यूपी विधानसभा चुनाव: बीजेपी को रोकने की कवायद

उत्तर प्रदेश की सियासत में जो ताज़ा सूरत-ए-हाल है उसमें विपक्षी दलों का एकमात्र लक्ष्य बीजेपी को सत्ता में वापस आने से रोकना है। लेकिन बीजेपी को रोकना क्या इतना आसान है। इसके लिए मज़बूत गठबंधन, समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम सहित बहुत सारी चीजों की ज़रूरत है लेकिन पहली जो शर्त है वह है- मज़बूत गठबंधन। एक ऐसा गठबंधन जिसमें शामिल दल जनता को भरोसा दिला सकें कि वे बीजेपी को हरा सकते हैं, तभी जनता उन्हें वोट देगी, वरना वोट बंट जाएगा।

अखिलेश यादव की क्या तैयारी है, इसके लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एसपी यानि समाजवादी पार्टी प्रमुख ने मज़बूत किलेबंदी कर ली है और महान दल को भी एसपी के गठबंधन में शामिल कर लिया है।

इस बात की भी चर्चा है कि अखिलेश यादव अपने रुठे हुए चाचा शिवपाल सिंह यादव को मना रहे हैं और उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को भी अपने गठबंधन में शामिल करेंगे।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में अब जब सिर्फ़ 7 महीने का वक़्त बचा है और इतने बड़े प्रदेश को मथने के लिए तो 7 साल का वक़्त भी कम पड़ जाता है, ऐसे में तेज़ और मज़बूत तैयारी ज़रूरी है। कोरोना के कारण बहुत सारा क़ीमती समय पहले ही ज़ाया हो चुका है, ऐसे में अखिलेश यादव किसी मज़बूत गठबंधन के भरोसे ही सियासी ताल ठोकने और उत्तर प्रदेश को फतेह करने की तैयारी में जुटे हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ अखिलेश यादव ही छोटे दलों को जोड़ रहे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी पिछले दो साल से उत्तर प्रदेश में छोटे दलों का गठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। भागीदारी संकल्प मोर्चा के नाम से बनाए गए गठबंधन में वह अब तक दस दलों को जोड़ चुके हैं। इसमें उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, के अलावा पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी, कृष्णा पटेल का अपना दल, ओवैसी की एआईएमआईएम शामिल हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी को भी इसमें जोड़ने की तैयारी है।