दलित नेताओं में आपसी द्वन्द कहीं दलित समाज को गर्त में न ले जाये

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गुणा-भाग तेज हो गया है। बसपा फिर से ब्राह्मणों को साधने की कोशिश में जुटी है तो भाजपा के सहयोगी के रूप में आरपीआइ प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले उत्तर प्रदेश के हर जिले में अनुसूचित जाति के मतदाताओं को राजग की ओर मोड़ने में जुटेंगे। पार्टी ने प्रदेशभर में बहुजन कल्याण यात्रा निकालने का फैसला लिया है, जो 26 सितंबर से गाजियाबाद से शुरू होगी और 26 नवंबर को संविधान दिवस के दिन लखनऊ में समाप्त होगी। केंद्रीय मंत्री आठवले ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य प्रदेश के अनुसूचित जाति के लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उनके हित में लिए गए फैसलों से अवगत कराना है। साथ ही समाज के लोगों को ऐसे दलों से सतर्क भी करना है, जो राजनीति तो उनके नाम पर करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनके हित में कोई काम नहीं करते हैं। आरपीआइ का दावा है कि उत्तर प्रदेश में उसका पहले से ही बड़ा वोट बैंक है। प्रदेश में चौधरी चरण सिंह की सरकार के समय पार्टी के 17 विधायक होते थे।

माना जा रहा है कि पार्टी इसके बाद से ही उत्साहित है। बहुजन कल्याण यात्रा की योजना को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इन यात्राओं के द्व्न्द में कहीं दलित नेता खो न जाएँ इन नेताओं का आपसी द्व्न्द हो सकता है दलितों का रजनीतिक अस्तित्व खतरे में न डाल दे ।