विधानसभा में विपक्ष कमजोर हो, बेहद कम सीटें जीतकर आया हो, ये तो आपने सुना होगा, लेकिन कभी सुना है कि पूरी विधानसभा में विपक्ष ही न हो. विपक्ष का एक विधायक न हो. ये अजबगजब सीन सिक्किम विधानसभा में अगले कुछ दिनों में देखने को मिलेगा.
ऐसा इसलिए हुआ है कि क्योंकि हाल ही में 2 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में विपक्ष के नेताओं ने अपना पर्चा वापस ले लिया है. इससे वहां सत्ता पक्ष की जीत का रास्ता साफ हो गया है. सिक्किम में इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव हुए थे. प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) ने राज्य की 32 में से 31 विधानसभा सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी. वहां सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) के एक मात्र विधायक तेनजिंग नोरबू लामथा जीतकर आए थे. लेकिन जुलाई में वे भी सरकार के साथ हो गए और सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा में शामिल हो गए.
कैसे बनी ये स्थिति
प्रेम सिंह तमांग ने दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों पर जीत दर्ज की. इसलिए एक सीट उन्हें छोड़नी पड़ी. तमांग ने रेनॉक विधानसभा सीट अपने पास रखी और सोरेंग-चाकुंग से इस्तीफा दे दिया. उधर, तमांंग की पत्नी कृष्णा कुमारी राय नामची-सिंघीथांग से जीती थीं. लेकिन यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वो चाहती हैं इस सीट से पार्टी का कोई और कार्यकर्ता चुनाव लड़े. इसलिए दो विधानसभा सीटें खाली हो गईं. दोनों सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना था.
सभी विधायक सरकार के समर्थक
कई नेताओं ने नामांकन दाखिल किया, लेकिन एक दिन पहले ही दूसरे दलों के नेताओं के नामांकन जांच में खारिज हो गए. वहीं पवन कुमार चामलिंग के नेतृत्व वाली एसडीएफ के एक उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया, क्योंकि उन्हें पार्टी से समर्थन नहीं मिला, जबकि दूसरे ने अभी तक ऐसा करने का कारण नहीं बताया. इससे सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के उम्मीदवार अब निर्विरोध जीत जाएंगे. इसके बाद सिक्किम विधानसभा में उसके सभी 32 विधायक होंगे. यानी विपक्ष का एक भी विधायक नहीं होगा.