पांच राज्यों के चुनाव की सियासी गहमागहमी संसद के बजट सत्र पर भारी साबित होती दिख रही है। राजनीतिक पार्टियों की संसद के बजाय चुनावी मैदान में जमे रहने की दिलचस्पी को देखते हुए बजट सत्र को समय से पहले ही समाप्त किए जाने के प्रबल आसार हैं।
संकेतों से साफ है कि दो हफ्ते के भीतर सरकार अपने जरूरी विधायी और वित्तीय कार्य को पूरा कर लेगी और 25 मार्च तक बजट सत्र का समापन कर दिया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने चुनाव के मद्देनजर संसद सत्र को स्थगित करने का आग्रह भी किया है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि मंत्रालयों की अनुपूरक मांगों और वित्त विधेयक जैसे अहम विधायी कार्यों को अगले दो हफ्ते के दौरान पारित करा लिया जाएगा, ताकि 25 मार्च को सत्र समाप्त किया जा सके। पांच राज्यों के चुनाव की शुरुआत 27 मार्च से हो रही है। कई दलों के सांसदों व नेताओं ने सत्र को स्थगित करने का अनुरोध किया है। तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने स्पीकर और राज्यसभा में नेता डेरेक ओब्रायन ने सभापति को पत्र लिखकर सत्र को स्थगित करने का आग्रह किया है। तृणमूल ने वर्ष 2008 और 2011 में चुनाव के चलते सत्र बीच में ही समाप्त किए जाने के उदाहरण भी दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के बाद कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं ने स्पीकर ओम बिरला से अलग-अलग मुलाकात कर सत्र को लंबा नहीं चलाने का अनुरोध किया। बजट सत्र का दूसरा चरण आठ अप्रैल तक चलना है। मगर इस दौरान राज्यों का चुनावी अभियान चरम पर होगा। बताया जाता है कि द्रमुक ने भी सत्र को स्थगित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि, कांग्रेस बजट सत्र को समय से पहले समाप्त किए जाने के खिलाफ है।
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आदर्श कुमार
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