तुर्किये के शहर इस्तांबुल के मुख्य कोर्ट के बाहर मंगलवार को दो आतंकियों को माार गिराया। ये हमलावर एक लेफ्टिस्ट संस्था से जुड़े थे और इन्होंने कोर्ट के बाहर सिक्योरिटी चेकपॉइंट पर हमला किया था, जिसमें एक व्यक्ति मारा गया था, जबकि पांच घायल हो गए थे। इन दो आतंकियों में एक महिला और एक पुरुष था।
इस घटना के बाद तुर्किये के राष्ट्रपति रिसिप तयैप एर्दोगन ने कहा कि मैं अपनी सिक्योरिटी फोर्सेस को बधाई देता हूं, जिन्होंने सही समय पर इस आतंकी हमले को रोका और आतंकियों को मार गिराया। एर्दोदन ने कहा कि इस हमले में तीन पुलिसवाले और तीन नागरिक घायल हुए थे। एक नागरिक की बाद में मौत हो गई।
गृह मंत्री अली यरलीकाया ने कहा कि सभी हमलावर रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स लिबरेशन पार्टी फ्रंट (DHKP-C) के सदस्य थे। ये एक लेफ्टिस्ट ग्रुप है, जिसने 1980 से अब तक तुर्किये में कई हमले किए हैं। हालांकि DHKP-C ने अब तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आतंकी घोषित किया गया ये ग्रुप मिडिल ईस्ट और बाकी दुनिया में अमेरिका के दखल से युद्ध कर रहा है। 2014 में वॉशिंगटन ने इस ग्रुप के लीडर पर 30 लाख डॉलर का इनाम घोषित किया था।
एक चश्मदीद ने मीडिया को बताया कि कोर्ट के मेन गेट के बाहर चेकपॉइंट पर हमलावरों की पुलिस से बहस हुई। पहले पुरुष ने गोली चलाई, इसके बाद महिला ने गोलियां चलाईं। इसके बाद पुलिस ने दोनों पर गोली चलाई जिसमें हमलावरों की मौत हो गई।
इस पूरे घटनाक्रम में करीब 20-25 गोलियां चलाई गईं। कोर्ट के बाहर अफरा-तफरी मच गई। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि किस तरफ जाएं। पुलिस ने आने-जाने के रास्तों को ब्लॉक कर दिया और सभी लोगों को कोर्ट के अंदर इकट्ठा किया।
तुर्किये में एक दशक पहले हिंसक हमले शुरू हुए थे। जिहादी फाइटर्स और कुर्दिश लड़ाकों ने तुर्किये के कई शहरों में बमबारी की थी। हालांकि कुछ समय से ऐसे हमले कम हुए हैं, लेकिन इस्तांबुल और राजधानी अंकारा अब भी हाई अलर्ट पर हैं।
पिछले महीने दो बंदूकधारी हमलावरों ने इस्तांबुल में कैथलिक चर्च के अंदर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने ली थी। इससे पहले अक्टूबर में दो हमलावरों ने अंकारा में हमला किया था जिसमें दो पुलिसवाले घायल हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी कुर्दिश आतंकियों ने ली थी।