उत्तर प्रदेश विधान मंडल के 10 दिवसीय बजट सत्र का आज पांचवा दिन है जहां आज सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा की जाएगी तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष एक बार फिर से प्रदेश सरकार के बजट के खिलाफ आवाज बुलंद करता नजर आ सकता है।
2 फरवरी से शुरू हुई यूपी के 11 दिवसीय बजट सत्र का पहला दिन जब राज्यपाल का अभिभाषण था उसे दौरान सदन के अंदर समाजवादी पार्टी के विधायकों ने जमकर हंगामा काटा। मुख्य विपक्षी दल सपा के विधायकों ने हाथ में तख्तियां लेकर सदन में पहुंचे थे। और चौधरी चरण सिंह के प्रतिमा के पास बैठकर भी उन्होंने सरकार के नीतियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी भी की थी।
वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि यहां लोगों को न्याय के लिए आत्मदाह करना पड़ रहा है। यूपी में ऐसा कभी नहीं हुआ जैसी आज बीजेपी के शासनकाल में है। जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले कानून व्यवस्था में जीरो हैं। यह सिर्फ पीडीए के हक और अधिकारों को छीनने में नंबर वन है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी सरकार द्वारा चलाए जा रहे रोजगार मेले और यहां के युवाओं को इजराइल में रोजगार देने को लेकर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इजराइल जैसी जगह पर जहां युद्ध चल रहा है वहां सरकार यहां के युवाओं को भेज कर क्या साबित करना चाह रही है। आज 90 फ़ीसदी जनता सरकार के खिलाफ है। जब नौजवानों को नौकरी के लिए हम इजराइल जाना पड़े तो आप समझ सकते हैं कि यह सरकार युवाओं को रोजगार देने में असफल है और सिर्फ झूठे आंकड़े ही पेश करती है।
सत्र के पहले दिन जहां एक तरफ विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा तो वहीं दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के सभी विधायकों ने रामनामी गमछा पहनकर जय श्री राम का उद्घोष सदन के अंदर किया। इस दौरान सपा के विधायकों द्वारा किए गए हंगामा को लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक दोनों ने ही कहा कि विपक्ष अपना अंत चाहता है इसलिए सदन के अंदर हंगामा कर रहा है।
3 फरवरी को शनिवार के दिन सदन का दूसरा दिन था और इस दिन भी सदन की बैठक आहूत हुई। वही दूसरे दिन बैठक में भाजपा विधायक मानवेंद्र सिंह और सपा विधायक एसपी यादव के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित कर कार्यवाही स्थगित की गई।
विधानमंडल के बजट सत्र के चौथे दिन वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने वित्तीय वर्ष 2024-25 का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया। सोमवार को विधानसभा में प्रस्तुत बजट प्रदेश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा बजट है। बजट का आकार 7 लाख 36 हजार 437 करोड 71 लाख रुपए (7,36,437.71 करोड़ रुपए) है। बजट में 24 हजार 863 करोड़ 57 लाख रुपए (24,863.57 करोड़ रुपए) की नई योजनाएं भी शामिल की गई हैं। प्रदेश सरकार के बजट में महिला, युवा, किसान और रोजगार सृजन पर सर्वाधिक जोर दिया गया है।
योगी सरकार के बजट में 6 लाख 6 हजार 802 करोड़ 40 लाख रुपए (6,06,802.40 करोड़ रुपए) की राजस्व प्राप्तियां तथा 1 लाख 14 हजार 531 करोड़ 42 लाख रुपए (1,14,531.42 करोड़ रुपए) की पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं।
इसके अलावा राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व का अंश 4 लाख 88 हजार 902 करोड़ 84 लाख रुपए (4,88,902.84 करोड़ रुपए) है। इसमें स्वयं का कर राजस्व 2 लाख 70 हजार 86 करोड रुपए (2,70,086 करोड़ रुपए) तथा केन्द्रीय करों में राज्य का अंश 2 लाख 18 हजार 816 करोड़ 84 लाख रुपए (2.18,816.84 करोड़ रुपए) शामिल है।
यूपी के इस वित्तीय वर्ष के बजट में 5 लाख 32 हजार 655 करोड़ 33 लाख रुपए (5.32,655.33 करोड़ रुपए) राजस्व लेखे का व्यय है, जबकि 2 लाख 3 हजार 782 करोड़ 38 लाख रुपए (2.03.782.38 करोड़ रुपए) पूंजी लेखे का व्यय है। वहीं समेकित निधि की प्राप्तियों से कुल व्यय घटाने के बाद 15 हजार 103 करोड़ 89 लाख रुपए (15,103.89 करोड़ रुपए) का घाटा अनुमानित है।
इसके अलावा लोक लेखा से 5 हजार 500 करोड़ रुपए (5,500 करोड़ रुपए) की शुद्ध प्राप्तियां भी अनुमानित हैं। साथ ही समस्त लेन-देन का शुद्ध परिणाम 9 हजार 603 करोड 89 लाख रुपए (9.603.89 करोड़ रुपए) ऋणात्मक अनुमानित है। प्रारम्भिक शेष 38 हजार 189 करोड़ 66 लाख रुपए (38,189.66 करोड़ रुपए) को हिसाब में लेते हुये अन्तिम शेष 28 हजार 585 करोड़ 77 लाख रुपए (28,585.77 करोड़ रुपए) अनुमानित है।
बजट में राजस्व बचत 74 हजार 147 करोड़ 07 लाख रुपए (74.147.07 करोड़ रुपए) अनुमानित है। राजकोषीय घाटा 86 हजार 530 करोड़ 51 लाख रुपए (86,530.51 करोड़ रुपए) अनुमानित है, जो वर्ष के लिये अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 3.46 प्रतिशत है।