ विधु विनोद चोपड़ा ने डायरेक्शन में वापसी की है। इस फिल्म को बनाने में विधु विनोद चोपड़ा ने चार साल का लंबा समय लगाया है। विधु विनोद चोपड़ा ने दैनिक भास्कर को एक्सक्लूसिवली बताया कि वो किसी भी काम को करने में जल्दबाजी नहीं करते हैं। शायद इसी वजह से इस फिल्म को बनाने में इतना वक्त लग गया।
उन्होंने फिल्म के लीड एक्टर विक्रांत मैसी पर भी बात की। विधु ने कहा कि किरदार असली लगे इसके लिए विक्रांत एक गांव में जाकर एक महीने रहे थे। इससे उनका चेहरा जल गया था।
विधु ने कहा- मैंने इस फिल्म को बनाने के पहले कम से कम 100-200 ड्राफ्ट तैयार किए थे। अगर आप मेरा कमरा देखेंगे तो वो आपको फाइलों से भरा दिखेगा। ये कहानी एक नहीं बल्कि 100-200 बार लिखी गई है। एक साल तक सिर्फ एक्टर्स के साथ रिहर्सल किया है।
मैंने खुद इस फिल्म को बनाया है, लेकिन जब पहली इसे देखा तो अपने आंसुओं को रोक नहीं पाया। मैं अपनी लाइफ को इस फिल्म से रिलेट कर रहा था। यह मेरी ही कहानी है। यह फिल्म किसी एक व्यक्ति की नहीं है, लाखों लोग इससे खुद को जोड़ सकते हैं।
विक्रांत मैसी के साथ काम करने पर विधु ने कहा- लोग मुझे पागल कहते हैं कि मुन्नाभाई और 3 इडियट्स के सीक्वल पर काम करने की जगह मैंने 12th पास जैसी एक फिल्म पर काम किया। हालांकि मेरा काम करने का तरीका यही है। आप खुद देखिए, इस फिल्म में विक्रांत मैसी ने क्या बेहतरीन काम किया है।
अपने रोल में परफेक्शन के लिए वो एक महीने तक किसी एक गांव में रहा था। फिल्म में वो काफी सांवला दिख रहा होगा। ऐसा नहीं कि उसने कोई मेकअप किया था। धूप में रहकर उसका चेहरा जल गया, शायद इसी वजह से उसकी एक्टिंग और लुक बिल्कुल नेचुरल लगा है।
यह फिल्म राइटर अनुराग पाठक की बुक ’12th फेल’ पर बेस्ड है। फिल्म का टाइटल भी सेम ही रखा गया है। ये फिल्म आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की असल जिंदगी से इंस्पायर्ड है। मध्य प्रदेश के चंबल इलाके के एक छोटे से गांव में रहने वाले मनोज कुमार शर्मा (विक्रांत मैसी) का सपना है कि वो किसी तरह नकल करके 12th पास कर ले जिससे कि उसको चपरासी की नौकरी मिल जाए, लेकिन फिर उसकी जिंदगी में कुछ ऐसा होता है जिससे कि उसका लक्ष्य ही बदल जाता है।विधु विनोद चोपड़ा वो शख्सियत हैं जिन्होंने अमिताभ बच्चन को चार करोड़ की रोल्स रॉयस कार गिफ्ट कर दी, जबकि खुद मारुति वैन से चलते थे। विधु विनोद चोपड़ा जब इंडस्ट्री में आए तो उनके पास इलाज के लिए पांच रुपए तक नहीं थे।
पहली ही फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने पर चार हजार रुपए मिले, वही चार हजार रुपए उनके जीवन की पहली कमाई थी। हालांकि, इन पैसों के मिलने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। इन पैसों को लेकर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ उनकी बहस हो गई थी।