अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहली बार सार्वजनिक रूप से जेलेंस्की से माफी मांगी है

अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहली बार सार्वजनिक रूप से जेलेंस्की से माफी मांगी है। उन्होंने ये माफी सैन्य सहायता में देरी होने की वजह से मांगी। बाइडेन ने कहा कि इस वजह से रूस ने युद्ध के मैदान में यूक्रेन पर बढ़त बना ली।
अमेरिका ने यूक्रेन के साथ 61 बिलियन डॉलर के सैन्य पैकेज का एग्रीमेंट किया था। इसे रिपब्लिकन सांसदों के विरोध की वजह से अमेरिकी संसद ने छह महीने से अटका रखा था।
इस देरी को लेकर बाइडेन ने जेलेंस्की से कहा- मैं हफ्तों हुई देरी को लेकर माफी मांगता हूं। मुझे अंदाजा नहीं था कि उसकी वजह से आपको क्या नुकसान उठाने पड़े हैं।
बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी लोग लंबे समय तक यूक्रेन के साथ खड़े हैं। खुद मैं भी पूरी तरह से यूक्रेन के साथ खड़ा हूं। इसके साथ ही बाइडेन ने अलग से यूक्रेन को 225 मिलियन डॉलर की सहायता पैकेज देने की घोषणा की है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नॉरमंडी में भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी सेना का मुकाबला करने वाले अमेरिकी सैनिक भी ये चाहते होंगे कि उनका देश आज रूसी राष्ट्रपति पुतिन की आक्रमकता के खिलाफ खड़ा रहे। ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने नाजी नेता हिटलर की आक्रमकता का विरोध किया था।
बाइडेन ने कहा कि उन्होंने 30 और 40 के दशक में एक घृणित विचारधारा को हराने के लिए लड़ाई लड़ी। आज भी वे नफरती विचारधाराओं को हराने के लिए जमीन-आसमान एक कर देते।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ये मानने से इनकार करता हूं कि अमेरिका की महानता अब अतीत की बात हो गई है। अमेरिका आज भी महान है। जब हम एक साथ काम करते हैं तो ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम नहीं कर सकते।
बाइडेन का ये बयान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नारे ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगैन’ को लेकर थी जिसमें वो अमेरिका को फिर से महान बनाने की बात करते हैं।
इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन को अपने शक्तिशाली लड़ाकू विमान मिराज देने की घोषणा की थी। डी-डे के मौके पर मैक्रों ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात कर यह बात कही।
आज शुक्रवार को मैक्रों और जेलेंस्की के बीच ये डील होगी। मैक्रों ने कहा कि यूक्रेन मिराज का इस्तेमाल रूस से अपनी रक्षा करने के लिए करेगा। फ्रांस इसके लिए यूक्रेनी पायलटों को ट्रेनिंग भी देगा।
इससे एक दिन पहले रूस ने चेतावनी दी थी कि अगर यूक्रेन में फ्रांसीसी सेना का कोई भी अफसर मौजूद रहेगा तो वह उस पर हमला जरूर करेगा। दरअसल, रूस का आरोप है कि फ्रांस की सेना यूक्रेनी अधिकारियों को ट्रेनिंग दे रही है।
गुरुवार को डी-डे के मौके पर फ्रांस में दुनिया के 5 बड़े नेता एकजुट हुए थे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन बाइडेन, ब्रिटेन के किंग चार्ल्स और PM ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की 6 जून को फ्रांस पहुंचे थे।
ऋषि सुनक इवेंट खत्म होने से पहले ही ब्रिटेन लौट गए। इसके बाद उनकी आलोचना होने लगी। अब इसके लिए सुनक ने माफी मांगी है। दरअसल, ब्रिटेन में 4 जुलाई को चुनाव होने वाले हैं। इसके चलते उन्हें एक इंटरव्यू देना था इसीलिए वह इवेंट से जल्दी लौट आए।
5 जून 1944 की रात। फ्रांस के नॉरमंडी शहर में समंदर की लहरें शांत थीं और पूर्णिमा का चांद पूरे शबाब पर था। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के 1,60,000 से अधिक सैनिक नॉरमंडी में मौजूद नाजी सैनिकों पर हमला करने की तैयारी कर रहे थे।
लेकिन अचानक एक तूफान आ गया। सारी तैयारी धरी की धरी रह गई। मजबूरन अमेरिकी सेना के सुप्रीम कमांडर ड्वाइट आइजनहावर को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। अमेरिकी सैनिकों ने दिन भर का इंतजार किया। आधी रात के बाद हजारों सैनिक पैराशूट से नॉरमंडी के बीच पर लैंड पर करते हैं। सुबह होने तक नाजी सैनिकों को इस बात की भनक तक नहीं हुई कि दुश्मन सेना इतनी करीब पहुंच चुकी है।
जैसे ही उजाला हुआ अमेरिकी सैनिकों ने सुबह के साढ़े 6 बजे नाजियों पर हमला शुरू कर दिया। इसमें उनका साथ देने ब्रिटेन और फ्रांस के सैनिक आ गए। जमीन-आसमान और समंदर तीनों तरफ से एक साथ हमले की उम्मीद नाजी सैनिकों को नहीं थी। वे संभल नहीं पाए। इसमें जर्मनी के करीब 8,000 सैनिकों की जान गई। वहीं, मित्र देशों (अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन) के करीब 4,500 सैनिक मारे गए।
ये सब अचानक नहीं हुआ था। इसकी तैयारी करीब एक सालों से चल रही थी। जर्मनी को भनक थी कि मित्र देश कुछ बड़ा करने वाले हैं मगर अमेरिका ने जानबूझकर उन्हें गलत इनपुट देकर उलझाए रखा। यूं तो नॉरमंडी की लड़ाई का कोडनेम ऑपरेशन ओवरलॉर्ड था, लेकिन यह जंग इतनी निर्णायक और ऐतिहासिक बन गई कि इसके लिए आमतौर पर डी-डे ही प्रचलित हो गया।
डी-डे को ‘हिटलर के शासन के अंत की शुरुआत’ के दिन के तौर पर याद रखा जाता है। डी-डे की शुरुआत के बाद ही यूरोप को मुक्त कराया जा सका और जर्मनी में नाजी शासन को खत्म किया जा सका।
आज ठीक 80 साल बाद इसी नॉरमंडी बीच पर अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, यूक्रेन, कनाडा के नेता इकट्ठा हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन बाइडेन, ब्रिटेन के किंग चार्ल्स और PM ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की पहुंचे हैं।
इस दौरान वे दुनिया को ये मैसेज देने की कोशिश करेंगे कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग दूसरे विश्वयुद्ध का ही विस्तार है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश इसके खिलाफ एकजुट हैं।
इस मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक भावुक भाषण दिया। उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध और अभी रूस के यूक्रेन पर हमले की घटना की कड़ी जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बुरी ताकतें जिनसे मित्र देशों की सेनाएं लड़ी थीं अभी खत्म नहीं हुई हैं।
बाइडेन कहा कि तानाशाही और आजादी के बीच संघर्ष अभी थमा नहीं है। यूक्रेन अभी ताजा उदाहरण है कि कैसे एक तानाशाह (पुतिन) ने इस देश पर हमला किया है। मगर यूक्रेन पीछे नहीं हटेगा। हम उसका साथ नहीं छोड़ेंगे।
इससे पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी कि मॉस्को पश्चिमी देशों पर हमला करने के उद्देश्य से देशों को हथियार दे सकता है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने यह बयान यूक्रेन को पश्चिमी देशों द्वारा लंबी दूरी के हथियार दिए जाने की आलोचना करते हुए दिया।
दरअसल अमेरिका सहित कई देशों ने यूक्रेन को रूस के भीतर हमला करने की हरी झंडी दे दी है। पुतिन ने इसे लेकर कहा कि इस तरह के एक्शन से बहुत गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हालांकि पुतिन ने ये साफ नहीं किया कि रूस किन देशों को हथियार आपूर्ति कर सकता है।