भारतीय टेस्ट बैटिंग की बैक बोन चेतेश्वर पुजारा शुक्रवार को करियर का 100वां टेस्ट खेल रहे हैं। पुजारा दुनिया के उन चुनिंदा क्रिकेटर्स में शुमार हैं, जिन्हें टेस्ट स्पेशलिस्ट का तमगा प्राप्त है। 35 साल के पुजारा परफेक्ट क्रिकेट बुक के शॉट्स के लिए भी जाने जाते हैं।
वे ‘आर्ट ऑफ हिटिंग’ के इस दौर में ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ की कला को संभाले हुए हैं। शांत स्वभाव की छवि के साथ क्रिकेट फैंस के दिलों में राज करने वाले पुजारा की क्रिकेट जर्नी उतार-चढ़ाव भरी रही है। 17 साल की उम्र में मां को खो देने का गम हो, या फिर 2009 में करियर खतरे में डालने वाली हैमस्ट्रिंग बोन इंजरी। पुजारा संकट की हर घड़ी में धैर्य के साथ डटे रहे, जैसे वे विकेट पर क्रिकेट की हर परिस्थिति में डटे रहते हैं।
जन्म 25 जनवरी 1988 को राजकोट के एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्मे पुजारा बचपन में खूब वीडियो गेम खेलते थे। ऐसे में उनकी मां रीमा ने पुजारा के सामने शर्त रखी कि अगर वह 10 मिनट तक पूजा करेगा तो वह उसे वीडियो गेम खेलने देंगी। वीडियो गेम खेलने की चाह में नन्हें पुजारा हर रोज पूजा करने लग गए।
पुजारा के पिता अरविंद और मां रीमा ने जल्दी ही अपने बेटे की प्रतिभा को पहचान लिया। 8 साल की छोटी-सी उम्र में अपने पिता से क्रिकेट का कखग..सीखा। अरविंद कोच के रूप में बहुत सख्त थे। थोड़ी-सी गलती होने पर सबके सामने डांट पड़ती थी। पुजारा के चाचा बिपिन भी सौराष्ट्र की ओर से रणजी खेल चुके हैं।
पुजारा 17 साल के थे, जब उनके सिर से मां का आंचल उठ गया। 2005 में वे अंडर-19 का मैच खेल कर लौटे। पुजारा ने अपनी मां रीमा को फोन पर कहा कि पिताजी को लेने के लिए राजकोट बस स्टैंड भेज दें, लेकिन इस युवा को बस स्टैंड में पिता की जगह एक रिश्तेदार मिला, जिसने उन्हें बताया कि आपकी मां का निधन हो चुका है। इसी साल पुजारा ने रणजी डेब्यू किया।
2009 में साउथ अफ्रीका में इंडियन प्रीमियर लीग में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खेलते हुए पुजारा की हैमस्ट्रिंग बोन टूट गई। ऐसे में परिवार वाले उन्हें राजकोट लाना चाहते थे, लेकिन टीम के मालिक शाहरुख ने पुजारा के परिजनों से बात की और उन्हें साउथ अफ्रीका में पुजारा की सर्जरी कराने के लिए राजी किया। शाहरुख का तर्क था कि रग्बी खिलाड़ियों को इस तरह की चोट लगती है और वहां के डॉक्टर इसकी सर्जरी अच्छे से करते हैं। शाहरुख ने पुजारा के पिता का पासपोर्ट बनाया और उन्हें साउथ अफ्रीका ले गए।
लक्ष्मण की गैरमौजूदगी में टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी
करीब 13 साल पहले 2010 में पुजारा ने बेंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी। सीरीज के दूसरे मुकाबले की चौथी पारी में भारत को 200 से ज्यादा रनों का लक्ष्य मिला था और भारत ने 17 रन पर वीरेंद्र सहवाग का विकेट गंवा दिया था।
सीरीज के पहले मुकाबले की चौथी पारी में 73 रन की क्लासिकल पारी खेलकर टीम को जीत दिलाने वाले VVS लक्ष्मण भी उस मैच में नहीं खेल रहे थे। वे चोटिल थे। ऐसे में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टीम को बचाने का जिम्मा युवा पुजारा को दिया, जबकि वे इस मुकाबले की पहली पारी में महज 4 रन ही बना सके थे। उसके बावजूद धोनी बैटिंग ऑर्डर में बदलाव करते हुए पुजारा को राहुल द्रविड़ की जगह नंबर-3 पर उतारा।
पुजारा ने भी कप्तान को निराश नहीं किया और 72 रनों की पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी। भारत ने वह मैच 7 विकेट से जीता।
पुजारा ने अपने दमदार डिफेंस के दम पर खुद को द्रविड़ के विकल्प के तौर पर साबित किया और धीरे-धीरे नंबर-3 पर अपनी जगह पक्की कर ली। 99 टेस्ट में उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं।