सनी देओल और अमीषा पटेल स्टारर ‘गदर-2’ थिएटर्स में 11 अगस्त को रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन अनिल शर्मा ने किया है। फिल्म में उनके बेटे उत्कर्ष शर्मा, सनी देओल के बेटे जीते का रोल प्ले कर रहे हैं। और उन्होंने अपना एक्सपीरियन्स शेयर किया है।
लॉकडाउन के दौरान फर्स्ट पार्ट के राइटर शक्तिमान तलवार ने ‘गदर-2’ की कहानी सुनाई। उस वक्त यह तारा सिंह और सकीना के परिवार की ही कहानी थी। इसकी कास्टिंग और टेक्नीशियन को हायर करने की बात चली तब यह तय हुआ कि ‘गदर 2’ में ‘गदर- एक प्रेमकथा’ के ज्यादा से ज्यादा आर्टिस्ट रिपीट किए जाएंगे।
क्योंकि ऑडियंस उनके साथ पहले से ही कनेक्टेड है। हालांकि, इसमें से कई एक्टर्स आज हमारे बीच नहीं हैं पर फिर भी हमने कई कलाकार रिपीट किए। फिल्म में बच्चे जीत के किरदार से भी लोगों ने काफी जुड़ाव महसूस किया था। कहानी में जीत के किरदार की जरूरत भी थी तो बस मेरा सिलेक्शन हो गया। लोगों को भरोसा भी था कि मैं अच्छा काम कर सकूंगा।
वेट के साथ थोड़ा खेलना पड़ा। जीते का किरदार अब 20-21 साल का है। इसके लिए मैंने अपना वेट लूज किया। बाद में कुछ एक्शन वाले पोर्शन के लिए फिर से थोड़ा बिल्ड अप किया। एक्शन की काफी रिहर्सल हुई। फिल्म में चार-चार एक्शन मास्टर हैं, सबके साथ मेरी रिहर्सल हुई। शुरू के दो-ढाई महीने में मैंने 8 से 9 किलो वजन बढ़ाया। यह एकदम अर्जेंट था, क्योंकि सभी एक्टर्स की डेट फाइनल हो गई थी शूटिंग शुरू होने ही वाली थी। बाद में एक्शन सीन के लिए तीन-चार किलो मसल्स भी बढ़ाने पड़े। डेढ़-दो महीने तक दाढ़ी भी बढ़ानी पड़ी है, क्योंकि डिफरेंट लुक में दिखाई देना था।
उनके गुस्से का शिकार तो मैं ‘गदर’ में ही हो गया था जब मैं चार-पांच साल का था। शूटिंग का पहले ही दिन था। ह बिना नींद लिए लगातार तीन दिन से शूट कर रहे थे। मुझे तो पता ही नहीं था कि शूटिंग क्या होती है। मैं नींद में था। तारा सिंह और सकीना की शादी का सीन चल रहा था।
सनी देओल और अमरीश पुरी के डायलॉग चल रहे थे और हमारे ऊपर कैमरा था। एक शाॅट के दौरान मैं पूरी तरह नींद में था और मेरी आंख भी बंद हो गई, तभी मेरे गाल पर एक जोरदार तमाचा पड़ा। मैंने देखा कि सामने पापा खड़े हैं। बोले- सब लोग इतनी मेहनत कर रहे हैं। तुम्हें भी मेहनत करनी है।
दरअसल, पापा इस तरह कभी गुस्सा नहीं होते लेकिन प्रोफेशनलिज्म और काम के मामले में हाई स्टैंडर्ड रखते हैं। सेट पर वो सबसे एक्सपेक्ट करते हैं। मैं पांच साल की उम्र में ही पापा के साथ काम करना सीख गया था।
पार्ट 2 की शूटिंग में पापा का वह रूप कभी नहीं देखा। पापा ने मुझे डेडिकेशन सिखाया और बताया कि सेट पर हम बाप-बेटे नहीं, बल्कि डायरेक्टर और एक्टर हैं।
‘गदर-2’ की सबसे बड़ी चुनौती इसकी स्क्रिप्ट थी। पापा इस फिल्म को कई सालों से बनाना चाह रहे थे, लेकिन ऐसी कोई कहानी नहीं मिल रही थी। जो कहानियां मिल रही थीं, वे जंच नहीं रही थीं, इसलिए वो साइड में रख दी जाती थीं। यह कहानी मिली, इसका सस्पेंस और किरदारों का इमोशनल कनेक्ट सबकुछ परफेक्ट रहा। हमारी कोशिश यही थी कि इसे ग्लैमरस न रखते हुए, जरूरत से ज्यादा रियलिस्टिक रखें। यह भी हमारे लिए चुनौती थी।