दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए डिफरेंटली एबल्ड कमेटी बनाने के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के फैसले का दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है। जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफारिश के आधार पर तीन पूर्व दिव्यांग क्रिकेटर्स की एक कमेटी बनाने का पिछले कई सालों से इंतजार किया जा रहा था। चार दिसंबर को कोलकाता में बीसीसीआई की सालाना बैठक में डिफरेंटली एबल्ड कमेटी बनाने का प्रस्ताव पास किया गया है। दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया के महासचिव हारुन रशीद ने बताया कि वह पिछले कई सालों से इस संबंध में बीसीसीआई को लगातार लिख रहे हैं तथा दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मुकेश कंचन का नाम बीसीसीआई को कमेटी में शामिल करने के लिए भेज चुके हैं।
चूंकि अब डिफरेंटली एबल्ड कमेटी बनने जा रही है इसके लिए एक बार पुनः मुकेश कंचन का नाम कमेटी में शामिल करने के लिए भेजा गया है। मुकेश कंचन के अलावा ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाड़ी एवं भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मानवेंद्र सिंह पटवाल और मूकबधिर टीम के सबसे सफल कप्तान विवेक मालशे का नाम भी कमेटी में शामिल करने के लिए भेजा गया है। मुकेश कंचन ने भारतीय टीम के लिए 57 मैच खेले हैं जिनमें 21 मैचों में भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की है।वह 2015 में एशिया कप विजेता भारतीय टीम में शामिल थे।
लगभग दो दशक तक मूकबधिर क्रिकेट का प्रतिनिधित्व करने वाले विवेक मालशे ने कहा कि बीसीसीआई के साथ मिलकर पूरे भारत के मूक बधिर क्रिकेट खिलाड़ियों की सेवा के अवसर के लिए पूर्णता आश्वस्त हैं। ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन के वरिष्ठ क्रिकेटर मानवेंद्र सिंह पटवाल भी पात्रता में औरों के मुकाबले काफी आगे हैं। 15 साल इंटरनेशनल क्रिकेट खेल चुके मानवेंद्र सिंह पाटवाल ने 2006 में पाकिस्तान में हुए तीसरे वर्ल्ड कप में भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम की शानदार कप्तानी करते हुए इंग्लैंड को उसकी जमीन पर सभी पांचों मैच में तथा 2005 में अपनी कप्तानी में पाकिस्तान को पाकिस्तान की जमीन पर हराकर सूपड़ा साफ करके वापस आए थे।