रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका व उसके सहयोगी देशों ने मास्को की शीर्ष सुरक्षा मांगों की अनदेखी की है, लेकिन उनका देश यूक्रेन के मुद्दे पर पश्चिमी देशों के साथ वार्ता के लिए अब भी तैयार है। उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक फैसले पर हस्ताक्षर किया है, जिसके तहत अगले तीन वर्षो में देश की सैन्य क्षमता एक लाख कर दी जाएगी और सैनिकों के वेतन में भी इजाफा किया जाएगा। जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि इस फैसले का कतई यह मतलब नहीं कि रूस के साथ युद्ध नजदीक है।
पुतिन ने कहा कि यूक्रेन के मुद्दे पर जारी तनाव को कम करना रूस समेत सभी पक्षों के हित में है। उन्होंने नाटो में यूक्रेन को शामिल नहीं किए जाने संबंधी रूस की मांगों पर विचार नहीं करने के लिए पश्चिम की निंदा की। रायटर के अनुसार, सांसदों को संबोधित करते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें तनाव लेने के बजाय शांत और एकजुट रहना चाहिए तथा रूस के साथ जारी तनाव का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यूक्रेन के पास फिलहाल 25 हजार सैनिक हैं, जबकि रूस के पास सैनिकों की संख्या और अत्याधुनिक उपकरण काफी अधिक हैं।
बाइडन प्रशासन के तीन अधिकारियों ने दावा किया है कि रूस की सरकार ने यूक्रेन संकट को कम करने के उद्देश्य से अमेरिका के प्रस्ताव पर लिखित प्रतिक्रिया भेजी है। बाइडन प्रशासन रूस पर यूक्रेन सीमा पर तनाव कम करने का दबाव बना रहा है। हालांकि, रूस के उप विदेश मंत्री ग्रुश्को एलेक्जेंडर ने मंगलवार को सरकारी समाचार एजेंसी आरआइए नोवोस्ती को दिए गए साक्षात्कार में इन दावों को ‘झूठा’ करार दिया
रूस ने पश्चिमी देशों पर यूक्रेन को लेकर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि अमेरिका कीव में ‘नाजियों’ को सत्ता में लेकर आया है। रूस ने यह टिप्पणी सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में की, जहां दोनों देशों के प्रतिनिधियों में तीखी बहस हुई।
रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन पर तनाव भड़काने और उकसाने का आरोप लगाया। नेबेंजिया ने अमेरिकी राजदूत की तरफ देखते हुए कहा, ‘आप युद्ध की तरफ धकेल रही हैं। क्या आप चाहती हैं कि ऐसा हो?’ अमेरिकी राजदूत लिंडा थामस ग्रीनफील्ड ने पलटवार करते हुए कहा कि रूस ने यूक्रेन सीमा पर एक लाख से अधिक सैनिकों को तैनात कर रखा है, जो यूरोप में दशकों में सबसे बड़ा सैन्य जमावड़ा है।
एएनआइ के अनुसार, क्रेमलिन के प्रेस सचिव दमित्री पेस्कोव ने आरोप लगाया है कि अमेरिका, यूक्रेन के मुद्दे पर हिस्टीरिया को बढ़ावा दे रहा है। हिस्टीरिया भावनाओं से जुड़ी एक मानसिक अवस्था है। रूसी प्रेस सचिव अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर रूस कूटनीतिक समाधान के बजाय यूक्रेन पर हमला करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
यूएनएससी में यूक्रेन की स्थिति पर बैठक से पहले चीन के प्रक्रियागत मतदान के खिलाफ वोट देने तथा भारत, केन्या व गैबान के अनुपस्थित रहने पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के प्रथम उप स्थायी प्रतिनिधि दमित्रि पोलिंस्की ने चारों देशों को धन्यवाद दिया। पोलिंस्की ने अमेरिकी राजदूत लिंडा थामस ग्रीनफील्ड के एक ट्वीट के जवाब में ट्विटर पर लिखा, ‘जैसी उम्मीद थी, यह एक जनसंपर्क हथकंडे के अलावा और कुछ नहीं था। यह मेगाफोन डिप्लोमेसी (सीधे बातचीत के बजाय विवादित मामले में सार्वजनिक बयान देने की कूटनीति) का उदाहरण है। कोई सच्चाई नहीं, केवल आरोप और निराधार दावे।’ पोलिंस्की ने कहा, ‘यह अमेरिकी कूटनीति का सबसे खराब स्तर है। अपने चार सहयोगियों चीन, भारत, गैबान व केन्या का धन्यवाद, जो मतदान से पहले अमेरिकी दबाव के बावजूद डटे रहे।’ फ्रांस, अमेरिका व ब्रिटेन सहित 10 अन्य सदस्यों ने बैठक के पक्ष में मतदान किया। बैठक में भारत ने रेखांकित किया कि शांत व रचनात्मक कूटनीति समय की आवश्यकता है और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के व्यापक हित में सभी पक्षों को तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए।