कतर और इक्वाडोर टीमों के बीच मैच से फीफा वर्ल्ड कप 2022 की शुरुआत हो चुकी है। 22वें फीफा वर्ल्ड कप की 32 टीमों में दुनियाभर के टॉप प्लेयर्स अपने-अपने देश से खेलते नजर आएंगे। इनमें मेसी, रोनाल्डो, नेमार, एमबापे और लेवानडॉस्की समेत कई बड़े प्लेयर्स शामिल रहेंगे। ऐसे में देखना यह होगा कि सबसे ज्यादा गोल कौन करता है और टूर्नामेंट का गोल्डन बूट किसे मिलेगा।
इस खबर में हम आपको गोल्डन बूट की रेस में शामिल टॉप-4 प्लेयर्स के बारे में बताएंगे। फॉर्म के लिहाज से किस खिलाड़ी के पास गोल्डन बूट जीतने के सबसे ज्यादा चांस हैं। साथ ही बताएंगे कि रोनाल्डो और लेवानडॉस्की जैसे टॉप प्लेयर्स के लिए ये अवॉर्ड जीतना क्यों मुश्किल रह सकता है।
1930 में पहली बार उरुग्वे में फीफा वर्ल्ड कप खेला गया। तब होम टीम उरुग्वे ने अर्जेंटीना को हराकर टाइटल जीता था। तब से हर 4 साल में फीफा वर्ल्ड कप होता है। सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 1942 और 1946 में वर्ल्ड कप नहीं हुआ। इसे छोड़ दें तो 2018 तक हर बार 4 साल के गैप में कुल 21 वर्ल्ड कप हो चुके हैं। 2018 में रूस में आयोजित वर्ल्ड कप फ्रांस ने जीता था। फ्रांस ने पहली बार फाइनल खेल रही क्रोएशिया को हराया था।
फुटबॉल का 22वां वर्ल्ड कप अरब देश कतर में हो रहा है। फाइनल 18 दिसंबर को खेला जाएगा। टूर्नामेंट में 32 टीमों के बीच 64 मैच होंगे। सभी टीमों को 4-4 टीम के 8 ग्रुप में बांटा गया है। सभी ग्रुप की टॉप-2 टीमें नॉकआउट राउंड में एंट्री करेंगी। 8 ग्रुप की 16 टीमों में नॉकआउट मुकाबलों के बाद 18 दिसंबर को फाइनल मैच से नए वर्ल्ड चैंपियन का फैसला होगा।
गोल्डन बूट की रेस में अर्जेंटीना के लियोनल मेसी, फ्रांस के कीलियन एमबापे, ब्राजील के नेमार जूनियर और इंग्लैंड के हैरी केन समेत कई बड़े फॉरवर्ड प्लेयर्स शामिल रहेंगे। पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो और पोलैंड के रोबर्ट लेवानडॉस्की जैसे टॉप प्लेयर्स भी रेस में हैं। 2018 के फीफा वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के हैरी केन को गोल्डन बूट मिला था। हालांकि उनकी टीम चौथे नंबर पर रही थी। फ्रांस के करीम बेंजेमा भी गोल्डन बूट की रेस में थे। लेकिन, टूर्नामेंट से पहले वह इंजर्ड हो कर बाहर हो गए।
इंग्लैंड के कप्तान हैरी केन पर टीम को दूसरी बार वर्ल्ड कप जिताने का जिम्मा होगा। इंग्लैंड ने पहली बार 1966 में कप जीता था। पिछले वर्ल्ड कप में 6 गोल के साथ गोल्डन बूट जीतने वाले केन इस बार भी गोल्डन बूट जीतने के प्रबल दावेदार हैं। 2018 में उन्होंने एकमात्र वर्ल्ड कप खेला था। इस तरह वर्ल्ड कप में उनके टोटल 6 गोल हैं। 2015 में इंग्लैंड के लिए डेब्यू करने वाले 29 साल के केन ने 75 इंटरनेशनल मैचों में 51 गोल किए हैं।
2018 में पिछले वर्ल्ड कप के बाद से अब तक हैरी केन 45 मैच में 32 इंटरनेशनल गोल दाग चुके हैं। इस वर्ल्ड कप में 3 गोल और करते ही वह इंग्लैंड के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले वेन रूनी के 53 इंटरनेशनल गोल का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। क्लब फुटबॉल के 487 मैचों में केन ने 78 असिस्ट और 288 गोल किए हैं। वह फिलहाल टोटनहम हॉट्सपर क्लब से खेलते हैं। इस क्लब के लिए केन ने 408 मैच में 261 गोल किए हैं।
अर्जेंटीना के लिए 2005 में डेब्यू करने वाले लियोनल मेसी ने टीम के लिए अब तक 4 वर्ल्ड कप खेले हैं। 35 साल के मेसी का यह आखिरी वर्ल्ड कप भी हो सकता है। उन्होंने अब तक 165 इंटरनेशनल मैचों में 52 असिस्ट समेत 91 गोल किए हैं। वर्ल्ड कप के 19 मैचों में उनके नाम 5 असिस्ट और 6 गोल हैं।
2018 में खेले फीफा वर्ल्ड कप के बाद से मेसी ने 37 इंटरनेशनल मैच खेले। इनमें उन्होंने 10 असिस्ट समेत 26 गोल दागे हैं। मेसी फिलहाल पेरिस सैंट जर्मन के लिए क्लब फुटबॉल खेल रहे हैं। लेकिन, उन्होंने FC बार्सिलोना के लिए 778 मैच खेले हैं। इनमें उन्होंने 303 असिस्ट और 672 गोल दागे हैं। ओवरऑल क्लब फुटबॉल के 849 मैच में मेसी ने 332 असिस्ट और 701 गोल दागे हैं। इस दौरान उन्हें 7 बार बैलेन डी’ऑर मिल चुका है।
फ्रांस के लिए राइट फॉरवर्ड खेलने वाले 23 साल के कीलियन एमबापे ने पिछले वर्ल्ड कप के 7 मैच में टीम के लिए 4 गोल दागे थे। अब तक खेले 59 इंटरनेशनल मैचों में उनके नाम 28 गोल हैं। इस दौरान उन्होंने 21 गोल असिस्ट किए। 2018 वर्ल्ड कप के बाद से एमबापे ने 37 इंटरनेशनल मैच खेले। इनमें उन्होंने 14 असिस्ट समेत 20 गोल किए हैं।
एमबापे पेरिस सैंट जर्मन (PSG) के लिए खेलते हैं। PSG के लिए अब 237 मैचों में उन्होंने 93 असिस्ट और 190 गोल किए हैं। ओवरऑल क्लब करिअर में उनके नाम 302 मैच में 222 गोल हैं। इस दौरान उन्होंने 111 गोल असिस्ट भी किए।
ब्राजील के लेफ्ट विंगर नेमार जूनियर ने 2010 में नेशनल डेब्यू किया था। ब्राजील के लिए अब तक 2 फीफा वर्ल्ड कप में उन्होंने 10 मैच खेले। इनमें उनके नाम 2 असिस्ट और 6 गोल हैं। ओवरऑल 121 इंटरनेशनल मैचों में उन्होंने 54 असिस्ट और 75 गोल दागे हैं। 2018 में पिछले वर्ल्ड कप के बाद नेमार ने 36 मैच खेले। इनमें नेमार ने 21 असिस्ट और 20 गोल किए हैं।
नेमार पेरिस सेंट जर्मन के लिए क्लब फुटबॉल खेलते हैं। PSG के लिए उन्होंने 164 मैचों में 72 असिस्ट और 115 गोल किए हैं। PSG से पहले उन्होंने बार्सिलोना (FCB) के लिए 186 मैच खेले थे। इनमें उन्होंने 76 असिस्ट और 105 गोल दागे थे। ओवरऑल 484 मैच के क्लब करिअर में उनके नाम 290 गोल और 183 असिस्ट हैं।
वर्ल्ड कप की 32 टीमों को 4-4 टीम के 8 ग्रुप में बांटा गया है। ग्रुप स्टेज में सभी टीमें 3-3 मैच खेलेंगी। नॉकआउट स्टेज से फाइनल तक पहुंचने वाली 2 टीमें कुल 7 मैच खेल सकती हैं। क्रिस्टियानो रोनाल्डो पुर्तगाल के लिए खेलते हैं। वहीं, रोबर्ड लेवानडॉस्की पोलैंड से खेलते हैं। दोनों ही टीमों के नॉकआउट राउंड में पहुंचने के चांस बहुत कम हैं। दोनों खिलाड़ी ज्यादा मैच नहीं खेल पाएंगे। ऐसे में उनके पास टॉप गोल स्कोरर बनने के चांस भी कम रहेंगे।
पुर्तगाल की टीम घाना, उरुग्वे और साउथ कोरिया के साथ ग्रुप एच में हैं। पुर्तगाल का बेस्ट प्रदर्शन 1966 में आया था। तब वे तीसरे नंबर रही थी। पिछले 3 वर्ल्ड कप में पुर्तगाल ने 2 बार नॉकआउट मैच खेले। लेकिन, एक भी मैच जीत नहीं सकी। इस बार उनके ग्रुप में शामिल उरुग्वे दो बार का वर्ल्ड चैंपियन है।
उरुग्वे पिछले 3 वर्ल्ड कप से लगातार नॉकआउट स्टेज में पहुंच रही है। 2010 में तो वह चौथे नंबर पर रही थी। ऐसे में उसी के ग्रुप टॉपर रहने के चांस हैं। बाकी 3 टीमों में से कोई एक टीम प्री-क्वार्टर फाइनल खेलेगी। पुर्तगाल नॉकआउट राउंड में पहुंची तो रोनाल्डो के पास 4 मैच में सबसे ज्यादा गोल कर गोल्डन बूट जीतने का मौका रहेगा।
पोलैंड की टीम अर्जेंटीना, सउदी अरब और मैक्सिको के साथ ग्रुप C में हैं। पोलैंड पिछले वर्ल्ड में एक जीत और 2 हार के साथ ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गया था। 2010 और 2014 में तो टीम क्वालिफाई ही नहीं कर सकी थी। उनके ग्रुप में 2 बार की वर्ल्ड चैंपियन अर्जेंटीना हैं। तीसरी टीम साउदी अरब के हाल भी पोलैंड की तरह है।
वहीं, मेक्सिको की टीम पिछले 7 बार से लगातार नॉकआउट राउंड में पहुंच रही है। ऐसे में ग्रुप C से पोलैंड के अगले राउंड में क्वालिफाई करने के चांस कम ही हैं। लेवांडॉस्की अगर ग्रुप राउंड के 3 मैचों में सबसे ज्यादा गोल करें तो वे टूर्नामेंट के टॉप गोल स्कोरर बन सकते हैं।
1930 से 1978 तक 11 बार हुए टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी को ‘बेस्ट प्लेयर’ का अवॉर्ड दिया जाता था। 1982 से ‘गोल्डन शू’ अवॉर्ड देना शुरू हुआ। लेकिन, 2010 में इसका नाम ‘गोल्डन बूट’ कर दिया गया। 1982 से अब तक 7 देशों के 10 प्लेयर्स को गोल्डन बूट मिल चुका है। 2018 में इंग्लैंड के हैरी केन को गोल्डन बूट मिला था। उन्होंने टूर्नामेंट में 6 गोल दागे थे।
गोल्डन बूट अवॉर्ड शुरू होने के बाद एक टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड ब्राजील के रोनाल्डो के नाम हैं। उन्होंने 2002 में 8 गोल किए थे। वहीं, 1978 से पहले फ्रांस के जस्ट फॉन्टैंट के नाम एक टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड है। उन्होंने 1958 में 13 गोल दागे थे।
1962 में 6 खिलाड़ियों ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 4-4 गोल किए थे। लेकिन, ओवरऑल परफॉर्मेंस के आधार पर फीफा ने हंगरी के फ्लोरियन अल्बर्ट को बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड दिया था। 1994 में भी 2 खिलाड़ियों ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल किए थे। तब रूस के ऑलेग सलेंको और बुलगारिया के ह्रिस्टो स्टोइकोव ने 6-6 गोल किए थे। लेकिन, फीफा ने ऑलेग सलेंको को गोल्डन शू दिया था।