KGMU के ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर फुल हो गए हैं। हालात यह है कि 24 घंटे बाद भी मरीजों को वेंटिलेटर बेड नहीं मिल पा रहे हैं। इसकी वजह से गंभीर मरीजों को सांसे दे पाने में अड़चन आ रही है।
ट्रॉमा सेंटर में करीब 400 बेड हैं। इसमें आईसीयू, वेंटिलेटर, एनआईसीयू बेड भी शामिल हैं। मेडिसिन, एनआईसीयू, पीआईसीयू, ट्रॉमा सर्जरी, इमरजेंसी मेडिसिन समेत दूसरे विभागों में वेंटिलेटर संचालित हो रहे हैं। बेड भरने की दशा में स्ट्रेचर पर इलाज उपलब्ध कराया जाता है। रोजाना 30 से 40 मरीज वेंटिलेटर की जरूरत वाले आ रहे हैं। काफी मरीजों को वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में जान बचाने के लिए लोग निजी अस्पतालों का सहारा ले रहे हैं।
वही गंभीर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा चोट लगे मरीज आ रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक, लिवर, किडनी समेत दूसरी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज लाए जा रहे हैं। गंभीर मरीजों का दबाव बढ़ गया है। वेंटिलेटर बेड फुल हो गए हैं। मरीजों को वेंटिलेटर मिलने में अड़चन आ रही है। मरीज तड़प रहे हैं। डॉक्टर मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए मरीज को एम्बुबैग लगा रहे हैं। इसमें तीमारदार बैग को दबाकर मरीज को सांसें देने का प्रयास करते हैं
मऊ निवासी रामनरेश उपाध्याय को गठिया की समस्या हुई। परिवारीजन उन्हें लेकर गोरखपुर पहुंचे। यहां इलाज के दौरान मरीज की तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत बताई। लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया पहुंचे। परिवारीजन मंगलवार को सुबह उन्हें लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। डॉक्टरों ने देखा। वेंटिलेटर की जरूरत बताई। खाली न होने पर एम्बुबैग लगा दिया। मरीज की हालत बिगड़ती चली गई। बुधवार को सुबह परिवारीजनों ने मरीज को बलरामपुर अस्पताल रेफर करा लिया। यहां मरीज को वेंटिलेटर बेड मिला।