वर्सेटाइल एक्ट्रेस शबाना आजमी आज 73 साल की हो गई हैं। 1974 में फिल्म अंकुर से बॉलीवुड डेब्यू करने वाली शबाना ने अर्थ, थोड़ी सी बेवफाई, नमकीन, फायर, मकड़ी जैसी कई यादगार फिल्में की हैं। 160 फिल्मों का हिस्सा रहीं शबाना को 2012 में पद्मभूषण से नवाजा गया था।
शबाना चंचल स्वभाव की रहीं। एक बार मां के डांटने पर सुसाइड करने रेलवे ट्रेक तक पहुंच गई थीं, ट्रेक पर एक चौकीदार ने उन्हें रोक लिया। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने परिवार की मदद के लिए पेट्रोल पंप पर कॉफी भी बेची। महान शायर कैफी आजमी और नामी थिएटर एक्ट्रेस शौकत आजमी की बेटी शबाना का भी झुकाव एक्टिंग और साहित्य दोनों में रहा। हालांकि, उन्होंने मां की विरासत को आगे बढ़ाया और फिल्मों में आ गईं।
18 सितंबर 1950 को हैदराबाद में शायर कैफी आजमी और नामी थिएटर आर्टिस्ट शौकत आजमी के घर शबाना का जन्म हुआ। जन्म के कुछ समय बाद कैफी आजमी, परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गए। वे कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे।
कैफी आजमी अपने काम लेकर बहुत सीरियस थे। शायरी और पार्टी के काम में ही पूरा वक्त बिता देते थे। परिवार 8 कमरों के घर में एक कमरे में रहता था। बाकी 7 कमरों में अलग-अलग फैमिली रहती थी।
कमाई का कोई बड़ा जरिया नहीं था। लेखनी से जो भी पैसा वो कमाते, सारा पार्टी के वेलफेयर फंड में जमा कर देते थे। इसके बदले पार्टी उन्हें सिर्फ 40 रुपए दे दिया करती थी। इन पैसों से परिवार चलाना मुश्किल होता था लेकिन इसके बावजूद वो पूरे परिवार का ध्यान रखते थे।
एक बार घर पर मां शौकत आजमी के परिवार वाले आ रहे थे। घर पर सिर्फ चावल ही थे। दाल तक खरीदने के पैसे नहीं थे। ये हालात देख नन्हीं शबाना को अच्छा नहीं लगा। जब उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो बगल में रहने वाले सरदार जाफरी के घर चली गईं। उन्होंने सरदार जाफरी की बहन से कहा- मुझे 8 आने की जरूरत हैं, अम्मी ने मांगे हैं। जरुरत देख उन्होंने शबाना आजमी को 8 आने दे दिए।
पैसे लेकर शबाना अम्मी के पास गईं। अम्मी ने सवाल किया- तुम्हें ये पैसे कहां से मिले?
शबाना ने कहा – सड़क पर गिरे थे, तो मैंने उठा लिए।
अम्मी ने जवाब दिया – सड़क पर गिरे पैसे नहीं उठाने चाहिए। इन्हें वहीं छोड़ देना था।
शबाना ने कहा- वहां पर कोई दिखा नहीं इसलिए मैंने उठा लिए।
इतना कहकर वो खेलने चली गईं। कुछ समय बाद सरदार जाफरी की बहन आईं और उन्होंने शौकत आजमी से पूछा कि पैसे उन्हें मिल गए। शौकत आजमी को समझ आ गया कि शबाना ने झूठ बोला है, वो बहुत गुस्सा हुईं। शबाना को बहुत डांट लगाई। उनको ये सीख दी कि वो जो भी काम करें, बता कर करें।
शौकत आजमी की ऑटोबायोग्राफी ‘कैफी एंड आई मेमॉयर’ के मुताबिक, एक बार किसी बात पर शबाना से नाराज मां ने गुस्से में उन्हें घर से निकल जाने के लिए कह दिया। शबाना बहुत दुखी हो गईं। फिर उन्होंने ग्रांट रोड के रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगे आने की कोशिश की।
किस्मत से उनके स्कूल का चौकीदार वहीं मौजूद था। शबाना को देख चौकीदार चिल्लाने लगा। बेबी…बेबी क्या कर रही हो’ कहते हुए उसने शबाना को खींच लिया।
शबाना बचपन से ही उसूल वाली रही हैं। मां उन्हें जुहू से सांताक्रूज स्टेशन तक बस के लिए 30 पैसे रोज देती थीं। अगर उन्हें कोई स्नैक्स चाहिए होते थे तो वह पांच पैसे बचाने के लिए जुहू चौपाटी पर ही उतर जाती थीं। मगर कभी पेरेंट्स से एक्स्ट्रा पैसे नहीं मांगे।सीनियर कैम्ब्रिज में फर्स्ट डिवीजन पास होने के बाद कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले शबाना ने तीन महीने पेट्रोल पंप पर कॉफी बेची थी। इससे उन्हें 30 रुपए रोज मिलते थे। इस बारे में उन्होंने कभी पेरेंट्स को नहीं बताया। एक दिन शबाना ने कमाए हुए सारे पैसे मां को दे दिए। तब मां को इसका पता चला।
मां शौकत आजमी पृथ्वी थिएटर के साथ जगह-जगह टूर पर जाया करती थीं। साथ में वो शबाना को भी ले जाती थीं। शो के दौरान क्राउड में शबाना को भी कास्ट कर लिया जाता था। यहीं से उनका रुझान एक्टिंग की तरफ हुआ।
1973 में शबाना ने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से ग्रेजुएशन किया। फिर उन्होंने श्याम बेनगल की डायरेक्टोरियल फिल्म अंकुर (1974) से बाॅलीवुड में कदम रखा था। अर्थ, निशांत, जुनून, शतरंज के खिलाड़ी, थोड़ी सी बेवफाई, नमकीन, फायर, मकड़ी जैसी फिल्मों में जबरदस्त एक्टिंग की है।
शबाना आजमी ने फिल्म कैंपेनियन को दिए इंटरव्यू में यह बात कबूल की थी कि वे कई साल ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी फिल्मों के डायरेक्टर शेखर कपूर के साथ रिलेशनशिप में रही हैं। उनका ब्रेकअप भी आपसी सहमति से हुआ था। शबाना ने यह भी कहा था कि जब उनका ब्रेकअप हो गया, तब भी उन्होंने शेखर के साथ एक फिल्म की। इसके डायरेक्टर शेखर थे और उनकी पत्नी मेधा उन्हें असिस्ट कर रही थीं।
2004 में एक इंटरव्यू के दौरान शबाना ने यह माना था कि उन्हें शशि कपूर पर क्रश था। शबाना ने कहा था, शशि और उनकी पत्नी जेनिफर हमारे फैमिली फ्रेंड थे। पृथ्वीराज कपूर मेरे पेरेंट्स के पड़ोस में रहते थे और हर रविवार जब शशि कपूर पापा से मिलने आते तो मैं उनके साइन के लिए एक फोटो खरीद लेती थी। जब मैं ‘फकीरा’ (1976) के लिए उनके साथ सिलेक्ट हुई तो घबराई हुई थी। वे बहुत बड़े हीरो थे। शशि और जेनिफर ने मुझे खूबसूरत बनाया।
2004 में एक इंटरव्यू के दौरान शबाना ने कहा था, ‘जावेद अक्सर अब्बा के पास पोएट्री लेकर आते थे और सलाह लेते थे। जब मैंने उन्हें जाना तो वे कुछ मजाकिया, अच्छे जानकार और कई मायनों में अब्बा के जैसे लगे। यही वजह है थी कि मैं उनके प्रति अट्रैक्ट हुई। जावेद पहले से मैरिड थे इसलिए हमने कई बार ब्रेकअप की कोशिश भी की। बाद में उन्होंने पहली पत्नी से तलाक लिया और 9 दिसंबर 1984 को हमारी शादी हो गई।
जावेद अख्तर की पहली शादी हनी ईरानी से हुई थी। दोनों के दो बच्चे हैं। मार्च 1972 को जावेद और हनी की शादी हुई थी और इसके 7 महीने बाद अक्टूबर 1972 में वे बेटी जोया के पेरेंट्स बने। उनके बेटे फरहान अख्तर का जन्म 1974 में हुआ। गौरतलब है कि शबाना और जावेद की कोई संतान नहीं है।