देश को राफेल और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक मिला

तीनों सेनाओं में समन्वय बढाने के लिए देश में पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, (सीडीएस) की नियुक्ति, बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक, वायु सेना की मारक क्षमता बढाने के लिए उसे बहुचर्चित राफेल लड़ाकू विमान विधिवत रूप से मिलना और राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की स्थापना रक्षा क्षेत्र में बीते वर्ष की बड़ी घटनाएं रही। तीनों सेनाओं को बीते वर्ष में नये प्रमुख मिले और यह भी संयोग है कि तीनों ही राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के कोर्स में साथ साथ रहे हैं। इससे पहले यह संयोग 1991 में हुआ था जब तीनों सेनाओं के प्रमुख बैचमेट थे। नव नियुक्त सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और नौसेना प्रमुख कर्मबीर सिंह ने 1976 में एनडीए के 56 वें कोर्स में साथ-साथ प्रशिक्षण लिया था। सीडीएस की नियुक्ति को रक्षा प्रबंधन के क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक बड़ा तथा महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है जिससे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढेगा और बदलते युद्ध तथा सुरक्षा परिद्दश्य में सरकार को तीनों सेनाओं की ओर से एक सोची समझी सलाह दी जा सकेगी। तीनों सेनाओं को शीर्ष स्तर पर एक प्रभावी नेतृत्व भी मिलेगा। सीडीएस चार स्टार के रैंक वाला जनरल होगा जो सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख होगा। वह तीनों सेनाओं के प्रमुखों की स्टाफ समिति का स्थायी अध्यक्ष भी होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 15 अगस्त को सीडीएस के पद की घोषणा की थी। सीडीएस सरकार को रक्षा मामलों में सलाह देने वाला बड़ा अधिकारी होगा। गत 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर आतंकवादी हमले में 40 जवानों की शहादत के बाद इसका बदला लेने के लिए देश में बने माहौल को देखते हुए सरकार ने आतंकवाद की जड़ पर जोरदार प्रहार करने का साहसिक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया। वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने 26 फरवरी को तड़के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के निकट बालाकोट में आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी कर उन्हें ध्वस्त कर दिया। इस हमले में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गये। पाकिस्तान ने इसके जवाब में अगले दिन सुबह सेना के ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन मुस्तैद वायु सेना ने उसके इरादों को विफल कर दिया। वायु सेना के जांबाज पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने पाकिस्तान के एक एफ -16 लड़ाकू विमान को अपने मिग 21 विमान से मार गिराया। इसी बीच उनका विमान भी पाकिस्तानी मिसाइल की चपेट में आकर गिर गया। विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पाकिस्तानी सेना ने हिरासत में ले लिया हालांकि भारत के कूटनीतिक और सैन्य दबाव में पाकिस्तान को उन्हें रिहा करना पड़ा।

बीते वर्ष का वायु सेना दिवस यानी आठ अक्टूबर वायु सेना के लिए ऐतिहासिक रहा। लगभग एक दशक के इंतजार के बाद वायु सेना को अत्याधुनिक और जबरदस्त मारक क्षमता वाला बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान राफेल मिला। फ्रांस में खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को यह विमान सौंपा गया जिसकी उन्होंने विधिवत शस्त्र पूजा की। उन्होंने राफेल में उड़ान भी भरी। इन विमानों की पहली खेप आगामी अप्रैल-मई में भारत आयेगी और वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े में शामिल होगी। इससे वायु सेना का आकाश में प्रभुत्व बढेगा। सेनाओं के शहीदों के लिए इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति से अलग राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को भी इसी वर्ष मूर्त रूप मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 25 फरवरी को 44 एकड़ में फैली इस शहीद स्थली को राष्ट्र को समर्पित किया। स्मारक में आजादी के बाद मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के नाम पत्थरों पर उकेरे गये हैं। महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए महिलाओं की सेना पुलिस में जवान के तौर पर भर्ती भी इसी वर्ष शुरू हुई। रक्षा मंत्री ने सैनिक स्कूलों में छात्राओं के प्रवेश को भी इसी वर्ष मंजूरी दी।

नौसेना को स्कॉर्पियन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी मिली और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विमानवाहक पोत बंदरगाह देश को समर्पित किया। नौसेना को पहली महिला पायलट भी बीते वर्ष मिली। सब लेफ्टिनेंट शिवांगी ने प्रशिक्षण के बाद पायलट के तौर पर नौसेना में जिम्मेदारी संभाली। वायु सेना के लिए रूस से अत्याधुनिक हवाई रक्षा प्रणाली एस -400 मिसाइलों की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। इन मिसाइलों की पहली खेप इस वर्ष जून के आस-पास मिलने की संभावना है। वायु सेना को 17 अत्याधुनिक लड़ाकू अपाचे हेलिकॉप्टर भी बीते वर्ष मिले। वायु सेना को हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर चिनुक की आपूर्ति भी शुरू हो गयी है। इन दोनों के वायु सेना के बेड़े में शामिल होने से उसे संचालन अभियानों में मजबूती मिली है। साल के जाते-जाते वायु सेना ने पुराने पड़ चुके मिग-27 विमानों को विदा कर दिया। इन विमानों का अंतिम स्क्वाड्रन 27 दिसम्बर को ही वायु सेना से विदा हुआ।