लखनऊ की संगीत नाट्य एकेडमी स्थित संत गाडगे ऑडिटोरियम में दर्पण हीरक जयंती नाट्य समारोह चल रहा है। समारोह के दूसरे दिन नाटक ‘बालीगंज 1990’ का मंचन हुआ। इस मजेदार नाटक को फिल्म एंड थिएटर सोसायटी, न्यू दिल्ली ने प्रस्तुत किया।
इसका निर्देशन अतुल सत्य कौशिक ने किया। बालीगंज 1990 कहानी सन 1990 में सेट एक थ्रिलर ड्रामा है। कहानी कलकत्ता की एक मशहूर जगह बालीगंज की है। इस शहर में कार्तिक और वासुकी 10 साल से एक गंभीर रिश्ते में हैं। दोनों एक दूसरे से काफी प्रेम करते थे। लेकिन एक दिन कार्तिक अपने सपनों का पीछा करते हुए मुंबई चला जाता है। उसके जाने के बाद वासुकी एक मशहूर आर्टिस्ट से शादी कर लेती है।।
वासुकी शादी के बाद प्रतिशोध और जबरदस्ती की जिंदगी जी रही है। वो अपनी इस हालत का कसूरवार कार्तिक और उनके असफल प्यार को मानती है। काफी समय बाद एक दिन कार्तिक वासुकी को अपने घर पर कॉफी के लिए बुलाता है। वासुकी की आंखों में कार्तिक को वही 10 साल पुराना प्यार और जुनून दिखता है
ये देख वो काफी खुश और थोड़ा भ्रमित भी होता है। लेकिन वासुकी को कार्तिक की आंखों में अजीब सी आग दिखी। ऐसी आग जो उनके जीवन को बदलने का दम रखती है। कार्तिक उनके असफल प्रेम का कारण वासुकी को समझता है, क्योंकि उसने किसी और से शादी कर ली। प्यार और नफरत को दिखाते इस नाटक का दर्शकों ने भरपूर आनंद उठाया।