‘सर, इस्राइल चले गए तो हमारा घर संवर जाएगा। वहां खतरे तो हैं लेकिन इसकी परवाह नहीं है। दस-बीस हजार रुपये में यूं भी घर से दूर हैं…। थोड़ा और दूर चले जाएंगे, लेकिन पैसा हमारे परिवार की जिंदगी आसान बना देगा।’ ये अल्फाज हैं इस्राइल जाने का ख्वाब पाले युवाओं के, जो लखनऊ आईटीआई में इन दिनों डेरा डाले हुए हैं।
हमास के हमलों से तबाह इस्राइल ने निर्माण के लिए भारत से 10 हजार कारीगर मांगे हैं। इनमें तीन हजार कारपेंटर, तीन हजार शटरिंग और लोहे का जाल बांधने वाले व टाइल्स लगाने वाले दो-दो हजार कारीगर हैं। अभी तक पांच हजार का चयन हो चुका है। 21 से 35 साल की उम्र के बीच के ये कारीगर देशभर से लखनऊ आ पहुंचे हैं, अधिकांश की स्थिति दयनीय है। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र से लौट रहे यूपी के इन युवाओं को भरोसा है कि तीन साल का इस्राइल प्रवास उनकी जिंदगी बदल देगा।
इन युवाओं के बारे में श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दूसरे प्रदेशों में काम कर रहे इन कारीगरों की औसत कमाई दस हजार से बीस हजार रुपये के बीच है। समूह में रहने के बावजूद महीने में आधा पैसा खर्च हो ही जाता है। बमुश्किल कुछ बचत घर भेज पाते हैं। इनमें से गांव में किसी के पिता बटाई मजदूर हैं तो किसी के पास कमाई का कोई साधन नहीं है। महज एक से दो बीघा जमीन वाले ये बेहद छोटे किसानों के बच्चे हैं, जो जमीन से पेट भरने लायक अनाज भी पैदा नहीं कर पाते। आईटीआई लखनऊ में सेलेक्शन की अंतिम प्रक्रिया से गुजर रहे इन युवाओं को अच्छी तरह से पता है कि वार जोन में काम कितना खतरनाक है। आवेदन करने वाले अधिकांश युवाओं का कहना है कि यहां भी उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है।
हर महीने मिलेंगे 1.37 लाख रुपये
श्रम विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक इस्राइल जाने वाले कारीगर को हर महीने 1.37 लाख रुपये मिलेंगे। तीन साल में करीब 49.32 लाख रुपये। इसके अलावा वहां रहने के लिए आवासीय व्यवस्था और साइट पर आने-जाने का खर्च भी मिलेगा। यूपी की प्रति व्यक्ति औसत आय करीब 71 हजार रुपये सालाना है। जबकि इस्राइल में उन्हें एक साल में 16.32 लाख रुपये मिलेंगे। यानी इस्राइल जाने वाला एक युवा प्रति व्यक्ति औसत आय से 23 गुना ज्यादा पाएगा। हेल्थ बीमा, हवाई भाड़ा और खानपान, अन्य खर्च के बाद भी तीन साल में न्यूनतम 30 लाख रुपये आसानी से बचा लेगा। इतना पैसा यहां रहकर बचाने में उसे 25 साल लग जाएंगे।