दूसरी बार महाभियोग लगने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति, निचले सदन का बहुमत-ट्रम्प ने भड़काई कैपिटल हिल्स में हिंसा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (निचले सदन) में पास हो गया है। ट्रम्प पहले ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं, जिस पर दूसरी बार महाभियोग चलेगा। उन पर देश के खिलाफ विद्रोह भड़काने का आरोप है। कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने भी ट्रम्प पर महाभियोग चलाने के पक्ष में वोट किया है।

निचले सदन में महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पूर्ण बहुमत से पास हुआ है। सीएनएन के मुताबिक प्रस्ताव के पक्ष में 232 और विरोध में 197 वोट डाले गए। पक्ष में वोट करने वाले सांसदों का मानना है कि ट्रंप दंगे भड़काने के आरोपी है। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के भी 10 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया है।

प्रस्ताव पारित होने से पहले ट्रम्प ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अब कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए। कोई भी कानून तोड़ने वाला काम या किसी तरह की बर्बरता नहीं होनी चाहिए। यह वह नहीं है जिसके लिए मैं खड़ा रहता हूं। यह वह नहीं है जिसके लिए अमेरिका खड़ा रहता है। मैं सभी अमेरिकियों से अपील करता हूं कि वे तनाव कम करने और माहौल शांत करने में मदद करें।

पिछले हफ्ते समर्थकों ने तोड़फोड़ की थी

ट्रम्प के समर्थकों ने पिछले सप्ताह US कैपिटल बिल्डिंग में तोड़फोड़ की थी। इस हिंसा में एक पुलिस अफसर समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से ही ट्रम्प निशाने पर हैं। उनके खिलाफ दूसरी बार महाभियोग चलाए जाने की कार्रवाई की गई। यह सब नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के शपथ लेने से एक हफ्ते पहले हुआ है।

US कैपिटल के अंदर और बाहर नेशनल गार्ड तैनात

ट्रम्प समर्थकों की हिंसा से सबक लेते हए US कैपिटल के बाहर बड़ी संख्या में नेशनल गार्ड तैनात किए गए थे। कड़ी सुरक्षा के घेरे में सांसदों ने लगभग एक दिन लंबी चलने वाली बहस में हिस्सा लिया। इसमें डेमोक्रेट्स को कुछ रिपब्लिकंस का साथ भी मिला। अब ट्रंप ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं, जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया गया।

‘उस दिन जो हुआ वह विरोध नहीं विद्रोह था’

रूल्स कमेटी के चेयरमैन जिम मैक्गोवर्न ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि हम उसी जगह खड़े होकर ऐतिहासिक कार्यवाही पर बहस कर रहे हैं, जहां अपराध हुआ था। मैक्गोवर्न ने कहा कि उस दिन यहां जो हुआ, वह कोई विरोध नहीं था। यह हमारे देश के खिलाफ संगठित विद्रोह था। इसे डोनाल्ड ट्रम्प ने भड़काया था।

स्पीकर बोलीं- ट्रम्प ने देश के खिलाफ विद्रोह भड़काया

हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने बहस के दौरान ट्रम्प देश के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि उन्होंने देश के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाया। उन्हें इसके लिए जाना चाहिए। राष्ट्रपति ट्रम्प ने नवंबर में हुए चुनाव के नतीजों के बारे में में बार-बार झूठ बोला और डेमोक्रेसी पर शक किया।

महाभियोग का समर्थन कर रहीं पेलोसी ने कहा कि मेरा मानना है कि राष्ट्रपति को सीनेट की ओर से दोषी ठहराया जाना चाहिए। यह संवैधानिक उपाय उस शख्स (ट्रम्प) से हमारे गणतंत्र को सुरक्षित करेगा, जो लगातार इसे नुकसान पहुंचा रहा है। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी के जिम जॉर्डन ने इस कार्यवाही की आलोचना करते हुए कहा कि डेमोक्रेट्स राष्ट्रपति को हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

संवैधानिक विशेषज्ञ इस मसले पर बंटे

महाभियोग पर हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में सुनवाई हो चुकी है। यहां डेमोक्रेट बहुमत में हैं। लिहाजा प्रस्ताव साधारण बहुमत से पास होकर उच्च सदन यानी सीनेट में चला गया है। वहां रिपब्लिकन का बहुमत है और यहां दो तिहाई मत जरूरी होता है।

साल 2019 में ट्रम्प पर पहले महाभियोग में एक भी रिपब्लिकन ने इसके पक्ष में वोट नहीं दिया था। संवैधानिक विशेषज्ञ इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या राष्ट्रपति के पद छोड़ने के बाद भी महाभियोग चलाया जा सकता है या नहीं।

एक बार वाइस प्रेसिडेंट ट्रम्प को बचा चुके हैं

इससे पहले ट्रम्प को राष्ट्रपति पद से हटाने की कोशिश हो चुकी है। तब उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया था। इसके जरिए ट्रम्प को पद से हटाया जा सकता था।

ट्रम्प अगर हटते तो पेंस बाकी 7 दिन के लिए राष्ट्रपति बन सकते थे। हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब महाभियोग पर जोर ज्यादा है।

अब तक तीन राष्ट्रपतियों पर महाभियोग

अब तक तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चला है। ट्रम्प पहले राष्ट्रपति हैं, जिन पर दूसरी बार महाभियोग चलेगा। सबसे पहले 1868 में एंड्रयू जॉनसन, फिर 1998 में बिल क्लिंटन और 2019 में डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग चला।

1974 में वाटरगेट कांड के बाद रिचर्ड निक्सन ने इस्तीफा दे दिया था। उन पर महाभियोग चलना तय था। किसी भी राष्ट्रपति को अब तक इस प्रक्रिया से हटाया नहीं जा सका है। ट्रम्प के कार्यकाल में सिर्फ 6 दिन बाकी हैं। इस वजह से उन्हें हटाना भी मुश्किल है।