नेतन्याहू सरकार के फैसले पर रोक नहीं लगा सकेगी अदालत, पढ़िए रिपोर्ट

इजराइल के बेंजामिन नेतन्याहू सरकार ने सोमवार को सियासी तौर पर एक बड़ी जीत हासिल की। इजराइली संसद (नीसेट) ने ज्यूडिशियल ओवरहॉल (न्यायिक सुधार) से जुड़े एक अहम बिल को पास कर दिया। ‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ के मुताबिक- इस बिल के पास होने के बाद देश की कोई भी अदालत मोटे तौर पर सरकार या किसी मिनिस्टर द्वारा दिए गए ऑर्डर पर रोक नहीं लगा सकेगी।

इससे जुड़ी दो बातें शुरुआत में जान लेना जरूरी है। पहली- ज्यूडिशियल ओवरहॉल (या ज्यूडिशियल रिफॉर्म) एक लंबा प्रोसेस हैं और इसमें कई बिल पास होने हैं। सोमवार को सिर्फ एक बिल पास हुआ है। दूसरी- बिल में कुछ बदलाव किए गए हैं। मोटे तौर पर कहा जाए तो सरकार के फैसलों को अदालतें रोक तो नहीं पाएंगी, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सरकार अपनी मर्जी थोप सकेगी। उस हर आदेश के पीछे के कारण न सिर्फ बताने होंगे, बल्कि इन्हें साबित भी करना होगा।
ज्यूडिशियल ओवरहॉल को लेकर इजराइल में जबरदस्त विरोध था। सोमवार को वोटिंग के दौरान अपोजिशन ने इसका बायकॉट किया तो संसद के बाहर हजारों लोग नेतन्याहू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते दिखे। पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी किया।
इजराइल के अखबार ‘हेरात्ज’ के मुताबिक- दो दिन पहले ही सर्जरी के जरिए पेसमेकर लगवाकर लौटे नेतन्याहू ने इस बिल को पास कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। ज्यूडिशियल ओवरहॉल के मोर्चे पर उन्होंने पहली और सबसे अहम जीत तो हासिल कर ली है।
वोटिंग की बात करें तो बिल के पक्ष में 64 और विरोध में 0 वोट पड़े। इसकी वजह है कि अपोजिशन ने वोटिंग का बायकॉट कर दिया था। सरकार ने आखिरी वक्त तक विपक्ष से बातचीत की। उसे बिल में बदलाव के सुझाव देने को भी कहा। बहरहाल, अपोजिशन गठबंधन तैयार नहीं हुआ और उसने वोटिंग में भी हिस्सा लेने से इनकार कर दिया।
इस बिल पर सरकार और विपक्ष ने 30 घंटे बहस की। इस दौरान सिर्फ देश के कई हिस्सों में बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होते रहे। पुलिस को इन्हें हैंडल करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। इसकी वजह यह थी कि एक हिस्सा बिल का समर्थन कर रहा था तो दूसरा विरोध। कई बार इनमें आमने-सामने झड़प की नौबत भी आई। कुल मिलाकर 19 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।

अब चूंकि ज्यूडिशियल ओवरहॉल का यह सबसे अहम बिल पास हो चुका है तो नेतन्याहू और उनके अलायंस को उम्मीद है कि इस प्रोसेस से जुड़े बाकी बिल भी पास करा लिए जाएंगे। हालांकि, अब संसद में समर वेकेशन्स शुरू हो चुकी हैं और ये प्रोसेस कुछ महीने बाद ही शुरू हो सकेगा।

इस बिल को लेकर इजराइल में कई महीनों से प्रदर्शन हो रहे थे। इस प्रोसेस में कुछ और बिल पास होने हैं। समर वेकेशन के बाद इन्हें संसद में पेश किया जाएगा।
नीसेट में अपोजिशन लीडर येर लैपिड ने कहा- इजराइल के संसदीय इतिहास में 24 जुलाई 2023 एक अफसोसनाक दिन के तौर पर याद किया जाएगा। सरकार ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया। हम इस बिल और प्रोसेस को बहुत जल्द हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे।
लैपिड ने आगे कहा- सरकार और उनका अलायंस ये तो तय कर सकते हैं कि देश को किस रास्ते पर ले जाना है, लेकिन उनको यह तय करने का हक नहीं है कि देश का कैरेक्टर क्या और कैसा होगा। इंसाफ के मामलों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जा सकती। हमारी रिजर्व फोर्स के कुछ लोग फौज छोड़ने की बात कर रहे हैं। मैं उनसे कहूंगा कि विरोध अपनी जगह सही हो सकता है, ये करते रहिए, लेकिन फौज में रहकर देश सेवा का जो मौका आपको मिला है, उसे मत छोड़िए।
मीडिया से बातचीत में लैपिड ने कहा- नेतन्याहू बेहद कमजोर प्रधानमंत्री हैं। इजराइल में इस वक्त प्रधानमंत्री जैसा कोई पद मुझे नजर ही नहीं आता। प्रधानमंत्री तो कट्टरपंथियों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं। इससे देश में नफरत और बढ़ेगी।
इजराइल में ज्यादातर सरकारें गठबंधन यानी अलायंस वाली होती हैं। इसकी वजह ये है कि कई छोटी-बड़ी पार्टियां हैं और किसी एक को बहुमत मिलना बहुत मुश्किल होता है।
दूसरी बात यह है कि अगर सरकार या कोई मिनिस्टर कोई ऑर्डर जारी करता है तो उन्हें फौरन कोर्ट में चैलेंज कर दिया जाता है और इसकी वजहें सियासी ज्यादा होती हैं। नेतन्याहू सरकार का दावा है कि अदालतें कई बार ताकत का बेजा इस्तेमाल करती हैं और अहम कामों पर भी रोक लग जाती है। इसलिए पॉवर बैलेंसिंग की जरूरत है।
जाहिर है, विपक्ष और लोकतंत्र समर्थक संगठनों की दलील अलग होगी। वो कहते हैं- नेतन्याहू पर करप्शन के कई केसेज हैं। वो खुद को बचाने के लिए ही तमाम कवायद कर रहे हैं। अगर ज्यूडिशियरी कमजोर हुई तो सरकार मनमानी करेगी। मनमर्जी से अहम ओहदों पर पसंदीदा लोग अपॉइंट किए जाएंगे। कुल मिलाकर इसे तानाशाही बढ़ेगी और लोकतंत्र कमजोर होगा।