ट्विटर के स्पेसेज या आभासी चौपाल का जमकर इस्तेमाल, चुनाव प्रचार को तकनीक ने बनाया आसान,

उत्तर प्रदेश विधानसभा के चार चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। पहले दो चरणों पर कोरोना महामारी की छाया रही और ज्यादातर प्रचार आभासी माध्यमों के जरिए हुए। बाद में चुनाव का पारंपरिक रंग देखने को मिला। इस चुनाव में एक नया ट्रेंड देखने का मिला वह है इंटरनेट मीडिया और तकनीक का प्रचार में उपयोग। 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार देश की जनता ने तकनीक का कमाल देखा था। उस वक्त पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने पहली बार अपने चुनाव प्रचार के दौरान होलोग्राम तकनीक का उपयोग किया था। इस तकनीक में वह अपने निवास से जनसभा को संबोधित करते थे, न्यूज चैनलों के स्टूडियो में लाइव दिखाई देते थे। इससे समय की बचत होती थी। 2014 को लोकसभा चुनाव में फेसबुक और ट्विटर का भी उपयोग हुआ था।
चुनाव में तकनीक का उपयोग उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिल रहा है। इस बार प्रचार में ट्विटर के स्पेसेज का जमकर उपयोग हो रहा है। इसमें किसी भी ट्विटर हैंडल से आडियो के जरिए कहीं से भी जुड़ा जा सकता है। किसी भी विषय पर चर्चा आयोजित की जा रही है। हर दिन शाम को ट्विटर स्पेसेज पर राजनीतिक चर्चा सुनी जा सकती है। नेता और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग अपने घर से या यात्रा के दौरान भी स्पेसेज पर जनता के सामने अपनी बात रखते हैं। स्पेसेज आयोजित करने वाला होस्ट किसी को भी बोलने की अनुमति दे सकता है। अलग-अलग राजनीतिक दल भी स्पेसेज आयोजित करते हैं।