त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने अपने पहले कैबिनेट विस्तार के जरिये भाजपा के भीतर पनप रहे असंतोष को साधने का प्रयास किया है। राज्य मंत्रिमंडल में मंगलवार को तीन नए मंत्री शामिल किए गए, जिनमें से दो विरोधी खेमे के हैं। मंत्रिमंडल के नए चेहरों में शुमार रामप्रसाद पाल व सुशांत चौधरी पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुदीप राय बर्मन के खेमे से बताए जाते हैं।
राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने राजभवन में पाल, चौधरी व भगबान दास को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। चौधरी को सूचना एवं सांस्कृतिक मामले, युवा मामले, खेल व लोक निर्माण, पाल को ओबीसी, अल्पसंख्यक मामले व गृह (जेल, अग्निशमन व आपातकालीन सेवाएं) तथा दास को पशु संसाधन विकास, अनुसूचित जाति मामले व श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही राज्य में मंत्रियों की संख्या 11 हो चुकी है, जो राज्य मंत्रिमंडल की अधिकतम क्षमता है।
वर्ष 2018 के चुनाव में चमत्कारिक प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने राज्य की 36 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राज्य की 60 में से 59 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे। इस चुनाव में वामपंथी किला ध्वस्त हो गया था और सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को सिर्फ 16 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे बर्मन ने चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामा था। पिछले रविवार को बर्मन ने कहा था कि उन्होंने बिप्लब देब सरकार की कुछ गलतियों को चिह्नित किया है, जिसके बारे में वह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराएंगे। वर्ष 2016 में तृणमूल कांग्रेस व वर्ष 2017 में भाजपा में शामिल होने वाले बर्मन को मंत्री बनाया गया था, लेकिन बाद में कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। बर्मन ने उस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व भी किया था, जिसने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को बिप्लब देब के कथित कुशासन से अवगत कराया था और कहा था कि इसका असर वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है।
त्रिपुरा में पार्टी के भीतर असंतोष को दूर करने के लिए नड्डा ने सोमवार को भाजपा के कई बड़े नेताओं को अगरतला भेजा था। इनमें भाजपा महासचिव दिलीप सैकिया, पार्टी के पूर्वोत्तर क्षेत्र सचिव (संगठन) अजय जामवाल, त्रिपुरा प्रभारी विनोद सोनकर व महासचिव (संगठन) फणींद्रनाथ सरमा शामिल थे।