लोकसभा चुनाव में बहुमत मिलने के अगले ही दिन बुधवार (5 जून) को NDA ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को नेता चुना। पीएम आवास पर हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया, ‘हमें गर्व है कि NDA ने चुनाव मोदी के नेतृत्व में लड़ा और जीता।’
बैठक में टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे सहित 14 दलों के 21 नेता थे। नायडू और नीतीश के साथ मोदी ने अलग से भी बैठक की। माना जा रहा है कि दोनों ने गठबंधन जारी रहने का आश्वासन दिया।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। पार्टी को 240 सीटें मिली हैं। यह बहुमत के आंकड़े (272) से 32 सीटें कम हैं। ऐसे में वह 14 सहयोगी दलों के 53 सांसदों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चलाएगी।
इसमें चंद्रबाबू की TDP 16 सीटों के साथ दूसरी और नीतीश की JDU 12 सीटों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। दोनों पार्टियां चाहती हैं कि सीटों में बड़ी भागीदार होने के नाते उन्हें उसी हिसाब से कैबिनेट में भी हिस्सेदारी दी जाए।
केंद्र सरकार के 10 सबसे ताकतवर और समृद्ध मंत्रालय- गृह, रक्षा, वित्त, विदेश, रेलवे, सूचना प्रसारण, शिक्षा, कृषि, सड़क परिवहन और सिविल एविएशन हैं। अकेले बहुमत होने से 2019 और 2014 में भाजपा ने सभी बड़े विभाग अपने पास रखे।
खबर है कि इस बार JDU की निगाह रेलवे-कृषि मंत्रालय के साथ बिहार के लिए विशेष पैकेज पर है। वहीं, TDP लोकसभा स्पीकर, तीन बड़े मंत्रालय और विशेष राज्य का दर्जा चाहती है।
सूत्रों ने बताया, 7 जून को मोदी को भाजपा संसदीय दल-NDA संसदीय दल का नेता चुना जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश होगा। शपथ ग्रहण 8 जून को हो सकता है।
8 जून को शपथ ले सकते हैं मोदी, नए मंत्रिमंडल की शपथ भी संभव 7 जून को संसद के सेंट्रल हॉल में NDA के सांसदों की बैठक होगी। इसके बाद मोदी शाम 5 से 7 बजे के बीच सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राष्ट्रपति के पास जाएंगे।
8 जून को मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। इस दौरान उनके साथ कुछ मंत्री भी शपथ ले सकते हैं।
पीएम मोदी ने बुधवार (5 जून) को दोपहर 2 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस्तीफा सौंप दिया। साथ ही मंत्रिमंडल भंग करने की सिफारिश की। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। साथ ही उनसे व मंत्रिपरिषद से अनुरोध किया कि वे नई सरकार के कार्यभार संभालने तक पद पर बने रहें।
इससे पहले मोदी मंत्रिमंडल की सुबह 11.30 बजे आखिरी बैठक हुई। बैठक में 17वीं लोकसभा भंग करने की सिफारिश हुई। इसमें सरकार ने तीसरी बार जीत को लेकर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद मोदी राष्ट्रपति भवन गए और अपना इस्तीफा सौंपा। मोदी अब कार्यवाहक पीएम रहेंगे।
TDP ने 6 मंत्रालयों समेत स्पीकर पद की मांग की है। वहीं, JDU ने 3, चिराग ने 2 (एक कैबिनेट, एक स्वतंत्र प्रभार), मांझी ने एक, शिंदे ने 2 (एक कैबिनेट, एक स्वतंत्र प्रभार) मंत्रालयों की मांग की है। वहीं, जयंत ने कहा है कि हमें इलेक्शन के पहले एक मंत्री पद देने का वादा किया गया था। इसी तरह अनुप्रिया पटेल भी एक मंत्री पद चाहती हैं।
भाजपा के पास बहुमत नहीं है। गठबंधन की सरकार में सहयोगी पार्टियां भाजपा के पिछले फैसलों और कई रिफॉर्म्स को लागू करने में रोड़ा बन सकती है।
दरअसल, गठबंधन में अहम भूमिका निभाने वाली जदयू और टीडीपी के अपने-अपने हित हैं। अतीत में एन. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार दोनों के भाजपा के साथ उतार-चढ़ाव भरे रिश्ते रहे हैं।
विश्लेषक बताते हैं कि ऐसे में भाजपा को 10 सालों से जारी सुधार के अहम कदमों, प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डालने पड़ सकते हैं।
वो 6 बड़े मुद्दे, जिन पर ठिठक सकते हैं कदम
एक देश-एक चुनाव: इस पर आगे बढ़ना मुश्किल होगा। TDP इसके विरोध, जबकि जदयू समर्थन में है। विरोध करने वाला विपक्ष भी मजबूत हुआ है।
परिसीमन : भाजपा ने 2029 तक महिला आरक्षण का वादा किया है। यह परिसीमन पर ही लागू होगा। दक्षिण में असर के चलते TDP विरोध में है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड : भाजपा इसे देश में लागू करने को तैयार थी। अब पार्टी इसे राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से हटा सकती है।
काशी-मथुरा : राम मंदिर का फायदा न मिलने से इन पर दावे की प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है।
विनिवेश : JDU सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश के विरोध में रही है। भाजपा को इससे कदम पीछे खींचने पड़ सकते हैं। पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की भी मांग करती रही है
मुस्लिम आरक्षण : TDP ने 2018 में आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा न देने के मुद्दे पर भाजपा से नाता तोड़ लिया था। अब वह फिर मांग दोहरा सकती है। यही नहीं, आंध्र में मुस्लिमों को 4% आरक्षण के मुद्दे पर भी दोनों पार्टियों के अहम टकरा सकते हैं।