राजस्‍थान में ‘बाहरी’ नेताओं को उम्मीदवार बनाए जाने पर ‘ट्विटर वार’

राज्यसभा के लिए 10 जून को होने वाले चुनाव को लेकर सोमवार को कांग्रेस के कई दिग्‍गजों ने पर्चा दाखिल किया। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और मंसूर अली खान ने सोमवार को कर्नाटक से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने पूर्व मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में राज्यसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल किया। वहीं, राजस्‍थान में बाहरियों को उम्‍मीदवार बनाए जाने से ‘ट्विटर वार’ शुरू हो गया है।
उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए 10 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी है। जयराम रमेश को कर्नाटक से, अजय माकन को हरियाणा से, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को राजस्थान से, पी चिदंबरम को तमिलनाडु से, रणदीप सुरजेवाला को राजस्थान से, राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ से, विवेक तन्खा को मध्य प्रदेश से और इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से उम्मीदवार बनाया गया है।

कांग्रेस ने कई दिग्‍गजों को नजरंदाज कर दिया है, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष के स्वर उठने लगे हैं। अभिनेत्री और महिला कांग्रेस की महासचिव नगमा ने सोमवार को कहा कि 18 साल पहले उनसे राज्‍य सभा में भेजने का वादा किया गया था जो आज तक पूरा नहीं किया गया। नगमा ने शायर इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्य सभा उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस ने राजस्थान से जिन तीन नेताओं (मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला ओर प्रमोद तिवारी) को उम्मीदवार घोषित किया है, वे राजस्थान से नहीं हैं। ‘बाहरी’ नेताओं को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर राजस्‍थान में ‘ट्विटर वार’ शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार एवं निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कांग्रेस आलाकमान से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की है।
लोढ़ा ने हैशटैग ‘कांग्रेस संकल्प’ के साथ ट्वीट कर कहा- कांग्रेस को बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता को प्रत्याशी नहीं बनाने की क्‍या वजहें हैं। इस फैसले से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की उम्‍मीदों पर चोट पहुंचेगी। वहीं भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने लोढ़ा के ट्वीट पर तंज कसते हुए कहा है कि आपने (संयम लोढ़ा) सदन में कहा था कि आप गांधी नेहरू परिवार के गुलाम हैं। ऐसे में गुलाम को सवाल पूछने का हक किसने दिया..?