अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांत उरुजगन में हजारों की संख्या में महिलाएं भीख मांगने को मजबूर हो गई हैं। ये वो महिलाएं हैं जिनके पति पिछले कुछ सालों में हुए संघर्ष में अपनी जान गंवा चुके हैं। पति की मौत के बाद अब उनकी विधवाओं पर गरीबी का पहाड़ टूट पड़ा है। महिलाओं को कहना है कि पति की मौत के बाद अब उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा है। ऐसे में मजबूरी में वो सड़क पर भीख मांगने के लिए मजबूर हैं।
विधवाओं की हालत ऐसी हो गई है कि उनके पास बीमार बच्चे के दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। हसीना नाम की एक विधवा ने कहा, मेरे बच्चे बीमार हैं, मेरे पास उन्हें दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं है और न ही घर में कोई कमाने वाला है। वहीं, दूसरी अस्मा कहती हैं कि वो कंधारा से हैं और वहीं पहुंची हैं। उनके पास तीन बच्चे हैं लेकिन उनके पास उनको खाना खिलाने के लिए पैसे नहीं है।
इन विधवाओं ने कहा कि उनके बच्चे गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित हैं। उन्होंने संबंधित संगठनों से काम उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया है। सदोर नाम की विधवा कहती हैं कि उन्हें काम मिलने की उम्मीद है, खुशी होगी, मेरे बच्चे प्यासे और भूखे हैं। हमीदा कहती है कि उन्हें सिलाई की फैक्ट्री या फिर दुकान देकर हमारी मदद हो सकती है
वहीं, उरुजगन में स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि वे इन विधवाओं की चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं। लोक निर्माण के प्रांतीय विभाग के प्रमुख गुल आगा ने कहा, हमने बच्चों, अनाथों और विकलांगों सहित सड़कों पर भीख मांगने वाले लोगों का सर्वे किया है। जल्द ही सूची विकलांग मामलों के विभाग को प्रदान की जाएगी।