रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में चिंता का माहौल है लेकिन चीन एक ऐसा देश है जो इस युद्ध में भी अपना फायदा देख रहा है। हाल में चीन की तरफ से जारी युद्धाभ्यास एक वीडियो के हवाले से इंटरनेशनल ऑब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चीनी सेना यूक्रेन युद्ध के आधार पर अपनी रणनीति को तेजी से बदल रही है।
यूक्रेन युद्ध में बड़े पैमाने पर ड्रोन के उपयोग को देखते हुए चीन ने भी ड्रोन की स्पेशल ब्रिगेड पर काम शुरू कर दिया है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की 82वीं कंबाइंड आर्म्ड ब्रिगेड ने पिछले दिनों हेबेई प्रांत में ड्रोन से युद्धाभ्यास किया। जिसमें ड्रोन और रडार की मदद से पोर्टेबल एंटी एयरक्राफ्ट और एंटी टैंक मिसाइलों का मुकाबला किया गया।
चीनी सेना के जवानों को ड्रोन हमले करने और ड्रोन हमलों से बचने की ट्रेनिंग दी गई है। पीएलए के ग्रुप कमांडर लियु चेन का कहना है कि हमारे जवान लगातार अपनी गलतियों से सीख रहे हैं। 82वीं कंबाइंड आर्म्ड ब्रिगेड का पुराना नाम 38वीं आर्मी कार्प था, जो बीजिंग की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है।
बीजिंग स्थित युआन वांग मिलिट्री साइंस टेक्नोलॉजी थिंक टैंक झोउ चेनमिंग का कहना है कि पीएलए की ब्रिगेड रूसी आर्मी के अनुभवों से सीख रही है, खासकर ड्रोन के उपयोग के बारे में। पीएलए सीख रही है कि सैन्य दलों की आंखों के रूप में किस तरह से ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
वे ड्रोन की मदद से आने वाली एंटी टैंक मिसाइलों और जानलेवा एयर स्ट्राइक के बारे में जान रहे हैं। साथ ही चीन की सेना रूसी सेना से यह भी सीख रही है कि ऐसे हालात का मुकाबला कैसे करें ताकि कम से कम नुकसान हो। पीएलए के सेवानिवृत प्रशिक्षक सोंग जोंगपिंग का कहना है कि इस युद्धाभ्यास के हालात काफी हद तक यूक्रेन के मौजूदा युद्ध पर निर्भर हैं।
यूक्रेन ने स्टिंगर मिसाइलों से रूसी सेना के युद्धविमान और जेवलिन एंटी टैंक मिसाइलों से रूसी बख्तरबंद सैन्य वाहनों को निशाना बनाया है। इसे देखते हुए चीनी सेना भारी युद्ध मशीनरी की जगह तेजी से लोकेशन बदलने वाले साजोसामान पर फोकस कर रही है। अमेरिकी हिमार्स मिसाइल सहित यूक्रेन के द्वारा इस्तेमाल किए गए सभी विदेशों हथियारों पर भी चीन नजर रख रहा है।