केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुधवार को बुलाए गए श्रमिक संघों के भारत बंद का असर बैंकिंग, परिवहन समेत कई जरूरी सेवाओं पर पड़ रहा है. देश के 10 प्रमुख श्रमिक संघों के आह्वान पर करीब 25 करोड़ लोग हड़ताल में शामिल होने का आंकलन लगाया जा रहा है . भारत बंद को देखते हुए कई सरकारी बैंकों ने स्टॉक एक्सचेंज को पहले ही बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होने की जानकारी दी है.
एआईबीईए, एआईबीओए, बेफी, इनबेफ समेत कई कई बैंक कर्मचारी एसोसिएशन भी इस हड़ताल में हिस्सा लेने की इच्छुक हैं. ऐसे में जमा एवं निकासी और चेक क्लीयरेंस जैसी सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है. हालांकि निजी बैंकों पर इसका असर नहीं पड़ेगा. इसके अलावा राज्यों में परिवहन समेत अन्य प्रमुख सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं.
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी ने सोमवार को संयुक्त बयान में कहा कि देशव्यापी हड़ताल में कम से कम 25 करोड़ लोगों की भागीदारी की उम्मीद है. सरकार से श्रमिक विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे. बयान में कहा गया है कि श्रम मंत्रालय ने 2 जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी, लेकिन वह अब तक श्रमिकों की किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है.
सरकार का यह रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है. इसके अलावा, बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ 60 छात्र संगठन और कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारी भी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं. ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा और अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में ऐसी घटनाओं की निंदा की है. उन्होंने जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं होने पर नाराजगी जताई. साथ ही श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.