ईश्वरप्पा मेरी मौत के जिम्मेदार हैं। उन्हें सजा मिलनी चाहिए। मैंने अपनी सभी इच्छाओं को छोड़कर यह कदम उठाने का मन बनाया है। मेरी PM, CM और येदियुरप्पा से गुजारिश है कि वे मेरे परिवार का ख्याल रखें।’
ये वॉट्सऐप मैसेज सिविल कॉन्ट्रैक्टर संतोष पाटिल ने सुसाइड से पहले अपने दोस्तों को भेजा था। संतोष ने 11 अप्रैल 2022 को खुदकुशी की थी। इसी से पता चला कि कर्नाटक में पेमेंट से पहले बिल पास करने के लिए 40% तक रिश्वत देनी पड़ रही है।
कर्नाटक दक्षिण भारत का इकलौता राज्य है, जहां BJP सत्ता में है। यहां अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। इससे पहले सरकारी करप्शन का मुद्दा फिर गरमा गया है और ये BJP के लिए मुसीबत बन सकता है, क्योंकि आरोप विधायकों और मंत्रियों पर है। राज्य के कॉन्ट्रैक्टर इस करप्शन सिंडिकेट के खिलाफ 18 जनवरी यानी आज बेंगलुरू में बड़ा प्रदर्शन करने वाले हैं।
संतोष पाटिल ने सुसाइड से पहले कई बार BJP के सीनियर नेता और तब ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री रहे ईश्वरप्पा को भ्रष्ट बताया था और उनकी शिकायत PM नरेंद्र मोदी से भी की थी। बाद में ईश्वरप्पा के खिलाफ FIR हुई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।
संतोष पाटिल ने 11 मार्च को ये लेटर PM मोदी को भेजा था। इसमें उन्होंने 40% कमीशन मांगे जाने की बात लिखी थी। पाटिल ने लिखा था कि ठेकेदारों ने 4 करोड़ रुपए कर्ज पर लिया था और अब देनदार भी पैसा मांग रहे हैं।2018 के चुनाव में पार्टी ने 104 सीटें जीती थीं, लेकिन कांग्रेस और JDS ने गठबंधन सरकार बना ली थी। 14 महीने में ही कांग्रेस के विधायक बागी हो गए और BJP ने उन्हें पार्टी में शामिल कर सत्ता हासिल कर ली। हालांकि, BJP को दो साल के भीतर ही येदियुरप्पा की जगह लिंगायत समुदाय से ही आने वाले बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा।
पिछले 8-10 महीनों से कर्नाटक में रिश्वत लेने और सरकारी सिस्टम में करप्शन बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। 16 जनवरी को स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए अधिकारियों-मंत्रियों और विधायकों को 40% तक रिश्वत देनी पड़ रही है।हमने इस बारे में कर्नाटक कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डी केम्पन्ना से बात की। उन्होंने बताया कि सच उजागर करने के बाद हममें से कई लोगों को धमकियां मिल रही हैं। हमने पूछा कि रिश्वत कौन और कैसे लेता है तो बोले- ‘रिश्वत तो कांग्रेस के जमाने में भी देनी पड़ती थी। इससे किसी एक पार्टी का लेना-देना नहीं है, लेकिन पहले 5 से 10% रिश्वत ली जाती थी। 2019 से (BJP इसी साल सरकार में आई) ये अमाउंट बढ़कर 40% तक पहुंच गया है। 40% रिश्वत दे देंगे तो फिर काम कैसे करेंगे। फिर कॉन्ट्रैक्टर से ही पूछा जाएगा कि काम क्यों नहीं हुआ।’
कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के वर्किंग प्रेसिडेंट मंजूनाथ ने भी आरोप लगाया कि उन्होंने चित्रदुर्ग से BJP विधायक टिप्पा रेड्डी को 90 लाख रुपए रिश्वत दी है। मंजूनाथ ने बताया- ‘हमारे इलाके में करप्शन की शुरूआत टिप्पा रेड्डी से ही हुई। हमारे पास इसके ऑडियो और वॉट्सऐप हिस्ट्री भी है। आज कर्नाटक पूरे देश में सबसे ज्यादा भ्रष्ट राज्य बन गया है।’मंजूनाथ से बात करने के बाद हम बीके पाटिल से मिले। बीके पाटिल के भाई कॉन्ट्रैक्टर संतोष पाटिल कर्नाटक में हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े थे। संतोष ने सुसाइड नोट में लिखा था कि ईश्वरप्पा काम की बकाया पेमेंट जारी कराने के बदले 40% कमीशन मांग रहे थे।
अब संतोष की लड़ाई बीके पाटिल लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस की जांच में बहुत सी कमियां हैं। FSL रिपोर्ट में जो आया है, वो पुलिस ने चार्जशीट में शामिल ही नहीं किया। वॉट्सऐप कॉल-चैट की डिटेल भी पुलिस ने छुपा ली। हम इसे फिर से कोर्ट में चैलेंज करने वाले हैं।
पाटिल ने बताया कि रिश्वत लेने के लिए मंत्री के PA के जरिए एक मीडिएटर तय किया जाता है। यह मीडिएटर ही सारी बातचीत करता है। पूरा कम्युनिकेशन वॉट्सऐप पर होता है, जिससे कोई कॉल रिकॉर्ड न हो पाए।एक साल में 3 कॉन्ट्रैक्टर कर चुके सुसाइड
कर्नाटक में बीते एक साल में संतोष पाटिल समेत 3 कॉन्ट्रैक्टर सुसाइड कर चुके हैं। पिछले महीने ही टीएन प्रसाद नाम के कॉन्ट्रैक्टर ने सुसाइड किया। उन्हें स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 16 करोड़ रुपए की एक स्कीम पर काम करना था। इस मामले में भी पुलिस केस दर्ज हो चुका है। टीएन प्रसाद ने काम के लिए बैंक से लोन लिया था, लेकिन सरकारी बिल क्लियर नहीं हो रहे थे। आरोप है कि इसी दवाब में उन्होंने आत्महत्या कर ली
मौके से पुलिस को सुसाइड नोट भी मिला है, लेकिन उसमें लिखा है कि मेरी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रसाद पर बैंक का बहुत कर्ज था। पांच महीने पहले उन्होंने अपना घर तक बेच दिया था। वे लगातार अधिकारियों से बिल क्लियर करने के लिए कह रहे थे, लेकिन उन्हें पैसा नहीं मिला।इस मामले में BJP प्रवक्ता गणेश कर्णिक कहते हैं, ‘पिछले 8-10 महीनों से 40% कमीशन के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन प्रूफ कोई नहीं दे रहा। अगर सच में रिश्वत ली जा रही है, तो पुलिस के पास कोई क्यों नहीं जा रहा। संतोष पाटिल के सुसाइड मामले में हमारे मंत्री ईश्वरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था, उन्हें पुलिस ने क्लीन चिट दी और संतोष पाटिल जिस विधानसभा एरिया में रहते थे, वहां कांग्रेस के विधायक हैं।
कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के वर्किंग प्रेसिडेंट पर भी मानहानि का केस चल चुका है। वो कह रहे हैं हम एक-दो दिन में एक्ससपोज करेंगे। अगर आपके पास कुछ है तो पुलिस को बताइए न। वो सरकार को कागज देने के बजाय अपोजिशन लीडर्स को, प्रेस को बांट रहे हैं। बिना किसी प्रमाण के सरकार ज्यूडिशियल इन्क्वायरी के ऑर्डर कैसे दे सकती है। यह सब चुनाव के कारण कांग्रेस के इशारे पर किया जा रहा है।’कर्नाटक के सीनियर जर्नलिस्ट अशोक चंदारगी कहते हैं- ‘यह कॉन्ट्रैक्टर्स और सरकार के बीच का मामला है। लोग कह रहे हैं कि कॉन्ट्रैक्टर पैसा लेते हैं, सरकार काम देती है। इससे पब्लिक को बहुत लेना-देना नहीं है। यह सब कांग्रेस की सरकार में भी होता है। कॉन्ट्रैक्टर्स के 25 हजार करोड़ रुपए जो बकाया हैं, वो सिर्फ इरिगेशन और PWD डिपार्टमेंट के हैं
हालांकि, ये सच है कि लोग एडमिनिस्ट्रेशन के करप्शन से परेशान है। जैसे, ट्रांसफर में ही बिना लेनदेन के किसी का काम नहीं हो रहा है। BJP कर्नाटक में अब तक तीन सर्वे करवा चुकी है, इसमें उसे 60 से 75 सीटें मिल रही हैं। मुख्यमंत्री दिल्ली गए थे, तो खुद कह रहे हैं कि 106 सीटें जीतेंगे, जबकि बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए। BJP के लिए इस बार सरकार बचाना बड़ी चुनौती है।’
दिल्ली में हुई BJP की कार्यकारिणी बैठक सबसे ज्यादा चर्चा गुजरात में पार्टी की जीत के फॉर्मूले की रही। इसी मॉडल को कर्नाटक में आगे बढ़ाया जाएगा। कर्नाटक में मई तक चुनाव होना है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की वापसी के आसार बन रहे हैं
PM मोदी ने कार्यकारिणी बैठक से अलग येदियुरप्पा से 15 मिनट मुलाकात की थी। दूसरी ओर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद से उलझ गए हैं। सूत्र बता रहे हैं कि उनकी विदाई हो सकती है।