भारत ने जब-जब संयम बरता है, पाकिस्तान ने तब-तब इसे हमारी कमजोरी माना है। यह बात वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने गुरुवार को कही है। उनकी ओर से यह बयान 2008 के मुंबई आतंकी हमले पर तत्कालीन मनमोहन सरकार की प्रतिक्रिया पर आलोचनात्मक विचार आने के बाद आया है। तिवारी का यह बयान उनकी किताब में आए तीखे विचारों को हल्का करने का प्रयास माना जा रहा है।
मनीष तिवारी ने अपने किताब में मुंबई हमले पर संप्रग सरकार की प्रतिक्रिया पर असंतोष जताया है। गुरुवार को दिए गए अपने ताजा बयान में तिवारी ने कहा, यह दृष्टिकोण आधारित तथ्य है कि संप्रग सरकार ने कार्रवाई में संयम बरता था। कांग्रेस सांसद ने कहा, भारतीय सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। अगर ऐसा हुआ होता तो पुलवामा में हमला नहीं होता। तिवारी ने कहा, भारत जब भी संयम बरतता है, पाकिस्तान उसे हमारी सहनशीलता और ताकत का प्रतीक नहीं मानता, वह उसे हमारी कमजोरी के तौर पर लेता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, सर्जिकल स्ट्राइक के समय भारत युद्ध के नजदीक था। मनीष तिवारी की किताब-10 फ्लैशप्वाइंट्स, 20 ईयर्स, की लांचिंग के मौके पर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने कहा कि आज की तारीख में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती चीन है। दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जो स्थिति है उसका समाधान जरूरी है। देश के विकास के लिए मसले का शांतिपूर्ण समाधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनीष तिवारी ने पाकिस्तान के संबंध में जो बात कही है व्यापक परिप्रेक्ष्य में उससे सहमत हैं लेकिन मुंबई हमले के लिए जवाबी कार्रवाई को लेकर तिवारी की सोच से वह सहमत नहीं हैं।