संसद का मानसून सत्र भले ही खत्म हो गया हो और बुधवार को उसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया हो, लेकिन इस दौरान विपक्षी दलों ने हंगामा करके संसद की सामान्य कार्यवाही को व्यापक तौर पर बाधित किया। विपक्ष के इस तरह के बर्ताव से तंग आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्ष के नेता जानबूझकर हंगामा करके संसद नहीं चलने दे रहे। मालूम हो कि पिछले माह मानसून सत्र के आरंभ से ही संसद के दोनों सदनों में विपक्षी नेता निरंतर हंगामा करते रहे हैं।
संसद में विपक्षी दलों की गतिविधियों को देखते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जिस तरह से तृणमूल के एक सांसद ने संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी के हाथ से कागज छीनकर उसे फाड़ डाला, वह एक तरह से जनता का अपमान था। संसद में कागज फाड़ना और उसके टुकड़े हवा में लहराना तथा विधेयकों को पारित किए जाने के तौर तरीके पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करना संविधान, संसद और जनता का अपमान है। चूंकि लोकतंत्र में जनता ही सांसदों को चुनती है, लिहाजा जनसरोकारी मामलों को प्रधानता मिलनी ही चाहिए। प्रधानमंत्री ने तृणमूल के एक नेता के इस बयान पर भी नाराजगी जताई जिन्होंने कहा कि इस हो-हल्ले के दौरान जो भी बिल पास किए गए, वे एक तरह से चाट-पापड़ी खाने की तरह से पास किए गए हैं। भाजपा संसदीय दल की बैठक में अखिल भारतीय चिकित्सा शिक्षा आरक्षण कोटा योजना में ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और उच्च वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। संसदीय दल के सदस्यों ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का ताली बजाकर स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था धीरे धीरे पटरी पर आ रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति पहले से मजबूत हुई है और कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद इसमें सुधार की गति तेजी से बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के अपने उच्चतम शिखर पर है। इतना ही नहीं, हाल में जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्वि हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार गरीबों के सशक्तीकरण को प्राथमिकता दे रही है और इसी को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देशभर में लाखों परिवारों को नि:शुल्क राशन दिया जा रहा है। यह राशन आगामी दिवाली तक दिया जाएगा। कल ही अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित किए गए संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में प्राय: प्रतिदिन हंगामा हुआ। राज्यसभा में तो सभापति द्वारा बार बार चेतावनी देने के बावजूद विपक्ष ने अपना रवैया नहीं बदला। वित्त मंत्री सीतारमण को तो यहां तक कहना पड़ा कि विपक्ष का हंगामा एक हिंसक प्रदर्शन की तरह है।
इस बार का संसद का मानसून सत्र बेहद हंगामेदार रहा। एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ होगा जिस दिन सदन में हंगामा नहीं हुआ हो। लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में उपराष्ट्रपति के बार बार अनुरोध करने के बावजूद विपक्षी दलों के नेताओं ने एक दिन भी सदन चलाने में सहयोग नहीं किया, बल्कि निरंतर व्यवधान पैदा करते रहे। हां, इस लिहाज से मंगलवार का दिन भी ऐतिहासिक ही कहा जा सकता है, जब सरकार द्वारा प्रस्तुत ओबीसी विधेयक पर विपक्ष ने भी अपनी शत प्रतिशत सहमति व्यक्त की। इस एक दिन के मामले को छोड़ दें तो शेष दिन जिस प्रकार सदन में निरंतर हंगामा होता रहा, उससे लगता है कि देर-सबेर इस देश में लोकतंत्र को गहरा धक्का लगेगा। समय आ गया है जब पूरा देश विपक्ष के इस प्रकार के आचरण पर गंभीरता से विचार करे।