हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की आज 81वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 1969 से 1975 के बीच उनका ऐसा बोलबाला था कि उनकी हर फिल्म सुपरहिट होती थी। उनका स्टारडम इस लेवल पर था कि उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम भी राजेश रखे गए थे।
लड़कियां उनकी फिल्म थिएटर में देखने से पहले सजने-संवरने के लिए ब्यूटी पार्लर जाती थीं। 1970 के दशक में इनके बंगले पर लड़कियों के इतने खत आते थे कि उन्हें पढ़ने के लिए अलग से एक शख्स रखना पड़ा। इनमें कई खत खून से लिखे होते थे।
3 साल में राजेश खन्ना ने लगातार 15 फिल्में हिट दी थीं जो कि एक रिकॉर्ड था। इसके बाद राजेश खन्ना से स्टारडम संभाले नहीं संभला तो वो ये तक सोचने लगे कि उनकी कुछ फिल्में फ्लॉप भी हो जाएं।
वो 14 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट हुए और 3 बार यह अवॉर्ड उन्होंने अपने नाम भी किया। वैसे, काका के नाम से मशहूर राजेश खन्ना की जिंदगी में ऐसा दौर भी आया था जब उनका स्टारडम खत्म होने की कगार पर था और उनकी फिल्में भी पिटने लगी थीं।
कहा जाता है कि उनपर स्टारडम का जुनून सवार हो गया था और वो किसी को कुछ नहीं समझते थे, सेट पर भी बहुत लेट आते थे। एक बार जब उन्हें इसके लिए टोका गया तो उन्होंने कह दिया-करियर की ऐसी की तैसी।
29 दिसंबर, 1942 को अमृतसर में लाला हीरानंद खन्ना और चंद्ररानी के घर राजेश खन्ना का जन्म हुआ था। पिता स्कूल टीचर थे। इनका असली नाम जतिन था, राजेश नाम तो उन्होंने अपने अंकल के कहने पर रखा था। 1947 में जब देश में विभाजन का दौर आया तो उनका पूरा परिवार अमृतसर में आकर बस गया।
घर की माली हालत खराब थी क्योंकि विभाजन के चलते पिता नौकरी से हाथ धो बैठे थे। परिवार को पालना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। ऐसे में उन्होंने बेटे राजेश को अपने एक रिश्तेदार को सौंप दिया जो कि मुंबई में रहते थे। यहां आकर बचपन से ही राजेश खन्ना एक्टर बनने का सपना देखने लगे। 10 साल की उम्र में उन्होंने थिएटर ज्वाइन कर लिया था। स्कूल-कॉलेज में भी होने वाले हर फंक्शन में वो बढ़कर हिस्सा लेते थे जिसके लिए उन्हें कई अवॉर्ड और ट्रॉफियां मिलीं।
एक्टर बनने की चाह ही 1965 में राजेश खन्ना को एक टैलेंट हंट तक खींच लाई। ये हंट यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने आयोजित किया था। इस हंट में बीआर चोपड़ा, जीपी सिप्पी और शक्ति सामंत जैसे डायरेक्टर्स जज थे। यहां एक डायलॉग सुनाकर राजेश खन्ना ने बाजी मार ली थी और विनर बन गए।
इसके बाद राजेश खन्ना के करियर ने ऐसी उड़ान भरी कि उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जीपी सिप्पी ने अपनी फिल्म ‘राज’ के लिए साइन कर लिया जिसमें उन्हें डबल रोल मिला। इसके बाद चेतन आनंद ने उन्हें ‘आखिरी खत’ के लिए साइन किया लेकिन ये फिल्म पहले रिलीज हुई जो कि फ्लॉप रही।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजेश खन्ना शुरुआत से ही लेटलतीफ थे और सेट पर लेट आने का सिलसिला उन्होंने फिल्म ‘राज’ से ही शुरू कर दिया था। जब फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तो राजेश खन्ना को सुबह 8 बजे सेट पर बुलाया गया लेकिन वो 11 बजे पहुंचे। लोग ये देखकर हैरान रह गए कि नए होकर भी वो सेट पर पहले दिन ही लेट कैसे पहुंच सकते हैं। क्रू के कुछ सीनियर मेंबर्स ने उन्हें डांट भी लगाई लेकिन इससे राजेश खन्ना पर कोई असर नहीं पड़ा। उल्टा उन्होंने सबसे कह दिया, ‘देखिए करियर जाए भाड़ में और एक्टिंग की ऐसी की तैसी। मैं किसी भी चीज के लिए अपनी लाइफ-स्टाइल नहीं बदलूंगा।’ उनकी ये बात सुनकर सेट पर सन्नाटा छा गया।
1969 ही वो साल था जिसने राजेश खन्ना को अपार सफलता दी और उन्हें सुपरस्टार बना दिया। इस साल उनकी शर्मिला टैगोर के साथ फिल्म ‘आराधना’ रिलीज हुई थी। फिल्म में वो शर्मिला के पति के रोल में थे, जिनकी मौत हो जाती है। बाद में राजेश खन्ना को ही उनके बेटे के रोल में दिखाया गया। फिल्म में भले ही सेंट्रल कैरेक्टर शर्मिला का था लकिन डबल रोल में राजेश खन्ना अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे।
राजेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में कहा था, जब फिल्म रिलीज हुई तो इसके शो शुरू होने से पहले मैं सबको नमस्ते और हाय कर रहा था लेकिन कोई मुझे जवाब तक नहीं दे रहा था। इससे निराश होकर मैं होटल के कमरे में चला गया मगर फिल्म खत्म होने के बाद लोग मुझे ढूंढते हुए मेरे पास आए और कहा कि चलिए आपके बारे में पूछा जा रहा है।
‘आराधना’ के बाद राजेश खन्ना ने हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। लगातार 14 फिल्में हिट हुईं जो रिकॉर्ड आज तक नहीं टूट पाया। लोग एक फिल्म देखकर उनकी दूसरी फिल्म देखने के लिए थिएटर में घुस जाते थे। सारे बड़े थिएटरों में 5-6 फिल्में तो सिर्फ राजेश खन्ना की ही चला करती थीं।
एक समय राजेश खन्ना अपने स्टारडम से इतने परेशान हो गए थे कि वो खुद चाहने लगे कि उनकी कुछ फिल्में फ्लॉप हो जाएं ताकि वो इतना स्टारडम संभाल पाएं। फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ भी उन्होंने इसलिए ही साइन की थी क्योंकि इसकी स्क्रिप्ट उन्हें पसंद नहीं आई थी। उन्हें लगा था कि फिल्म में दम नहीं है लेकिन इसके बावजूद ये सुपरहिट साबित हुई थी।
1969 से 1975 के बीच राजेश खन्ना का स्टारडम ऐसा था कि उस दौर में पैदा ज्यादातर लड़कों के नाम भी राजेश रखे गए थे। लड़कियां इनके स्टाइल, इनकी मुस्कान पर फिदा थीं। आलम ये था कि इन्हें लड़कियां खून से खत लिखा करती थीं जिसे पढ़ने के लिए राजेश खन्ना के बंगले पर एक व्यक्ति को नौकरी पर रखा गया था। कुछ लड़कियों ने तो उनकी फोटो से शादी कर ली थी।
राजेश खन्ना पर किताब ‘द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार’ लिखने वाले यासिर उस्मान ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में काका की दीवानगी का एक किस्सा सुनाते हुए कहा था, मैंने एक बुजुर्ग महिला से पूछा था, ‘राजेश खन्ना क्या थे आपके लिए? तो उन्होंने कहा था, ये आप कभी नहीं समझेंगे। हम जब उनकी फिल्म देखते थे तो हमारी उनसे डेट हुआ करती थी। हम फिल्म के शो से पहले ब्यूटी पार्लर जाते थे, मेकअप करते थे, सजते थे क्योंकि हमें महसूस होता था कि वो बड़े पर्दे जो मुस्कुरा रहे हैं, वो हमें देखकर ही ऐसा कर रहे हैं। ये सिर्फ मैं नहीं, सिनेमा हॉल में बैठी हर लड़की ऐसा ही महसूस करती थी। उनकी सफेद कार को चूमकर लाल कर देने वाले किस्से भी बिल्कुल सही हैं।’
1973 में डिंपल कपाड़िया से शादी करने से पहले, राजेश खन्ना सालों तक अंजू महेंद्रू के साथ रिलेशनशिप में थे। इस दौरान वो लिव इन में भी रहे थे, करीब 2 साल बाद दोनों का रिश्ता खत्म हो गया। हालांकि, 2012 में राजेश खन्ना के निधन होने तक अंजू उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा रही थीं।
यासिर उस्मान की किताब ‘राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार’ में अंजू ने बताया कि महिलाएं भारी संख्या में राजेश खन्ना की फैन थीं, वो यह देखकर बहुत खुश होते थे। वो उनसे भी इसी तरह के रिएक्शन की उम्मीद करते थे।
किताब में 1973 के एक इंटरव्यू का जिक्र भी किया गया है, जिसमें अंजू ने कहा था- ‘वह (राजेश खन्ना) चाहते थे कि उन सभी फीमेल फैंस की तरह मैं भी उन्हें देखने के बाद वैसे ही रिएक्ट करूं। उन्हें देखकर एक्साइटेड हो जाऊं, उस वक्त फैंस उन्हें लेकर पागल थे…वो उनके पैरों पर गिरने को तैयार थे। मैं वैसे रिएक्ट नहीं कर सकी। मैंने उन्हें प्यार किया था। मेरे लिए वह जतिन या जस्टिन थे। एक आदमी जिससे मैं प्यार करती थी। किसी राजेश खन्ना या सुपरस्टार से नहीं।’
राजेश खन्ना की सलीम खान से अच्छी बॉन्डिंग थी। वो फिल्म इंडस्ट्री में उनकी बहुत इज्जत करते थे लेकिन जब एक बार उन्होंने एक मैगजीन आर्टिकल में संजीव कुमार की तारीफ कर दी तो काका उनसे नाराज हो गए थे। दरअसल, मैगजीन ने संजीव कुमार पर एक कवर स्टोरी की थी जिसमें सलीम खान से पूछा गया था कि वो बतौर एक्टर संजीव कुमार को कैसे देखते हैं।
उन्होंने तारीफ करते हुए कहा था कि संजीव बेहतरीन एक्टर हैं। जब ये आर्टिकल काका ने पढ़ा तो वो महबूब स्टूडियो में किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। उन्होंने उसी वक्त किसी व्यक्ति को सलीम खान को बुलवाने के लिए भेजा। जब वो आए तो काका ने उनसे उस आर्टिकल को पढ़ते हुए पूछा, ‘ये आपके विचार हैं’? सलीम खान बोले-हां। काका बोले-क्या आपको संजीव कुमार अच्छे एक्टर लगते हैं? जवाब मिला-हां बिलकुल। फिर काका बोले-और मैं अच्छा एक्टर नहीं?
सलीम साहब बोले-ये आर्टिकल संजीव कुमार पर था, अगर आपके बारे में होता तो मैं आपकी भी तारीफ करता। राजेश खन्ना ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया लेकिन सलीम खान के मुताबिक, इस घटना के छह महीने बाद तक उनके पास राजेश खन्ना का कोई फोन नहीं आया और ना ही वो उनसे मिले।
1979 में महमूद ने अपनी फिल्म ‘जनता हवलदार’ के लिए राजेश खन्ना को साइन किया था। फिल्म की शूटिंग के दौरान एक बार महमूद के बेटे राजेश खन्ना से हाय-हेलो करके चले गए। काका को ये बात बुरी लगी। उन्हें लगा कि ये उनकी इंसल्ट है। इसके बाद से राजेश हमेशा सेट पर लेट आने लगे। महमूद को घंटों इंतजार करना पड़ा। एक बार इसी झल्लाहट में महमूद ने राजेश खन्ना को थप्पड़ जड़ दिया। महमूद ने कहा, ‘हमने आपको फिल्म के लिए पूरे पैसे दिए हैं, आपको शूटिंग पूरी करनी होगी।’ इसके बाद से काका टाइम पर आने लगे।
प्रेम चोपड़ा ने राजेश खन्ना के साथ फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ में काम किया था। उन्होंने शूटिंग से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए एक इंटरव्यू में कहा था- इस फिल्म का प्रोड्यूसर समय का पाबंद था। अगर शूटिंग का समय 9 बजे था तो सभी को 8.30 बजे पहुंचना पड़ता था। हालांकि राजेश खन्ना वहां भी दोपहर में आते थे।
प्रोड्यूसर उन्हें कुछ नहीं कह पाता था। उसने एक व्यक्ति रखा हुआ था, जब राजेश खन्ना सेट पर आते, प्रोड्यूसर उन्हें दिखाने के लिए उस व्यक्ति की पिटाई करने लगता था।
वो राजेश खन्ना को यह सब करके सांकेतिक रूप से अपना गुस्सा दिखाना चाहता था। राजेश खन्ना को बाद में प्रोड्यूसर के इशारे समझ में आ गए और वे इसके बाद समय से पहुंचने लगे
80 के दशक से राजेश खन्ना का डाउनफॉल शुरू हो गया था। उनकी फिल्में लगातार पिटने लगी थीं। इसकी सबसे बड़ी वजह थे अमिताभ बच्चन जिनकी एंग्री मैन की छवि काका पर भारी पड़ गई। अमिताभ को पछाड़ने के लिए काका ने कुछ एक्शन फिल्में भी कीं लेकिन दर्शकों ने उन्हें इसमें नकार कर दिया क्योंकि वो उन्हें रोमांटिक रोल्स में ही जमते थे।
राजेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी से कहा था, उनका दौर बीत चुका है, ये (अमिताभ बच्चन) रहा कल का सुपरस्टार। तब तक अमिताभ बच्चन का कान को ढंकने वाला हेयरस्टाइल सुपरहिट हो चुका था। मुंबई के हेयर कटिंग सैलून्स के बाहर बोर्ड लग चुके थे। राजेश खन्ना हेयर कट 2 रुपए और अमिताभ बच्चन हेयर कट 3.50 रुपए।
राजेश खन्ना की जिंदगी में एक दौर ऐसा आया जब उन्होंने खुद को 14 महीनों तक घर में कैद कर लिया था। उन्हें सिगरेट और शराब की लत लग चुकी थी। उनकी पत्नी डिंपल चाहती थीं वो उनसे बात करें। लेकिन वो कुछ नहीं बोलते थे। लगातार सिगरेट पीते रहते थे। बस इतना पूछते थे-‘ बच्चों ने आज क्या किया?’
दरअसल, शादी के कुछ सालों बाद ही राजेश खन्ना और डिंपल के रिश्तों में दरार आ गई थी। डिंपल अपनी दोनों बेटियों ट्विंकल और रिंकी को लेकर घर छोड़कर चली गई थीं। हालांकि इन्होंने कभी तलाक नहीं लिया था।
राजेश खन्ना इतने नैचुरल एक्टर थे कि उन्होंने फिल्मों में रोने के लिए कभी ग्लिसरीन का इस्तेमाल नहीं किया। उन पर लिखी एक किताब ‘राजेश खन्ना- एक तन्हा सितारा’ के मुताबिक, 1999 में आई फिल्म ‘आ अब लौट चलें’ का एक किस्सा है जिसमें काका को एक सीन में रोना था। बुजुर्ग हो चले राजेश खन्ना ने पूछा-कितने आंसू चाहिए? फिर उन्होंने हंसते हुए अपना सिर पीछे घुमाया और आंखों में आंसू भरकर सामने आ गए और कहा, ‘इंसान को आंसू उधार लेने की क्या जरूरत? गम दुनिया में इतने हैं कि झोली कम पड़ जाए’।
इसी फिल्म से जुड़ा एक और किस्सा है। फिल्म के डायरेक्टर ऋषि कपूर थे और एक सीन में उन्होंने काका से अपना हाथ ना हिलाने के लिए कहा। कुछ टेक के बाद राजेश खन्ना का हाथ हिल जाता था। इससे ऋषि कपूर को गुस्सा आ गया और उन्होंने काका को डांट लगा दी।
काका ने उन्हें तब कुछ नहीं कहा और अपना सीन पूरा करके चुपचाप एक कोने में बैठ गए। बाद में राजेश खन्ना ने सिर्फ इतना कहा था, ‘राज कपूर साहब मुझसे कहते थे-काका, तेरे हाथ में जादू है। इसे एक्टिंग में कभी रुकने मत देना और आज देखो उन्हीं का बेटा मुझे अपने हाथों को रोकने के लिए कह रहा है।’
निधन से पहले काका ने एक ऐड शूट किया था जिसके जरिए उन्होंने अपने फैंस का शुक्रिया अदा किया था। इस ऐड को डायरेक्टर आर. बाल्की ने डायरेक्ट किया था। एक इंटरव्यू में बाल्की ने बताया था कि इस ऐड की शूटिंग से पहले काका हॉस्पिटल में थे। उन्हें एयर एम्बुलेंस के जरिए सेट पर लाया गया था।
बाल्की ने कहा था, ‘हमने काका को इस ऐड में इस थॉट के साथ कास्ट किया था क्योंकि मुझे नहीं लगता कि उनसे ज्यादा किसी के भी फैंस होंगे। और उनसे ज्यादा किसी ने अपने फैंस गंवाए भी नहीं होंगे।
मैं काका से सबसे पहली बार उनके बंगले आशीर्वाद पर मिला था। मैंने उन्हें पूरा ऐड सुनाया और कहा कि हम इसमें आपका मजाक उड़ा रहे हैं। उन्होंने जवाब दिया- ‘बाल्की, तुम्हें लगता है कि मेरे पास इतना सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं होता तो क्या मैं इतना बड़ा सुपरस्टार होता?’
इस ऐड को शूट करने से पहले 3 दिन पहले तक वो हॉस्पिटल में थे। हम इसे बैंगलोर में शूट करने वाले थे। मैंने काका से कहा कि हम ऐड पोस्टपोन कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया- ‘नहीं, मैं सेट पर आ रहा हूं। तीन दिन बाद काका एयर एम्बुलेंस के जरिए सेट पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि वो रिहर्सल करना चाहते हैं।
जब मैं उनके रूम में पहुंचा तो एक लड़का उनकी ड्रिप बॉटल पकड़े खड़ा था और दूसरा स्टैंड पकड़े हुए था। वो रूम में डांस करने की कोशिश कर रहे थे और उनको ऐसा करते देख मेरी आंखों में आंसू आ गए।
शूट वाले दिन सेट पर उनके साथ कुछ लोग थे जो उन्हें असिस्ट कर रहे थे पर जैसे ही कैमरा फेस करने का वक्त आया तो उन्हें अपनी ड्रिप हटाई और बोले, ‘कमॉन, एक्शन। उन्होंने दो टेक दिए और उसके बाद बोले- ‘माफी चाहूंगा।। मैं एक और कट देना चाहता हूं पर दे नहीं सकता।’ हमने इस ऐड को डेढ़ घंटे में शूट किया, जिसके बाद काका वापस चले गए।’
काका कभी अपने इस ऐड को देख ही नहीं पाए क्योंकि कुछ ही दिनों बाद 18 जुलाई, 2012 को उनका निधन हो गया। यह ऐड उनके करियर का पहला और आखिरी ऐड था। उनके आखिरी शब्द थे-पैकअप।