चीन ने मंगलवार को भारत से लगे बॉर्डर क्षेत्र की स्थिति को सामान्यत: स्थिर बताया है। इसके अलावा चीन ने बुधवार को कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की बातचीत की भी पुष्टि की है। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर चर्चा के यह बैठके होने वाली है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का बयान भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद आया है कि वो पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों में मुद्दे के समाधान के लिए सार्थक वार्ता की उम्मीद करता है। भारत और चीन के बीच करीब 20 महीने से सीमा विवाद चल रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या चीन बैठक और इससे जुड़ी उम्मीदों की पुष्टि कर सकता है, वांग ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘जैसा कि दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी है, चीन और भारत 12 जनवरी को चीन की ओर माल्दो बैठक स्थल पर 14वें दौर की कमांडर स्तरीय वार्ता करेंगे।”
उन्होंने कहा, ‘इस वक्त, चीन-भारत सीमा पर स्थिति सामान्यत: स्थिर है।’ वांग ने कहा, ‘दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से संवाद कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि भारत, चीन के साथ काम करेगा और सीमावर्ती क्षेत्रों में आपात प्रतिक्रिया से सामान्यीकृत प्रबंधन एवं नियंत्रण की ओर बढ़ेगा।’
भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की यह बैठक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के चीन की ओर चुशुल-मोल्दो में होगी। उन्होंने बताया कि वार्ता का मुख्य केंद्र बिंदु हॉट स्प्रिंग इलाके में सैनिकों को पीछे हटाना होगा। यह उम्मीद की जा रही है कि भारत देपसांग बल्ग और डेमचोक में मुद्दों के समाधान सहित टकराव वाले सभी शेष स्थानों पर यथाशीघ्र सैनिकों को पीछे हटाने के लिए जोर देगा।
बता दें कि 13वें दौर की सैन्य वार्ता 10 अक्टूबर 2021 को हुई थी और गतिरोध दूर नहीं कर पाई थी। भारत और चीन पिछले साल 18 नवंबर को अपनी वर्चुअल राजनयिक वार्ता में शीघ्र ही 14 वें दौर की सैन्य वार्ता करने को सहमत हुए थे ताकि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूर्ण रूप से पीछे हटाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
पैंगोंग झील इलाके में पांच मई 2020 को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध पैदा हुआ था। सिलसिलेवार सैन्य और राजनयिक वार्ता के परिणामस्वरूप पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों तथा गोगरा इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया दोनों पक्षों ने पिछले साल पूरी की थी।