बॉलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर मनमोहन देसाई की आज 87वीं बर्थ एनिवर्सरी है। ये एकमात्र ऐसे डायरेक्टर रहे, जिन्होंने बैक टु बैक 7 सिल्वर जुबली और 4 गोल्डन जुबली फिल्में दीं। इन्होंने अपने करियर में कुल 23 फिल्में बनाईं, जिनमें 15 ब्लॉकबस्टर रहीं।
अमिताभ बच्चन इनके फेवरेट एक्टर थे, जिनके साथ इन्होंने 7 सुपरहिट फिल्में बनाईं। इनमें कुली, अमर अकबर एंथनी, परवरिश, सुहाग, नसीब, मर्द, गंगा जमुना सरस्वती जैसी फिल्में शामिल थीं। इन फिल्मों में काम करके अमिताभ काफी हिट हुए थे।
देसाई का फिल्मी करियर काफी सफल रहा, हालांकि उनकी पर्सनल लाइफ काफी उतार-चढ़ाव भरी थी। जब वो चार साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। पिता कीकूबाई पर बहुत कर्ज था तो सारी जमीन जायदाद बिक गई और परिवार सड़क पर आ गया।
मनमोहन देसाई ने जब शादी की तो पत्नी प्रभा की भी मौत हो गई। इसके बाद उन्हें एक्ट्रेस नंदा से प्यार हुआ, लेकिन दूसरी शादी से कुछ दिन पहले ही एक हादसे में देसाई का निधन हो गया।मनमोहन देसाई का जन्म 26 फरवरी 1937 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता कीकूभाई फिल्म प्रोड्यूसर थे। उन्होंने 1931 में पैरामाउंट फिल्म स्टूडियो की स्थापना की थी, जिसमें उन्होंने ज्यादातर एक्शन फिल्में ही प्रोड्यूस कीं। ये वो दौर था जब मनमोहन देसाई बड़े हो रहे थे, तभी लाइफ में उन्हें ऐसा झटका लगा कि वो उससे जीवनभर उबर नहीं पाए।
दरअसल, चार साल की उम्र में मनमोहन देसाई के पिता का निधन हो गया। निधन के बाद पता चला कि वो भारी कर्जे में थे। फिल्में बनाने के लिए उन्होंने काफी सारा कर्ज लिया था जो कि चुका नहीं पा रहे थे। कर्ज देने वाले उनके घर के चक्कर काटने लगे।
परेशान कीकूभाई को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। इसके बाद पूरे परिवार की सड़क पर आने की नौबत गई। सारी जमीन जायदाद बिक गई और किसी तरह कर्ज चुकाया गया। इसके बाद कीकूभाई के एक ऑफिस में पूरे परिवार ने पनाह ली और जैसे-तैसे दिन काटे।
देसाई जब बड़े हुए तो फिल्म इंडस्ट्री में ही काम तलाशने लगे। उनके बड़े भाई सुभाष देसाई भी फिल्म प्रोड्यूसर बन गए। एक फिल्म के लिए उन्होंने मनमोहन देसाई का नाम बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर तय करवा दिया। इसके बाद देसाई ने लंबे समय तक बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया।
उनका हमेशा से डायरेक्टर बनने का सपना था और अपनी पहली फिल्म में वो राज कपूर और नूतन को कास्ट करना चाहते थे। जब मनमोहन देसाई के भाई सुभाष देसाई ने ये बात राज कपूर को बताई तो उन्होंने कहा- ये कैसे संभव हो सकता है, मनमोहन तो अभी केवल 20 साल के हैं।
इस पर सुभाष देसाई राज कपूर से बोले- आपने भी जब अपनी पहली फिल्म बनाई थी तो आपकी उम्र इतनी ही थी। इसके बाद मनमोहन देसाई ने राज कपूर को फिल्म छलिया का ऑफर दिया। नूतन भी इस फिल्म में काम करने को मान गईं, लेकिन राज कपूर ने देसाई से साफ कहा- अगर तुम फिल्म के गानों को फिल्म में सही ढंग से नहीं फिल्मा पाए तो मैं बीच में ही फिल्म छोड़ दूंगा।
फिल्म की शूटिंग शुरू हुई और सबसे पहले फिल्म का गाना ‘डम डम डिगा डिगा’ फिल्माया गया। राज कपूर देसाई का काम देखकर खुश हो गए और फिल्म की शूटिंग पूरी हुई। फिल्म जब रिलीज हुई तो इसके गाने बहुत पॉपुलर हुए और इस तरह देसाई को अपनी पहली ही फिल्म से सराहना मिलनी शुरू हो गई।
इसके बाद उन्होंने शम्मी कपूर के साथ ब्लफमास्टर, राजेश खन्ना के साथ सच्चा झूठा और रोटी, रणधीर कपूर के साथ रामपुर का लक्ष्मण और जीतेंद्र के साथ भाई हो तो ऐसा जैसी सुपरहिट फिल्में बनाईं, लेकिन देसाई को करियर की बुलंदियों पर पहुंचाने वाली फिल्म अमर अकबर एंथनी थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर और विनोद खन्ना ने मुख्य भूमिका निभाई थी
1977 में रिलीज हुई इस फिल्म का आइडिया देसाई को अखबार में एक खबर पढ़कर आया था। उस खबर में एक व्यक्ति अपने तीन बच्चों को पार्क में छोड़कर आत्महत्या करने चला गया था। देसाई कई दिनों तक इस खबर के बारे में सोचते रहे और फिर एक दिन उन्होंने फिल्म राइटर प्रयाग राज से मुलाकात की।
उन्होंने प्रयाग राज से इस खबर का जिक्र किया और फिर उनसे कहानी डेवलप करने को कहा और इस तरह इस खबर से फिल्म की पूरी कहानी बना दी गई, जिसने बॉक्स ऑफिस पर झंडे गाड़ दिए।
1977 में मनमोहन देसाई की एक के बाद एक चार फिल्में रिलीज हुईं और ये सभी ब्लॉकबस्टर थीं। ये चार फिल्में थीं, परवरिश, धरम वीर, चाचा भतीजा और अमर अकबर एंथनी। इनमें से अमर अकबर एंथनी पहली फिल्म थी, जिसमें देसाई ने अमिताभ बच्चन को डायरेक्ट किया।
अमर अकबर एंथनी की सक्सेस पार्टी में मनमोहन देसाई ने अमिताभ बच्चन से कहा था, ‘अब तुम मुझे छोड़कर चले जाओ तो पता नहीं, लेकिन मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला।’ अपनी बात पर वह आखिर तक कायम रहे।
अमर अकबर एंथनी के बाद उन्होंने जो भी फिल्में बनाईं, सुहाग, नसीब, देशप्रेमी, कुली, मर्द, तूफान और गंगा जमना सरस्वती, सबके हीरो अमिताभ बच्चन ही रहे।
इन फिल्मों से मनमोहन देसाई तो बड़े निर्देशक बन ही गए। साथ ही अमिताभ बच्चन का करियर भी चमक गया। यही वजह रही कि कई मौकों पर अपने बेहतरीन करियर का श्रेय अमिताभ बच्चन ने जिन निर्देशकों को दिया है, उनमें एक नाम मनमोहन देसाई का भी रहा है।
फिल्म अमर अकबर एंथनी में जब अकबर के रोल के लिए मनमोहन देसाई ने ऋषि कपूर को कास्ट करने के लिए उन्हें कॉल किया तो वो राजस्थान में फिल्म लैला मजनूं की शूटिंग कर रहे थे। देसाई ने ऋषि कपूर को बताया कि एक फिल्म बना रहे हैं जिसमें वो अकबर के किरदार में उन्हें कास्ट करना चाहते हैं। ऋषि कपूर ने देसाई की बात सुनते ही फिल्म में काम करने से मना कर दिया।
उनका कहना था कि उनके दादा पृथ्वीराज कपूर अकबर का रोल निभा चुके हैं। ऐसे में अब वो अगर ये रोल करेंगे तो उनकी तुलना दादाजी से होगी जो कि वो नहीं चाहते। ऋषि कपूर की ये बात सुनकर देसाई ने उन्हें समझाया कि इस किरदार का नाम सिर्फ अकबर है, ये मुगल बादशाह का नहीं, बल्कि एक चुलबुले शख्स का रोल है। ये बात सुनकर ऋषि कपूर का कन्फ्यूजन दूर हुआ और उन्होंने फिल्म में काम करने की हामी भर दी।
मनमोहन देसाई की लव स्टोरी किसी फिल्मी कहानी की तरह थी। वो अपने पड़ोस में रहने वाली प्रभा नाम की लड़की को बेहद पसंद करते थे। प्रभा जहां जातीं, मनमोहन देसाई भी उनके पीछे-पीछे जाते, लेकिन वो अपने प्यार का इजहार करने से झिझकते थे। एक दिन उन्होंने बेहद हिम्मत करके अपना हाल-ए-दिल प्रभा को बता दिया और कहा कि वो उनसे शादी करना चाहते हैं।
प्रभा ने तो उनका प्रपोजल स्वीकार कर लिया, लेकिन उनके घरवाले इस रिश्ते के खिलाफ हो गए। प्रभा ने परिवार वालों को बहुत मनाया, जिसके बाद वो मान गए और अंततः दोनों की शादी हो गई। शादी के बाद दोनों एक बेटे के पेरेंट्स बने जिसका नाम केतन रखा। केतन भी बड़े होकर अपने पिता की तरह फिल्म डायरेक्टर बने।
देसाई अपनी प्रोफेशनल लाइफ में टॉप पर थे, लेकिन 1979 में उन्हें तगड़ा झटका तब लगा, जब पत्नी प्रभा का निधन हो गया। पत्नी के निधन के बाद मनमोहन देसाई गम में डूब गए, लेकिन बेटे ने उन्हें इस मुश्किल दौर से निकालने में बहुत मदद की। बेटे के हौसला देने के बाद ही मनमोहन देसाई ने दोबारा फिल्में बनानी शुरू कीं और उन्होंने देश प्रेमी, कुली जैसी फिल्में बनाईं।
पत्नी प्रभा के निधन के बाद मनमोहन देसाई अकेले हो गए थे। ऐसे में एक्ट्रेस नंदा से वो बेहद प्रभावित हो गए। बेटे केतन को ये बात पता थी कि पिता मनमोहन देसाई नंदा को पसंद करते हैं। ऐसे में उन्होंने नंदा की करीबी सहेली वहीदा रहमान की मदद से मनमोहन देसाई और नंदा की पहचान करा दी।
वहीदा रहमान ने देसाई और नंदा को डिनर पर बुलाया। इस डिनर पर ही मनमोहन देसाई ने नंदा को अपने दिल की बात बताई। नंदा को भी देसाई भा गए। इस मुलाकात के कुछ समय बाद ही दोनों ने सगाई कर ली। इस समय मनमोहन देसाई 52 साल के थे।
सगाई के बाद मनमोहन देसाई शादी की तैयारियों में बिजी थे, लेकिन तभी एक अनहोनी हुई और सब खत्म हो गया। 1 मार्च 1994 को अपने घर की बालकनी से गिरकर मनमोहन देसाई की मौत हो गई। मनमोहन देसाई के निधन के बाद नंदा पूरी तरह से अकेली हो गई थीं। उन्होंने घर से निकलना भी बंद कर दिया था और जब भी निकलतीं, सिर्फ सफेद साड़ी ही पहनती थीं। देसाई की मौत के बाद नंदा ने ताउम्र किसी और से शादी नहीं की।