देश में इन दिनों हनुमान चालीसा विवाद मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ है। इस पर अब सियासी सरगर्मी भी काफी तेज हो गई है। ये मामला महाराष्ट्र से शुरू हुआ था, लेकिन अब इसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दे रही है। इसकी वजह महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दल एनसीपी के मुंबई-उत्तर के जिला कार्यकारी अध्यक्ष फहमीदा बनी हैं। बहरहाल, आपको पहले बता दें कि ये सारा विवाद महाराष्ट्र से ही शुरू हुआ था। इसके मूल में थे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे।
राज ठाकरे ने दरअसल, महाराष्ट्र में सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को हटाने को लेकर एक मुहिम शुरू की थी। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से कहा था कि वो सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को हटवाएं। उन्होंने धमकी भी दी थी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वो महाराष्ट्र सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे के घर के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। इसके बाद से ही इस विवाद का बढ़ना भी शुरू हुआ था। इस संबंध में सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हुए।
राज ठाकरे के उस एलान के बाद कि वो सीएम के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे, ने राजनीति के पटल पर सरगर्मी काफी तेज कर दी। आनन-फानन में उद्धव ठाकरे के घर के बाहर सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई। इस पूरे मामले में अमरावती की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा ने आग में घी डालने का काम किया। राज ठाकरे की ही भांति उन्होंने भी सीएम के निजी आवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का एलान किया। विवाद बढ़ता देख दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश भी दे दिया।
प्रदेश के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने बेहद बचकाने तरीके से इस मुद्दे को हैंडल किया है। उनका कहना था कि नवनीत राणा को हनुमान चालीसा का पाठ करने देने से ये मुद्दा इतना तूल नहीं पकड़ता।
अब फहमीदा ने देश के गृह मंत्री अमित शाह से एक पत्र लिखकर पीएम नरेन्द्र मोदी के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के अलावा नमाज अदा करने की अनुमति मांगी है। उनका पत्र में लिखा है कि उन्हें पीएम आवास के बाहर नमाज, हनुमान चालीसा, नवकार मंत्र और गुरु ग्रंथ पढ़ने की अनुमति प्रदान की जाए। मुझे इसके लिए दिन और समय भी बताएं।