उतार के समय बुद्धि थोड़ी स्थिर रहती है, उसमें सीखने की जरूरत होती है : यश टोंक

यश टोंक, अश्लेषा सावंत, मोनिका शर्मा स्टारर फिल्म ‘हरियाणा’ पांच अगस्त को रिलीज हो रही है। उन्होंने अपनी बात साझा की |
वह मेरे अंदर नहीं है। मैं चाहकर भी कर नहीं पाता हूं। मैं लोगों से मिलता हूं, तब लगता है कि काम अपनी अलग जगह है और इंसान अलग जगह है। इंसान रहना ही अपने आपको ज्यादा बेटर फील करता हूं, क्योंकि ऐसा नहीं है कि काम खत्म होने के बाद उसे घर तक लेकर जाऊं या ऐसा कुछ उस चीज को फ्लॉन्ट करूं। जीवन में चीजें जितना सिंपल, सरल रहे, उतना ही बेहतर है।
कोई प्रोजेक्ट ऑफर होता है, तब सबसे पहले देखता हूं कि कहानी का सब्जेक्ट क्या है। सब्जेक्ट अगर एक्साइट करता है, तब बतौर एक्टर उसे करने के लिए एक्साइट हो जाता हूं। दिल से लगने लगता है कि इसे किया जाए। मोस्टली, सुनकर जो अच्छा लगता है, उसे कर लेता हूं।
मुझे लगता है कि टेलीविजन में बदलाव लाने की जरूरत है। क्योंकि टेलीविजन काफी समय से स्थिर है। कुछ अच्छे सब्जेक्ट आएं, कुछ अच्छे राइटर आएं। कुछ शो किताबों के ऊपर बने। दर्शकों के मनोरंजन के लिए टेलीविजन बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म है। मुझे लगता है कि राइटर इतने समय से चलते आ रहे हैं। अब उनकी मुटि्ठयां खुल चुकी हैं, उनके पास कुछ नया नहीं है। नए राइटर आएंगे, तब नई सोच लेकर आएंगे। नए सब्जेक्ट होंगे, इसलिए नए राइटर का आना जरूरी है।
जिसे हम उतार बोलते हैं, मुझे लगता है यही सुधार का समय होता है। क्योंकि चढ़ाव के समय पर आपकी बुद्धि सिर्फ चढ़ाव पर होती है और उतार के समय बुद्धि थोड़ी स्थिर रहती है। उसमें सीखने की जरूरत होती है। वह समय बहुत सुंदर समय है।
अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करते हैं। क्योंकि टीवी शोज वगरैह में काम कर रहे होते हैं, तब तीन-तीन, चार-चार साल ऐसे निकल जाते हैं कि बच्चे कैसे बड़े हो गए पता नहीं चलता है। क्योंकि सुबह निकलते हैं, तब वे सो रहे होते हैं और लौटने तक वे सो चुके होते हैं। मैं हमेशा चीजों को ऐसे ही यूटिलाइज करता हूं। मान लीजिए कभी किसी शो के दौरान वर्कआउट नहीं हो पाया, तब जैसे समय मिला तो थोड़ा-सा अपनी फिजिकलिटी पर वर्क किया, थोड़ी पेंटिंग की, बच्चों को समय दिया, बाहर घूमे-फिरे, खाए-पिए और आ गए।नहीं, नहीं। मुझे देखकर लगता है क्या! वह चीज मुझे कभी समझ में ही नहीं आई। मेरी अगर कोई तारीफ भी करता है, तब समझ में नहीं आता है कि उसे कैसे रिएक्ट किया जाए। मैं सिर्फ काम करने में विश्वास रखता हूं बाकी जिसको जैसा अच्छा लगे, वह उनकी इच्छा और उनकी सोच है।