सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार को दो करोड़ रुपये तक के ऋण पर मोराटोरियम की अवधि के ब्याज पर ब्याज को माफ करने के मुद्दे पर अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। शीर्ष न्यायालय अब 13 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को केंद्र के प्रस्ताव पर जवाब देने को कहा है। साथ ही सरकार और केंद्रीय बैंक को रियल एस्टेट एसोसिएशन्स और बिजली उत्पादकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए भी कहा है।
इससे पहले शनिवार को सरकार ने कहा था कि वह दो करोड़ रुपये तक के लोन पर छह माह की अवधि (मार्च से अगस्त) को लिए ब्याज पर ब्याज को माफ कर सकती है।
हालांकि, सरकार ने साथ ही यह भी कहा कि इससे कोरोनावायरस महामारी से मुकाबला जैसी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर असर पड़ेगा। सरकार ने साथ ही यह स्पष्ट किया कि वह सभी श्रेणियों के लोन पर ब्याज को माफ नहीं कर सकती है क्योंकि इससे बैंकों के अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जाएगा।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से उत्पन्न अभूतपूर्व परिस्थिति में सरकार के पास एक मात्र विकल्प यह है कि वह ब्याज पर ब्याज माफी के भार को वहन करे व कर्जदारों को राहत प्रदान करे। सरकार इस फैसले पर संसद की मंजूरी लेगी।
RBI ने कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए एक मार्च से 31 मई की अवधि के लिए सभी तरह के टर्म लोन की EMI के भुगतान पर मोहलत दी थी। इसके बाद 22 मई को केंद्रीय बैंक ने एक बार फिर टर्म लोन की EMI के भुगतान के लिए दी गई मोहलत को 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया था।