आज मशहूर एक्टर मनोज वाजपेई का जन्मदिन है,आइये जानते है उनके बारे मे कुछ ख़ास

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज बाजपेयी का जन्म 23 अप्रैल 1969 को बिहार के बेलवा में हुआ था। मनोज बाजपेयी बॉलीवुड के ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपने अभिनय से बड़े पर्दे पर अमिट छाप छोड़ी है। वह फिल्मों में अपने अलग और खास अभिनय करने के लिए जाने जाते हैं। जन्मदिन के मौके पर हम आपको मनोज बाजपेयी से जुड़ी खास बातों से रूबरू करवाते हैं।

मनोज बाजपेयी का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था, लेकिन वह बचपन से ही एक कलाकार बनना चाहते थे। 17 साल की उम्र में वह दिल्ली आ गए थे। इसके बाद मनोज बाजपेयी अपनी पूरी पढ़ाई दिल्ली से की। उन्होंने अभिनय की शिक्षा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ली थी। मनोज बाजपेयी ने अपने करियर की शुरुआत साल 1994 में फिल्म द्रोह काल से की थी। इस फिल्म में वह बहुत छोटे रोल और चंद पल के लिए नजर आए थे।
इसके बाद मनोज बाजपेयी बैंडिट क्वीन, दस्तक, संशोधन और तपन्ना जैसी फिल्मों में नजर आए थे, लेकिन मनोज बाजपेयी को बॉलीवुड में असली पहचान साल 1998 में फिल्म सत्या से मिली थी। इस फिल्म में उन्होंने भिकू म्हात्रे का किरदार निभाया था, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था। इस फिल्म के मनोज बाजपेयी को नेशनल अवॉर्ड मिला था। फिल्म सत्या के बाद उन्होंने शूल, पिंजर, वीर-जारा, 1971, गैंग्स ऑफ वासेपुर, स्पेशल 26, अलीगढ़ृ और भोसले सहित कई शानदार फिल्मों में काम किया है

क्या आप जानते हैं मनोज असफलता से निराश होकर कई बार मुंबई छोड़ने का मन तक बना चुके थे? मनोज बाजपेयी ने कहा है कि वह कई बार मुंबई छोड़ने का मन बना चुके थे, पर उनकी पत्नी शबाना ने उन्हें रोक लिया। एक समय था जब मनोज फिल्मों से लगभग गायब ही हो गए थे। इस मुश्किल दौर पर बात करते हुए मनोज बताते हैं कि वह अच्छा काम न मिलने कि वजह से मुंबई छोड़ दिल्ली शिफ्ट होने का मन बना चुके थे लेकिन, उनकी पत्नी ने रोक लिया। जागरण डॉट कॉम से एक बार बात करते हुए मनोज बाजपेयी कह था ‘मेरी एक फिल्म आयी थी ‘1971’ जिसे दो नेशनल अवॉर्ड भी मिले थे। इस फिल्म को ठीक से डिस्ट्रीब्यूट नहीं किया गया था और लोग इस फिल्म को नहीं देख पाए। फिल्म न चलने का दुःख मुझे आज भी होता है। बस इसी फिल्म के बाद मेरे पास ऑफर आने कम हो गए। जो आये भी वो मन के नहीं थे।’

मनोज बाजपेयी ने आगे कहा, ‘इसी समय मेरे कंधे में प्रॉब्लम हो गयी और मैं कोई काम नहीं कर पा रहा था। मैंने ‘स्वामी’, ‘दस तोला’, ‘मनी है तो हनी है’ जैसी फिल्में की लेकिन, मजा नहीं आ रहा था। मेरा मन बार-बार हो रहा था कि मैं वापस थियेटर करने दिल्ली लौट जाऊं। लेकिन, मेरी पत्नी शबाना, दिल्ली वाली है तो एक औरत होने के नाते वह दिल्ली से दूर भागती हैं और उसी ने मुझे बार-बार मुंबई में यह दिलासा देते हुए रोका कि चिंता मत करो, अच्छी फिल्मों के ऑफर भी आयेगें।’ मनोज बताते हैं कि जैसे ही उन्हें प्रकाश झा की रणबीर और कटरीना स्टारर फिल्म ‘राजनीति’ मिली उसके बाद से उनकी जिन्दगी पटरी पर आ गई और उसके बाद धीरे-धीरे सब ठीक होने लगा।