विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डा. टेड्रोस अधनम घेब्रेयेसस (Tedros Adhnom Ghebresyus) ने अमीर देशों में लगाई जा रही कोरोना रोधी बूस्टर डोज पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि गरीब देशों में प्रतिदिन लोगों को जितनी प्राथमिक डोज दी जा रही है उससे छह गुना ज्यादा बूस्टर डोज दुनिया भर में लगाई जा रही हैं। इस असमानता को एक घोटाला (Scam) करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह रुकना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ ने ई-मेल के जरिये दी गई जानकारी में कहा है कि 92 देशों ने बूस्टर डोज लगाने की पुष्टि की है और इनमें से एक भी निम्न आय वाले देश नहीं हैं। दुनिया भर में प्रतिदिन कोरोना रोधी वैक्सीन की 2.85 करोड़ डोज लगाई जाती हैं।
डा. टेड्रोस के साथ ही डब्ल्यूएचओ के अधिकारी अमीर देशों द्वारा कोरोना रोधी वैक्सीन का भंडारण करने की आलोचना करते रहे हैं, जिसके चलते गरीब और कम आय वाले देशों में बुजुर्गो, स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर और अत्यधिक जोखिम वाले समूह के लोगों के लिए वैक्सीन नहीं मिल पा रही है। अगस्त में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने बूस्टर डोज पर रोक लगाने का आह्वान किया था, बाद में उन्होंने इस अवधि को इस साल के अंत तक के लिए बढ़ा दिया था। परंतु, जर्मनी, इजरायल, कनाडा और अमेरिका जैसे देश अपने यहां बूस्टर डोज लगाने का कार्यक्रम चलाते रहे।
डब्ल्यूएचओ ने ई-मेल के जरिये दी गई जानकारी में कहा है कि 92 देशों ने बूस्टर डोज लगाने की पुष्टि की है और इनमें से एक भी निम्न आय वाले देश नहीं हैं। एजेंसी के मुताबिक दुनिया भर में प्रतिदिन कोरोना रोधी वैक्सीन की 2.85 करोड़ डोज लगाई जाती हैं। इनमें से एक चौथाई यानी लगभग 69 लाख बूस्टर डोज होती हैं, जबकि निम्न आय वाले देशों में प्रतिदिन 11 लाख प्राथमिक डोज ही लग पाती हैं।