दिल्ली एनसीआर से प्रकाशित समाचार पत्रों और टीवी न्यूज चैनलों में पूर्वोत्तर भारत की बदलती तस्वीर बहुत कम दिखाई देती है. कहना चाहिए कि मुख्यधारा के कथित मीडिया में पूर्वोत्तर की समस्याओं की ही रिपोर्टिंग की जाती है. पूर्वोत्तर भारत में विकास की जीती-जागती झलक दिखाई दी राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में हुए अष्टलक्ष्मी महोत्सव में. महोत्सव छह दिसंबर को शुरू हुआ और समापन आठ दिसंबर को हुआ. महोत्सव में जा कर लोगों ने महसूस किया कि वहां पिछले एक दशक में विकास की निर्मल धाराएं बहने लगी हैं.
अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक पूर्वोत्तर के इलाके को वोटों की संख्या से तौला गया, लेकिन जब से केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी है, तब से उन्होंने दिल्ली और दिल से दूरी के भाव को कम करने का प्रयास मन से किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर को भावना, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी की त्रिवेणी से जोड़ रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल से पूर्वोत्तर के हर राज्य में स्थाई शांति को ले कर अभूतपूर्व जन-समर्थन दिख रहा है. केंद्र और राज्य सरकारों की कोशिशों से हजारों नौजवानों ने हिंसा का रास्ता छोड़ कर विकास का नया रास्ता अपनाया है.
विकसित भारत के मिशन को रफ्तार देगा नॉर्थ ईस्ट
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं और भरोसा जताया कि आने वाला वक्त पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर का होगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि क्योंकि पूर्वोत्तर में लोकसभा की कम सीटें थीं और वोटरों की संख्या भी कम ही थी, इसलिए पहले की सरकारों ने वहां के विकास पर ध्यान नहीं दिया. मोदी ने इस मौके पर याद दिलाया कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पहली बार पूर्वोत्तर के विकास के लिए अलग से मंत्रालय बनाया गया था.
मोदी को भरोसा है कि पूर्वोत्तर का इलाका विकसित भारत के मिशन को रफ्तार देगा. उन्होंने अष्टलक्ष्मी महोत्सव को पूर्वोत्तर इलाके के बेहतर भविष्य का उत्सव करार दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते दशक में पूर्वोत्तर में अनेक ऐतिहासिक शांति समझौते हुए हैं और राज्यों के बीच भी जो सीमा विवाद थे, उनमें भी काफी सौहार्दपूर्ण ढंग से प्रगति हुई है. नॉर्थ ईस्ट में हिंसा के मामलों में बहुत कमी आई है. बहुत से जिलों में आफस्पा हटाया जा चुका है. हमें मिल कर अष्टलक्ष्मी का नया भविष्य लिखना है और इसके लिए सरकार हर कदम उठा रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 100-200 साल के कालखंड को देखा जाए, तो सभी ने पश्चिमी दुनिया का उभार देखा. आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक, हर स्तर पर दुनिया में पश्चिम की छाप रही. इस पश्चिम केंद्रित कालखंड के बाद अब कहा जाता है कि 21वीं सदी पूर्व की है. एशिया की है. भारत की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि आने वाले दशकों में मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ पूर्वोत्तर के गुवाहाटी, अगरतला, इंफाल, ईटानगर, गंगटोक, कोहिमा, शिलॉन्ग और आइजोल जैसे शहरों का नया उभार भी देखने को मिलेगा. मोदी को पूरा भरोसा है कि स्थिरता और शांति कायम होने की वजह से आज पूर्वोत्तर में निवेश को ले कर खासा जोश दिखाई दे रहा है.
केंद्र सरकार के मंत्रियों ने 700 से ज्यादा बार दौरे किए
मोदी ने जानकारी दी कि उनकी सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों को भारत के विकास की कहानी से जोड़ने के लिए हर संभव कदम उठाया गया. केंद्र सरकार के मंत्री 700 से ज्यादा बार पूर्वोत्तर के राज्यों में गए हैं. वहां के लोगों के साथ लंबा समय गुजारा है. इससे सरकार का पूर्वोत्तर के साथ उसके विकास के साथ भावनात्मक संपर्क भी बना है. इससे वहां के विकास को अद्भुत गति मिली है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के विकास को गति देने के लिए 90 के दशक में नीति बनाई गई थी और इसके तहत केंद्र सरकार के 50 से ज्यादा मंत्रालयों को अपने बजट का 10 प्रतिशत पूर्वोत्तर में निवेश करना पड़ता था.
उत्तर पूर्व में रोजगार के नए मौके खोले
उन्होंने कहा कि इस नीति को लागू किए जाने के बाद से लेकर साल 2014 तक जितना बजट पूर्वोत्तर को मिला है, उससे कहीं ज्यादा बीते 10 साल में दिया गया है. बीते दशक में सिर्फ एक योजना के तहत ही पांच लाख करोड रुपये से ज्यादा पूर्वोत्तर में खर्च किए गए हैं. इस योजना के अलावा भी कई बड़ी खास परियोजनाएं पूर्वोत्तर भारत के लिए शुरू की गई हैं. इनमें पीएम डिवाइन, स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम और नॉर्थ ईस्ट वेंचर फंड जैसी योजनाएं शामिल हैं और इनसे रोजगार के बहुत से नए मौके बने हैं.
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की औद्योगिक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए उन्नति योजना भी शुरू की गई है. इससे नए उद्योगों के लिए बेहतर माहौल बनेगा और रोजगार के नए रोजगार मौके भी बनेंगे. प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि सेमीकंडक्टर का क्षेत्र भारत के लिए नया है, लेकिन इसे रफ्तार देने के लिए भी पूर्वोत्तर के असम को चुना गया है. जब इस तरह के नए उद्योग पूर्वोत्तर में लगेंगे, तो देश और दुनिया के निवेशक वहां नई संभावनाएं तलाशेंगे.
पीएम ने दिया लोगों को न्योता कि
पूर्वोत्तर में संपर्क बढ़ाने के मकसद से रेल, रोड और उड्डयन के बुनियादी ढांचे में बहुत सुधार किया गया है. इससे वहां के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में जबर्दस्त सुधार हुआ है. प्रधानमंत्री ने गुजरात के पोरबंदर के पास माधवपुर मेले में पूर्वोत्तर के लोगों को शामिल होने का न्योता दिया और कहा कि भगवान कृष्ण और अष्टलक्ष्मी के आशीर्वाद से हम जरूर नॉर्थ ईस्ट को 21वीं सदी में विकास का नया प्रतिमान स्थापित करते हुए देखेंगे. माधवपुर मेला भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह का उत्सव है.