असम के छात्र संगठन आसू ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने विधानसभा में यह झूठा दावा किया कि असम समझौते में गैरकानूनी प्रवासियों की पहचान और उसकी वापसी के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
दरअसल ऑल असम स्टूडेट्स यूनियन (आसू) के मुख्य सलाहकार समुज्ज्ल कुमार ने दावा किया कि सरमा और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने 13 जनवरी को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान समझौते की ‘गलत व्याख्या’ की।
आसू की मांग है कि गैरकानूनी प्रवासियों की पहचान और वापसी की जाए। उन्होंने कहा कि विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जाए और सर्वानंद सोनोवाल और हिमंता बिस्वा सरमा राज्य की जनता से माफी मांगे।