मुंबई से कोई 65 किमी दूर है कर्जत। ये पिछले 20 सालों से बॉलीवुड का फेवरेट शूटिंग डेस्टिनेशन है। 2005 में कर्जत में ND स्टूडियो बना, जो बनाया फेमस आर्ट डायरेक्टर नितिन चंद्रकांत देसाई ने। हम जब मुंबई से कोई डेढ़ घंटा ड्राइव करके यहां पहुंचे तो इस स्टूडियो को देख कर एहसास हुआ कि किसी अलग ही दुनिया में हैं। 43 एकड़ में फैला ये स्टूडियो एक छोटे शहर जैसा है। जहां बड़े किले, शहर का बाजार, हवेली, मंदिर और एक गांव जैसी लोकेशन बनाई गई हैं। फिल्म हम दिल दे चुके सनम की वो हवेली तो याद होगी आपको, जिसमें ऐश्वर्या राय का परिवार रहता था, वो इसी स्टूडियो में बनी थी।
ऋतिक रोशन-ऐश्वर्या राय की फिल्म जोधा-अकबर में अकबर का जो किला और महल था, वो भी इसी स्टूडियो में बना था। कई फिल्मों की शूटिंग इस स्टूडियो में हो चुकी है। इस स्टूडियो से सितारों का खास लगाव है। सलमान खान यहां स्कूटी से बिना सिक्योरिटी घूमते हैं। रेखा यहां अपने लिए एक पर्मानेंट कमरा बनाने की गुजारिश कर चुकी हैं। ऐश्वर्या राय तो फिल्म हम दिल दे चुके सनम की शूटिंग खत्म होने के बाद सेट तोड़ने से पहले एक पूरा दिन उसी कमरे में रही थीं, जो फिल्म में उनका कमरा दिखाया गया था।
नितिन चंद्रकांत देसाई बताते हैं- बचपन से कुछ अलग करने की चाहत थी। इसी वजह से पढ़ाई के बाद मैंने फोटोग्राफी करनी शुरू कर दी। इसी दौरान मुझे नीतीश रॉय (इंडियन फिल्म आर्ट डायरेक्टर) ने अपने साथ काम करने का मौका दिया। उसके बाद उन्होंने मुझे फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने का ऑफर दिया।
शुरुआत में मैंने इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। मैं फिल्म इंडस्ट्री के बारे में कुछ नहीं जानता था। एक दिन मुझे नीतीश राॅय के कई फोन कॉल्स आए, तब मैंने सोचा कि चलो जाकर देखा जाए कि क्या है फिल्म इंडस्ट्री। मैंने लोकल बस पकड़ी, उसके बाद एक किलोमीटर चलकर जब फिल्म सिटी गोरेगांव के एक स्टूडियो के अंदर गया तो वहां का माहौल देखकर मेरे होश ही उड़ गए। उस वक्त लगा मानो मेरी जिंदगी यही थम जाएगी।
मैंने 1987 में टीवी शो ‘तमस’ से अपना करियर शुरू किया। मैं 13 दिन और 13 रात उसी सेट पर रहा। उस वक्त अगर 15 मिनट नहाने भी जाता तो लगता था कि मैं अपने 15 मिनट बर्बाद कर रहा हूं। इतने जोश और पैशन के साथ मैंने काम शुरू किया।
अमेरिकन फिल्म डायरेक्टर ओलिवर स्टोन ने मुझे काम करने का ऑफर दिया था। उनके साथ मैं 9 दिन लद्दाख, उदयपुर, महाराष्ट्र जैसे कई शहरों में घूमा था। उनको ब्रैड पिट के साथ एलेक्जेंडर-द ग्रेट बनानी थी। उन्हें फिल्म का कुछ हिस्सा इंडिया में शूट करना था। हमने हर चीज डिस्कस की लेकिन जब मैं उन्हें एक स्टूडियो में लेकर गया तो वो उसे देखकर थोड़े नर्वस हो गए।
फिल्म का बजट 650 करोड़ था लेकिन जिस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए था, वैसा नहीं मिला। तब मुझे लगा कि ऐसा स्टूडियो बनाना चाहिए जिसे इंटरनेशनल लोगों की एक्सपेक्टेशन पूरी हो पाए। इस बात को ध्यान में रखकर काफी लोकेशन खोजने के बाद मुझे कर्जत में ND स्टूडियो बनाने का मौका मिला।
फिल्म ‘1942-ए लव स्टोरी’ के बाद इंडस्ट्री में मेरी पाॅपुलैरिटी बढ़ गई थी। इस फिल्म को देखने के लिए वॉल्ट डिज्नी के कुछ लोग आए थे जिन्हें मेरा काम बहुत पसंद आया था और उन्होंने मुझे ‘जंगल बुक’ करने का ऑफर दिया था। यह मेरा पहला इंटरनेशनल प्रोजेक्ट था। उसके बाद मुझे बहुत सारे ऑफर्स मिलने लगे
इस स्टूडियो में सबसे पहले आमिर खान की फिल्म ‘मंगल पांडे-द राइजिंग’ की शूटिंग हुई। फिर मधुर भंडारकर की ‘ट्रैफिक सिग्नल’ और आशुतोष गोवारिकर की ‘जोधा अकबर’ शूट हुई। इस फिल्म के लिए ऐश्वर्या राय, ऋतिक रोशन 6 महीने तक सेट पर रहे थे।
सलमान खान की हर बड़ी फिल्में वांटेड, बॉडीगार्ड, प्रेम रतन धन पायो, किक, सब यहीं शूट हुई हैं। सलमान को नेचर के करीब रहकर शूट करना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए वो ये स्टूडियो चुनते हैं। ‘प्रेम रतन धन पायो’ के लिए वे 90 दिन तक सेट पर रहे थे। इस फिल्म के लिए हमने एक करोड़ ग्लास का शीशमहल बनाया था। जब भी सलमान यहां आते हैं ज्यादातर बिना सिक्योरिटी के स्कूटी से घूमते हैं।
ऐश्वर्या राय खुद आर्किटेक्ट हैं। इस वजह से वो बहुत सारे सवाल किया करती थीं। जब मैंने ‘हम दिल दे चुके सनम’ का सेट बनाया था, तब उसमे पांच मंजिल की हवेली थी। तीसरी मंजिल पर ऐश्वर्या का कमरा था।
फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद ऐश्वर्या ने कहा- ‘मुझे एक दिन इस सेट पर ही रहना है’। उन्हें उस सेट से लगाव हो गया था। उन्होंने पूरा एक दिन और शाम वहां बिताई। संजय लीला भंसाली ने भी शूटिंग खत्म होने के बाद यहां कुछ वक्त बिताया। उसके बाद हमने वो सेट तोड़ा। सेट से हमारे बहुत इमोशंस जुड़े होते हैं।
प्रियंका चोपड़ा जब ND स्टूडियो में शूट के लिए आती हैं, तब वो चॉपर से ही ट्रेवल करती हैं। अक्षय कुमार आने से पहले मुझे सेट पर बुला लेते थे। वो भी यहां हेलीकॉप्टर से आते हैं। मैं उन्हें अपने कार्ट में बैठाकर सेट की सैर कराता था। वो घर का खाना लाते थे और हम मिलकर खाना खाते थे।
जब हेमा मालिनी पहली बार इस स्टूडियो में आईं थीं, तो वो इसकी भव्यता देखकर दंग रह गई थीं। रेखाजी भी यहां रुक चुकी हैं। उन्हें ये जगह इतनी पसंद आई थी कि वो चाहती थीं कि मैं उनके लिए यहां पर हमेशा के लिए एक कुटिया बना दूं। डेविड धवन को कभी यहां की लोकेशन में कभी धारावी दिखता है, तो कभी स्विट्जरलैंड। यहां उन्हें कश्मीर की भी वाइब्स आती है।
2003 में नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, मैंने उनके लिए 80 फीट वाला लोटस स्ट्रक्चर बनाया था। उन्हें वो कॉन्सेप्ट बहुत पसंद आया था। उन्होंने उस इवेंट के भाषण में मुझे मित्र नितिन देसाई कहकर संबोधित किया और मेरे काम की बहुत तारीफ की थी। उस दौरान, मैं उनसे मिल नहीं पाया लेकिन ठीक दो दिन बाद, मुझे एक कॉल आया- मित्र नितिन देसाई को नरेंद्र मोदी का प्रणाम। इतना सुनकर मैं स्तब्ध हो गया। इसके बाद उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया।
मैं उनसे मिला भी और तकरीबन 45 मिनट हमारी बात हुई। आखिरी के चार मिनट में उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम क्या करना चाहते हो? मैंने उनसे पूछा कि क्या आपके पास 4 मिनट हैं। उन्होंने कहा- हां। मैंने उन्हें अपना एक प्रजेंटेशन दिखाया। प्रजेंटेशन देखने के बाद उन्होंने मुझसे कहा- महाराष्ट्र और राजस्थान से लगी गुजरात की जितनी बॉर्डर है, वो तुम्हारी। मैं तुम्हें 500 एकड़ जमीन देता हूं, तुम यहां फिल्म सिटी बनाओ। उनके इस ऑफर से मैं हैरान था, लेकिन गुजरात के मौसम और परिस्थितियों के चलते ऐसा स्टूडियो वहां बनाना संभव नहीं था।
अभी भी मैं उनके लिए कई काम कर रहा हूं। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद में उनके साथ 67 इवेंट किए हैं। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के इनोग्रेशन प्रोग्राम में भी मैंने काम किया। छत्रपति शिवाजी महाराज का जो स्टैच्यू बन रहा है उसके लिए मैं उन्हें समुद्र के अंदर तक ले गया। एक प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए वाराणसी के घाटों को पुनर्जीवित कर रहा हूं।
JJ स्कूल ऑफ आर्ट में कमर्शियल आर्ट करने के बाद अपना खुद का फोटोग्राफी का स्टूडियो चालू किया था क्योंकि बचपन से ही मैंने तय कर लिया था कि मैं 9-6 वाला जॉब कभी नहीं करुंगा।
बहुत सारे लोगों का ये सवाल था और मेरी मां का भी कि आखिरकार एक आर्ट डायरेक्टर का क्या काम होता है। जब मैं इस फील्ड में सैटल नहीं था, तो यही सोचता था कि सही वक्त पर मैं अपनी मां को इसका जवाब दूंगा। मुझे उस वक्त सिर्फ 2000 रुपए मिलते थे, दिन-रात काम करता था। मेरे मैले कपड़े देखकर मां हमेशा पूछती कि तू करता क्या है? मां को इसका जवाब देने के लिए मुझे साढ़े 6 साल लग गए।
एक दिन ‘चाणक्य’ के सेट पर मैंने अपने माता-पिता को आमंत्रित किया। उनको मैंने पूरा सेट दिखाया। तकरीबन एक घंटा सेट घूमने के बाद, मां ने पूछा – ये सब ठीक है, लेकिन तूने इसमें क्या किया? तब मैंने बताया कि ये पूरा पैलेस मैंने बनाया है। ये सुनकर उनका दिल भर आया, वो रो पड़ी, मैं भी रो पड़ा। पहले जब देर रात घर लौटता तो मां खूब डांटती, लेकिन इस इंसिडेंट के बाद वो मुझे हमेशा गरम रोटी बनाकर देने लगी थीं। (हंसते हुए)
महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, पृथ्वीराज चौहान समेत जिन लोगों ने अपने समय में देश की सेवा की, उन पर एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। ये अपने आप में काफी चैलेंजिंग है। तैयारी हो चुकी है और जल्द ही शूटिंग शुरू होने वाली है।
नितिन देसाई ने स्टूडियो में एक थीम पार्क भी बनाया है। वो बताते हैं- ये पार्क इसलिए है ताकि लोग इस इंडस्ट्री को थोड़ा करीब से देख पाए। साथ ही कई लोगों की ख्वाहिश होती है जोधा-अकबर जैसी शादी करने की, बाजीराव-मस्तानी के लुक में शादी रचाने की, जिसके लिए अब यहां हमने डेस्टिनेशन वेडिंग भी शुरू कर दी है। कोशिश यही हैं कि लोगों की जो भी ख्वाहिश है, उसे हम पूरा करें।