लखनऊ की संगीत नाट्य एकेडमी में बुधवार को हास्य नाटक, ‘मस्त मौला’ का मंचन हुआ। लेखक जयवर्धन और निर्देशक संगम बहुगुणा के इस नाटक ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। मंचक्रति समिति द्वारा आयोजित 30 दिन 30 हास्य नाटक प्रोग्राम के 27 वें दिन इस नाटक का मंचन हुआ। तीन किरायेदार, नौकर और मकान मालिक के इर्द गिर्द घूमने वाले इस नाटक ने लोगों को खूब गुदगुदाया।
नाटक की कहानी कुछ यूं थी की सुरीले और रंगीले पंडित पंजीरीलाल के घर पर किराये पे रहते हैं। सुरीले पेशे से सिंगर और रंगीले कवि है। लेकिन दोनों ही बड़े काम की तलाश में हैं। काम नहीं हैं तो दोनों किराया भी नहीं दे पाते। साथ ही कई लेनदारों के कर्ज में भी डूबे होते हैं।
इसी बीच, ऐक्टर छबीले भी उसी घर में किराये पर रहने आ जाता है। तीनों ही पंडित जी की बेटी आरती को पसंद करते हैं। तिकड़ी में एक दूसरे की बीच होती बहस पर लोगों ने खूब ठहाके लगाए। तीनों ही एकदम ‘मस्त मौला’ स्वभाव के इंसान होते हैं। साथ ही घर के नौकर की कॉमिक टाइमिंग ने नाटक में हंसी का और तड़का लगाया।
इसी बीच एक दिन छबीले अपने नाटक की रिहर्सल कर रहा होता है। पंडित जी को लगता है वो शराब पी रहा है। खैर किसी तरह वो पंडित को समझाता है। इस सिचुएशन पर भी दर्शकों ने हंसते हुए काफी तालियां बजाईं। इस दौरान वो उनका दिल भी जीत लेता है। पंडित जी अपनी बेटी की शादी छबीले से कराने की सोचते हैं। लेकिन वो नकली पिता ले आता है और बाद में आरती को सच भी बता देता है।
इस बात से गुस्सा होकर पंडित जी नौकर समेत तीनों किरायेदारों को घर से निकाल देते हैं। बेघर होने के बाद तीनों अपने कर्ज चुकाने में नाकामयाब हो जाते हैं। लेकिन उनकी हालत और सच्चाई, ईमानदारी देख, लेनदार तीनों के कर्ज माफ कर देते हैं। ‘मस्त मौला’ नाटक ने ये अच्छे से दिखाया कि ईमानदार और सच्चे इंसान को हमेशा पसंद किया जाता है।