सरकार ने वनेसा की पत्रकारिता को अशांति फैलाने वाला बताया

फ्रांसीसी राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले मोदी सरकार ने फ्रांस की एक महिला पत्रकार को नोटिस जारी किया है। महिला पत्रकार पर भारत के खिलाफ रिपोर्टिंग करने के आरोप लगे हैं।
सरकार ने पत्रकार वनेसा डोनियाक ​​​​​​ को नोटिस जारी कर पूछा है कि उसके ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया यानी OCI कार्ड को क्यों रद्द न किया जाए। OCI कार्ड इसका जवाब वनेसा को 2 फरवरी तक देना है।
वनेसा डोनियाक ने 23 जनवरी को बताया कि 22 साल तक भारत में रहने के बाद संभव है कि उन्हें अब देश से निकाल दिया जाए। ली मोंड के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने किसी फ्रांसीसी पत्रकार को देश छोड़ने को कहा हो।
जर्मन मीडिया हाउस DW के मुताबिक वनेसा को गृह मंत्रालय ने पिछले हफ्ते नोटिस भेजा था। नोटिस में कहा गया है कि उनकी पत्रकारिता द्वेषपूर्ण और आलोचनात्मक है।
इससे भारत को लेकर भेदभावपूर्ण छवि बनती है। इसके अलावा सरकार ने वनेसा की पत्रकारिता को अशांति फैलाने वाला बताया है।
सरकार ने वनेसा पर सिटिजनशिप एक्ट 1955 के तहत परमिशन लिए बिना पत्रकारिता करने के आरोप लगाए हैं।
डोनियाक ने नोटिस में उन पर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने एक कहा- भारत मेरा घर है, एक ऐसा देश जिसे मैं प्यार करती हूं और जिसका बहुत सम्मान करती हूं।पेशे से पत्रकार वनेसा डोनियाक के पति भारतीय नागरिक हैं। उनकी रिपोर्ट्स फ्रेंच अखबार ले पॉइंट और ला क्रॉइक्स में छपती हैं। इसके अलावा वो एक स्विस मीडिया हाउस ले टेम्प्स से भी जुड़ी हुई हैं। वनेसा ने 22 सितंबर के बाद से भारत पर कोई रिपोर्ट नहीं दी है।
वो नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव को कवर कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत सरकार ने उनका वर्क वीजा कैंसिल कर दिया है।
वनेसा की भारत को लेकर की गई रिपोर्ट्स में कोरोना के वक्त बिगड़े हालात, झारखंड में ईसाईयों और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और गुमला-लातेहर की घाटियों में नेत्रहाट फायरिंग रेंज प्रोजेक्ट के खिलाफ 1990 के दशक से हो रहे प्रदर्शन शामिल हैं।